यह ख़बर 12 अप्रैल, 2013 को प्रकाशित हुई थी

उप्र में 60 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेगा जद(यू)

खास बातें

  • उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की तरह लोकसभा चुनावों में भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक (राजग) गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के बीच चुनावी तालमेल बनते नजर नहीं आ रहे हैं।
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की तरह लोकसभा चुनावों में भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक (राजग) गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के बीच चुनावी तालमेल बनते नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में अब जदयू उत्तर प्रदेश में अकेले ही आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेगा। फिलहाल जदयू ने 60 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है।

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश निरंजन भइया के मुताबिक, यह बात सामने आ चुकी है कि लोकसभा चुनाव समय से पहले ही हो सकते हैं। ऐसे में जदयू ने भी उत्तर प्रदेश की विभिन्न सीटों पर लोकसभा प्रत्याशी उतरने के लिए मंथन शुरू कर दिया है। पार्टी की कोशिश है कि इस चुनाव को राजग के तहत लड़ा जाए।

इसके लिए उत्तर प्रदेश में जदयू को भाजपा के साथ साझा प्रत्याशी उतारना है। मगर भाजपा का रुख इस दिशा में सकारात्मक नहीं दिख रहा है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों में भी भाजपा का यही रुख रहा। मजबूर होकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने राजग गठबंधन के बजाय उत्तर प्रदेश में सीधे पार्टी को इस चुनाव को लड़ने के निर्देश दिए थे।

पार्टी ने इसका पालन कर विस चुनावों को लड़ा था। अब लोकसभा चुनाव करीब हैं और भाजपा इस गठबंधन को लेकर जरा भी चिंतित नजर नहीं दिख रही है। ऐसे में जदयू भाजपा के रुख को देखकर लोकसभा चुनावों को भी अपने दम पर लड़ने की तैयारियों में जुट गई है। इसके लिए पार्टी ने पूर्वी व पश्चिमी उत्तर प्रदेश को मिलाकर फिलहाल साठ सीटों पर प्रत्याशी उतारने का निर्णय किया है।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, "राजग गठबंधन के तहत पार्टी को कम सीटों पर ही संतोष करना पड़ता है। मगर पिछले विस चुनाव में जब पार्टी गठबंधन से हटकर अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ी तो ज्यादा से ज्यादा सीटों पर उसे प्रत्याशी उतारने का मौका मिला था। अब लोकसभा चुनाव में जदयू यही चाहता है।"

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पिछले लोकसभा चुनावों में राजग गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा तो उसे सिर्फ दो सीटें पर ही प्रत्याशी उतारने की अनुमति गठबंधन के तहत मिली। यह सीट बदायूं और सलमेपुर थी। राजग गठबंधन में तब भाजपा, जदयू के साथ ही राष्ट्रीय लोकदल भी शामिल था। इस बार लोकसभा चुनावों में इन सीटों पर नए चेहरों को मौका मिल सकता है। उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनावों को अकेले लड़ने को लेकर पार्टी की गतिविधियां तेज कर दी गई हैं। जिला इकाई की बैठकें कर पार्टीजनों को तमाम दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं।