फाइल फोटो
श्रीनगर:
कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच रविवार की मुठभेड़ के बाद फैली हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. इस मुठभेड़ में चार आतंकी मारे गए और सेना का दो जवान भी शहीद हुए. इसी गोलाबारी में दो नागरिकों की मौत के बाद से उठे बवाल के बाद घाटी के कई हिस्सों में घोषित और अघोषित कर्फ्यू लगाया गया है. हुर्रियत नेताओं ने 15 फरवरी को कुलगाम चलो का नारा दिया है. प्रशासन इससे सख्ती से निपटने के लिए अलगाववादी नेताओं को नजरबंद करने जा रहा है. आपको ये बता दें कि श्रीनगर से करीब 60 किलोमीटर दूर कुलगाम के फ्रिसल गांव में 10 घंटे तक सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुआ. पहले सुरक्षाबलों ने उस घर को घेर लिया जिसमें आतंकी छिपे हुए थे. जब आतंकियों ने पहले गोलाबारी शुरू कर दी तो सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई की. इसमें चार आतंकी मारे गए और शायद तीन भाग गए. मारे गए चारों आतंकी स्थानीय थे.
मुठभेड़ में एक आम नागरिक और स्थानीय आतंकियों की मौत होने के बाद इलाके में जमकर हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए. भीड़ को भगाने के लिए सुरक्षा बलों को गोलीबारी तक करनी पड़ी. इसमें 18 लोग घायल हो गए, जबकि गोलाबारी में एक और नागरिक की मौत हो गई. अधिकतर लोग गोलियां लगने की वजह से घायल हुए हैं. इनमें से चार को इलाज के लिए श्रीनगर शिफ्ट किया गया.
इसके विरोध में अलगाववादी संगठनों ने कश्मीर में सोमवार को हड़ताल का ऐलान किया, जिसका खासा असर देखने को मिला. श्रीनगर में ज्यादातर दुकानें, पेट्रोल पंप और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे. वैसे श्रीनगर को छोड़कर कई इलाकों में सार्वजनिक और निजी वाहन सड़कों पर नजर आए. प्रशासन ने अपनी तरफ से एहतियात बरतते हुए कुलगाम जिले और शोपियां शहर में कर्फ्यू लागू दिया था. वैसे दूसरी जगहों से लोग कुलगाम ना आएं इसे रोकने के लिए अघोषित कर्फ्यू का भी सहारा लिया गया.
पुलिस के मुताबिक दक्षिण कश्मीर से होकर गुजरने वाले श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर लोगों के आने जाने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है, लेकिन असामाजिक तत्वों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है. सुरक्षा बलों की चिंता इसलिए बढ़ गई है कि ये वही इलाका है जहां पिछले साल हिज्बुल मुजाहदीन के आतंकी बुरहान वानी मारा गया था. इसके विरोध में पूरे कश्मीर में हिंसा और प्रदर्शन का दौर ढाई महीने से ज्यादा चला जिसमें 90 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और हजारों लोग घायल हुए.
मुठभेड़ में एक आम नागरिक और स्थानीय आतंकियों की मौत होने के बाद इलाके में जमकर हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए. भीड़ को भगाने के लिए सुरक्षा बलों को गोलीबारी तक करनी पड़ी. इसमें 18 लोग घायल हो गए, जबकि गोलाबारी में एक और नागरिक की मौत हो गई. अधिकतर लोग गोलियां लगने की वजह से घायल हुए हैं. इनमें से चार को इलाज के लिए श्रीनगर शिफ्ट किया गया.
इसके विरोध में अलगाववादी संगठनों ने कश्मीर में सोमवार को हड़ताल का ऐलान किया, जिसका खासा असर देखने को मिला. श्रीनगर में ज्यादातर दुकानें, पेट्रोल पंप और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे. वैसे श्रीनगर को छोड़कर कई इलाकों में सार्वजनिक और निजी वाहन सड़कों पर नजर आए. प्रशासन ने अपनी तरफ से एहतियात बरतते हुए कुलगाम जिले और शोपियां शहर में कर्फ्यू लागू दिया था. वैसे दूसरी जगहों से लोग कुलगाम ना आएं इसे रोकने के लिए अघोषित कर्फ्यू का भी सहारा लिया गया.
पुलिस के मुताबिक दक्षिण कश्मीर से होकर गुजरने वाले श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर लोगों के आने जाने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है, लेकिन असामाजिक तत्वों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है. सुरक्षा बलों की चिंता इसलिए बढ़ गई है कि ये वही इलाका है जहां पिछले साल हिज्बुल मुजाहदीन के आतंकी बुरहान वानी मारा गया था. इसके विरोध में पूरे कश्मीर में हिंसा और प्रदर्शन का दौर ढाई महीने से ज्यादा चला जिसमें 90 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और हजारों लोग घायल हुए.
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