
कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार ने टीचर्स, लाइनमैन और गैस सिलेंडर डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े लोगों को भी फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में शामिल कर लिया है यानी इन्हें टीकाकरण में तरजीह दी जाएगी और ये मुफ्त होगा. इसके साथ ही मुआवज़े का भी ऐलान किया गया है हालांकि इस मुआवजे को 'ऊंट के मुंह में जीरा' जैसा ही माना जा रहा है. घर-घर रसोई गैस सिलेंडर पहुंचाने वाले लोगों को संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होता है, इसे ध्यान में रखते हुए इनके साथ साथ शिक्षकों और लाइनमैन को फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में शामिल किया गया है.
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इन सभी के रोजगार पर भी लॉकडाउन का असर पड़ा है, ऐसे में सरकार ने शिक्षकों को छोड़ संगठित (organised) और असंगठित (Unorganised) सेक्टर के लोगों को 3 हज़ार रुपये का हर्जाना देने का फैसला किया है. लेकिन सवाल यह है कि तीन हजार रुपये में आखिर क्या होगा. महंगाई के इस दौर में खर्च 30 हज़ार के आसपास है, ऐसे में यह राशि 'ऊंट के मुंह में जीरे के समान' है.
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फल-फूल और सब्जी उगाने वाले किसानों को 10 हज़ार रुपया प्रति हैक्टेयर का मुआवजा दिया जाएगा. इसी तरह बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) कार्ड होल्डर्स को मई और जून महीने में 10 -10 किलो अनाज मुफ्त में दिया जाएगा. राज्य के उप मुख्यमंत्री डॉ आश्वत नारायण कहते हैं, 'हमारी कोशिश संगठित और असंगठित सेक्टर में लोगों को राहत पहुंचाने की है और इसीलिए हमने ₹3000 का हर्जाना देने का भी फैसला किया है.कर्नाटक में पिछले महीने के आखिरी हफ्ते से लॉकडाउन शुरू हुआ था इस उम्मीद के साथ कि संक्रमण के मामले कम होंगे लेकिन जितनी उम्मीद थी वैसा हुआ नहीं. ऐसे में लॉकडाउन 24 मई से आगे भी बढ़ाया जा सकता है, शायद इसी बात को ध्यान में रखकर सरकार ने मुआवजा देने का फैसला किया है.
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