यह ख़बर 01 फ़रवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

श्रद्धालु करमापा के साथ, मठ पर उमड़ी भीड़

खास बातें

  • हाथों में माला लिए हुए बड़ी संख्या में परिसर में पहुंचे श्रद्धालुओं ने अपने आध्यामिक गुरु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की।
धर्मशाला/बीजिंग:

तिब्बती धर्मगुरु 17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजी के मठ से लगभग सात करोड़ रुपये विदेशी और देशी मुद्रा की बरामदगी के मामले में जांच एजेंसियों द्वारा पूछताछ के अगले दिन सोमवार को विदेशियों सहित बौद्ध भिक्षु और श्रद्धालु ग्यूटो मठ पर उमड़ पड़े। उन्होंने करमापा के साथ एकता प्रकट की। इस मामले में होटल मालिक और प्रबंधक को हिरासत में लिया गया। इस बीच, चीन के एक अधिकारी ने कहा कि करमापा चीन के जासूस नहीं हैं। उन्होंने उन खबरों का खंडन किया जिसमें कहा जा रहा है कि भारत-चीन सीमा पर मठों को अपने नियंत्रण में करने के लिए करमापा को चीन ने एक योजना के तहत भेजा है। ज्ञात हो कि करमापा उग्येन त्रिनले दोरजी एक मात्र प्रमुख तिब्बती धर्मगुरु हैं, जिन्हें दलाई लामा और चीन दोनों ने मान्यता दी है। पिछले सप्ताह उनके मठ से करोड़ों रुपये की विदेशी और देशी मुद्रा बरामद हुई थी। मठ पर तैनात एक सुरक्षाकर्मी ने कहा, "श्रद्धालु करमापा के प्रवचन सुनने और उनसे आर्शीवाद लेने के लिए मठ पर पहुंचे। सुबह से ही अप्रत्याशित रूप से भीड़ उमड़ने लगी। लोग इतनी संख्या में जुट गए, जैसे कोई विशेष उत्सव हो।" हाथों में माला लिए हुए बड़ी संख्या में परिसर में पहुंचे श्रद्धालुओं ने अपने आध्यामिक गुरु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की। स्विट्जरलैंड से आई एक महिला श्रद्धालु क्रिस्टीना ने कहा, "आज मैं खासतौर से करमापा को समर्थन देने आई हूं। वह चीनी एजेंट नहीं हैं। उनके खिलाफ भ्रामक दुष्प्रचार किया जा रहा है। वह अपने भक्तों को आलोकित करने और शांति, अहिंसा और बौद्ध धर्म के उपदेश देने के लिए यहां पर हैं।" सुरक्षा कारणों से मठ में मोबाइल एवं कैमरा ले जाने की किसी को इजाजत नहीं थी।    दूसरी ओर, ऊना की एक अदालत ने धर्मशाला के एक होटल मालिक और हरियाणा के एक बैंक प्रबंधक को पांच फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। राज्य के पुलिस महानिरीक्षक पीएल ठाकुर ने कहा, "होटल मालिक केपी भारद्वाज और अम्बाला कार्पोरेशन बैंक के प्रबंधक डीके धर को ऊना की एक अदालत ने रविवार रात को पांच फरवरी तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया।" ठाकुर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के मेहतपुर में भारद्वाज के दो कर्मचारियों के पास से 25 जनवरी को एक करोड़ रुपये की नकदी बरामद होने के बाद उसे शनिवार को गिरफ्तार किया गया था। भारद्वाज ने दावा किया है कि बरामद किए गए एक करोड़ रुपये करमापा मठ ने कांगड़ा जिले में धर्मशाला के निकट एक जमीन खरीदने के लिए दिए थे। पुलिस ने 28 जनवरी को करमापा से भी पूछताछ की थी। पुलिस ने भारद्वाज के लिए कथित तौर पर एक करोड़ रुपये की व्यवस्था करने वाले धर को भी शनिवार को ही गिरफ्तार किया था। धर पर आरोप है कि उसने जाली दस्तावेज तैयार किए और उसी के आधार पर भारद्वाज के कर्मचारी एक करोड़ की राशि दिल्ली से धर्मशाला ला रहे थे। सभी आरोपों को खारिज करते हुए करमापा ने रविवार को जांच एजेंसियों को बताया कि छापेमारी के दौरान जो मुद्रा मठ से बरामद की गई थी वह श्रद्धालुओं ने दान में दी थी और उन्होंने भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ नहीं किया। करमापा के वकील नरेश माथुर ने रविवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि मठ ने एक जमीन विक्रेता को दिल्ली में एक करोड़ रुपये नकद और 75 लाख रुपये चेक के तहत अदा किए थे। उन्होंने कहा कि यह पैसे आयकर विभाग के नियमों के तहत ही अदा किए गए। उधर, करमापा के चीन का जासूस होने की खबरों के बीच चीन के एक अधिकारी ने कहा है कि इस मामले से पता चलता है कि भारत, चीन को लेकर किस तरह का अविश्वसनीय रवैया अपनाए हुए है। सीपीसी केंद्रीय समिति के संयुक्त मार्चा कार्य विभाग में एक अधिकारी झू झिताओ ने समाचार पत्र 'ग्लोबल टाइम्स' के साथ बातचीत के दौरान रविवार को कहा, "करमापा के मामले में भारतीय मीडिया यह कयास लगा रहा है वह चीन के जासूस हैं। इससे साबित होता है कि भारत, चीन को लेकर किस तरह का अविश्वसनीय रवैया अपनाए हुए है।" झू ने कहा, "करमापा ने धार्मिक उद्देश्यों को लेकर वर्ष 1999 में चीन छोड़ दिया था, जैसा कि उन्होंने इसका दावा भी किया है।" गौरतलब है कि करमापा जनवरी 2000 में तिब्बत से भारत आए थे। तब से लेकर अब तक वह ज्यादातर धर्मशाला के सिद्धबारी मठ में रहते रहे हैं।


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