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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव जीत लिया। राज्य की 82 सदस्यीय विधानसभा में 43 विधायकों ने हेमंत की ओर से लाए गए विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि 37 ने इसके खिलाफ मत दिया।
हेमंत के नेतृत्व में राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो)-कांग्रेस गठबंधन की सरकार का गठन 13 जुलाई को हुआ था। राज्यपाल सैयद अहमद ने उन्हें एक सप्ताह के भीतर बहुमत साबित करने के लिए कहा था।
विधानसभा के विशेष सत्र में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अर्जुन मुंडा झामुमो-कांग्रेस गठबंधन सरकार पर जमकर बरसे।
मुंडा ने कहा, "यह गठबंधन कांग्रेस को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया है। इसकी कोई उम्मीद नहीं है कि सरकार राज्य के विकास के लिए कुछ कर पाएगी।"
झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक (जेवीएम-पी) के विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी के विधायक निजामुद्दीन अंसारी बुधवार से ही लापता हैं। उन्होंने आशंका जताई कि उन्हें संभवत: विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले अगवा किया गया।
इस बीच, सोरेन सरकार को उस वक्त कुछ राहत मिली जब अपहरण के एक मामले में गिरफ्तारी का सामना कर रहीं पार्टी की विधायक सीता सोरेन को रांची में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने के तुरंत बाद जमानत मिल गई, जिससे वह विधानसभा की कार्यवाही में भाग ले पाईं।
झामुमो के एक अन्य फरार विधायक नलिन सोरेन ने भी जमानत के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दी है। पार्टी के एक विधायक ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने नलिन से रांची में आत्मसमर्पण करने के लिए कहा।
पूर्व कृषि मंत्री नलिन वर्ष 2007 के बीज घोटाले के नौ आरोपियों में से एक हैं। मामला किसानों को बीजों की आपूर्ति में कथित अनियमितता से जुड़ा है।
इसके अलावा, हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे विधायक सावना लाकरा और एक अन्य मामले में जेल में बंद विधायक दल्लू महतो ने अदालत की अनुमति से विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लिया।
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