कोटा के एक इंजीनियर सुजीत स्वामी को आईआरसीटीसी (IRCTC) से 2 साल चली लंबी लड़ाई के बाद 33 रुपये का रिफंड मिला है. रेलवे ने 2017 में बुक कराए गए उनके टिकट को कैंसल कराने पर 35 रुपये सर्विस चार्ज के नाम पर काट लिए थे. हांलाकि उन्हें जो रुपये मिले हैं उसमें अभी 2 रुपये कम हैं. अब बाकि 2 रुपये के लिए स्वामी अपनी जंग जारी रखेंगे. स्वामी ने 2017 में कोटा से दिल्ली का गोल्डन टेंपल मेल में 2 जुलाई की यात्रा के लिए 765 रुपये का टिकट बुक करवाया था. वेटिंग होने की वजह से उन्होंने टिकट कैंसल कर दिया. इसके बाद रेलवे ने उन्हें 665 रुपये वापस कर दिए जबकि उन्हें 700 रुपये मिलने थे.
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स्वामी ने अपने 35 रुपये वापस पाने के लिए रेलवे के मामलों से संबंधित विभागों में 2 साल तक लंबी लड़ाई लड़ी. स्वामी का कहना है कि भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने उनकी वापस की जाने वाली राशि में से 35 रुपये सर्विस टैक्स के नाम पर काट लिए जबकि वे अपना टिकट जीएसटी लागू होने से पहले ही रद्द करवा चुके थे. ऐसे में सर्विस टैक्स नहीं लगना चाहिए था.
सुजीत ने इस मामले में 8 अप्रैल 2018 को लोक अदालत में याचिका दायर की थी. जनवरी 2019 में अदालत ने इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए मामला बंद कर दिया. इस बीच दिसंबर 2018 में उनकी लगाई आरटीआई (RTI) भी अप्रैल तक करीब 10 विभागों में चक्कर काटती रही. उन्होंने इसमें आईआरसीटीसी (IRCTC) से काटे गए 35 रुपये के नियम की जानकारी मांगी थी.
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लंबे समय बाद आरटीआई के जवाब में आईआरसीटीसी ने कहा कि रेलवे मंत्रालय के कमर्शियल सर्कुलर संख्या 43 के अनुसार, जीएसटी लागू होने से पहले बुक किए गए टिकटों को रद्द करने पर सर्विस टैक्स नहीं लिया जाएगा. इसके बाद 1 मई 2019 को रेलवे ने उनके खाते में 33 रुपये जमा करा दिए.
स्वामी ने कहा कि वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे क्योंकि रेलवे ने अपने कमर्शियल सर्कुलर संख्या 49 के अनुसार 35 रुपये वापस करने बात कही है. अभी तक उन्हें सिर्फ 33 रुपये ही मिले हैं.
सुजीत की एक अन्य आरटीआई से पता चला है उस बीच उनके अलावा करीब 9 लाख और यात्री थे जिन्होंने 1 से 11 जुलाई के बीच टिकट कैंसल किया था और उनसे सर्विस टैक्स वसूला गया. इन यात्रियों से रेलवे ने कुल 3.34 करोड़ रुपये वसूला था.
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