अलमाटी:
विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ने 9 मई को अपने बीजिंग दौरे से पहले घुसपैठ के मुद्दे का समाधान निकाल लिए जाने की उम्मीद जताते हुए कहा है कि भारत कमजोर नहीं है।
अफगानिस्तान पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने कजाकिस्तान पहुंचे खुर्शीद ने गुरुवार को कहा, ‘‘हम डरे हुए नहीं हैं। भारत कमजोर नहीं है।’’ उनसे सवाल किया गया था कि क्या भारत अपने पड़ोसी चीन से डरा हुआ है? उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रेस से अपील करना चाहता हूं, यह दोनों पक्षों की ओर से शांति में किए गए निवेश के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।’’
विदेशमंत्री ने कहा कि लद्दाख क्षेत्र में हुई घुसपैठ को लेकर भारत ने चीन के नेतृत्व को दिल्ली में उनके राजदूत और दोनों देशों के सैन्य नेतृत्व के बीच हुई दो दौर की बातचीत के जरिए अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया है।
उन्होंने कहा ‘‘इस मुद्दे ने हमें संतोष का कोई भाव नहीं दिया है।’’ शब्दों को लेकर सावधानी बरतते हुए खुर्शीद ने कहा, ‘‘मेरे हिसाब से महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों पक्षों को यह जानना चाहिए कि इसे (घुसपैठ) को इकलौती घटना रहने देना है। इसे व्यापक रूप नहीं लेना चाहिए।’’
खुर्शीद ने कहा कि ‘मेहनत से और सावधानी से’ सीमा मुद्दों के समाधान के लिए एक व्यवस्था बनाई है। उन्होंने कहा, ‘‘हमनें इस दिशा में बहुत सावधानी से काम किया है। हमें संतोष है कि यह अच्छा, स्थायी और हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ बात है। सिर्फ यही बात नहीं होनी चाहिए। मेरा नहीं मानना है कि हमें जल्दबाजी में होना चाहिए, मूल्य और उन आकांक्षाओं को खारिज करना चाहिए जो इस व्यवस्था से सामने आई हैं।’’
चीन के सैनिक लद्दाख क्षेत्र में 10 किलोमीटर अंदर तक घुस आए हैं और उन्होंने तंबू डालकर चौकी भी बना ली है। चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के दूसरी ओर किसी तरह की घुसपैठ से इनकार किया है।
मौजूदा व्यवस्था के जरिए बातचीत पर जोर देते हुए खुर्शीद ने कहा, ‘‘यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं था कि जिसके लिए विदेशमंत्री को बीजिंग जाना पड़े।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे बीच सामान्य संपर्क बना हुआ है। मेरे चीन जाने से पहले ही चीजें हल हो सकती हैं।’’
अफगानिस्तान पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने कजाकिस्तान पहुंचे खुर्शीद ने गुरुवार को कहा, ‘‘हम डरे हुए नहीं हैं। भारत कमजोर नहीं है।’’ उनसे सवाल किया गया था कि क्या भारत अपने पड़ोसी चीन से डरा हुआ है? उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रेस से अपील करना चाहता हूं, यह दोनों पक्षों की ओर से शांति में किए गए निवेश के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।’’
विदेशमंत्री ने कहा कि लद्दाख क्षेत्र में हुई घुसपैठ को लेकर भारत ने चीन के नेतृत्व को दिल्ली में उनके राजदूत और दोनों देशों के सैन्य नेतृत्व के बीच हुई दो दौर की बातचीत के जरिए अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया है।
उन्होंने कहा ‘‘इस मुद्दे ने हमें संतोष का कोई भाव नहीं दिया है।’’ शब्दों को लेकर सावधानी बरतते हुए खुर्शीद ने कहा, ‘‘मेरे हिसाब से महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों पक्षों को यह जानना चाहिए कि इसे (घुसपैठ) को इकलौती घटना रहने देना है। इसे व्यापक रूप नहीं लेना चाहिए।’’
खुर्शीद ने कहा कि ‘मेहनत से और सावधानी से’ सीमा मुद्दों के समाधान के लिए एक व्यवस्था बनाई है। उन्होंने कहा, ‘‘हमनें इस दिशा में बहुत सावधानी से काम किया है। हमें संतोष है कि यह अच्छा, स्थायी और हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ बात है। सिर्फ यही बात नहीं होनी चाहिए। मेरा नहीं मानना है कि हमें जल्दबाजी में होना चाहिए, मूल्य और उन आकांक्षाओं को खारिज करना चाहिए जो इस व्यवस्था से सामने आई हैं।’’
चीन के सैनिक लद्दाख क्षेत्र में 10 किलोमीटर अंदर तक घुस आए हैं और उन्होंने तंबू डालकर चौकी भी बना ली है। चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के दूसरी ओर किसी तरह की घुसपैठ से इनकार किया है।
मौजूदा व्यवस्था के जरिए बातचीत पर जोर देते हुए खुर्शीद ने कहा, ‘‘यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं था कि जिसके लिए विदेशमंत्री को बीजिंग जाना पड़े।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे बीच सामान्य संपर्क बना हुआ है। मेरे चीन जाने से पहले ही चीजें हल हो सकती हैं।’’
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