ICU के भीतर पहुंची NDTV की टीम: मरीज की जिंदगी और मौत के बीच जंग, डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ की चुनौतियां

ICU वॉर्ड में मिनट दर मिनट ज़िंदगी के लिये चल रही जद्दोजहद को दिखाने के लिए NDTV की एक टीम दिल्ली के होली फैमिली अस्पताल के आईसीयू वार्ड में पहुंची.

नई दिल्ली:

महामारी के इस काल में दिल्ली के अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं, खासकर ICU के हालात बेहद गंभीर हैं, यहां न सिर्फ मरीज जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा है बल्कि डॉक्टर व नर्स दिन रात चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. ICU वॉर्ड में मिनट दर मिनट ज़िंदगी के लिये चल रही जद्दोजहद को दिखाने के लिए NDTV की एक टीम दिल्ली के होली फैमिली अस्पताल के आईसीयू वार्ड में पहुंची. जहां एक खास तरह का दबाव डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ पर दिखाई दिया. दूसरी लहर में मरीजों में नौजवान ज्यादा हैं. डॉक्टर व नर्स सिर्फ मरीजों को बचाने के लिए काम नहीं कर रहे हैं बल्कि अपने परिवार के सदस्यों को बचाने के लिए भी दिन रात जुटे हुए हैं. इस बीमारी की गंभीरता को समझते हुए सुरक्षा के सभी मानकों को पूरा किया गया है, साथल ही मरीजों की निजता का सम्मान करते हुए उनकी पहचान उजागर नहीं करने का फैसला किया गया है. 

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ICU में तैनात डॉक्टर सुमित ने बताते हैं कि इस वक्त यहां क्षमता से ज्यादा मरीज हैं. ICU वॉर्ड में 40 बेड मौजूद थे, जिन्हें बढ़ाकर 48 तक किया जा सकता था लेकिन हालात ऐसे हैं कि हम 56 बेडों के साथ काम कर रहे हैं. मरीजों की संख्या 68 हो चुकी है, जिसमें से 50 का इलाज वेंटिलेटर पर चल रहा है. उन्होंने बताया कि इस वक्त नर्सों पर अतिरिक्त दबाव है. आम तौर पर 3 मरीज़ों और 2 नर्स का औसत होता है.लेकिन इस वक्त 1 नर्स और 3 मरीज़ या 2 नर्स और 7 मरीज़ों का औसत है. क्योंकि नर्स भी बीमार पड़ रही हैं.क्षमता से ज़्यादा काम की वजह से वो थकी हुई हैं. हर कोई अपनी क्षमता से ज़्यादा काम कर रहा है. हमने अपने कॉलेज से कुछ नर्स और नर्सिंग इंटर्न को ड्यूटी पर लगाया है. 

डॉक्टर के मुताबिक मरीज तो बढ़ गए हैं लेकिन स्टाफ उतना ही है, ICU के लिए हमने अपनी क्षमता काफ़ी बढ़ाई, स्टाफ लगभग उतना ही रहा लेकिन 65% ज़्यादा क्षमता बढ़ाई, बीमारी की गंभीरता भी ज़्यादा हो गई है. उन्होंने बताया कि पूरे सिस्टम पर बहुत ज़्यादा बोझ आ बढ़ गया है. जिनको ICU में होना चाहिए था वो मरीज़ भी वार्ड में हैं. जो वाकई बहुत गंभीर हों उनको ICU में होना चाहिए, बाकी का इलाज वार्ड में हो सकता है. डॉक्टर के अनुसार हर मरीज़ वाकई गंभीर तौर पर बीमार है. संख्या काफी ज़्यादा है. हमने अस्पताल के बेड 40 फीसदी तक बढ़ा दिये हैं. पहले हमारे पास व्यस्कों के लिए 275 बेड थे, जो अब 385 से 390 के बीच हैं. मरीज़ गलियारों में भी हैं और दूसरे इलाकों में भी.

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उन्होंने बताया कि पिछले 4-5 दिनों में हालातों में कुछ सुधार आया है लेकिन 23 अप्रैल के बाद तकरीबन एक हफ्ते तक हालात बहुत खराब थे. हर दिन-हर घंटे और कई बार हर मिनट पर ऐसा लगा कि बस ऑक्सीजन खत्म होने को है. डॉक्टर ने कहा कि एक वक्त ऐसा भी आया कि जब हमारा अस्पताल किसी भी वक्त बत्रा (अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने के कारण कई मरीजों की मौत) बन सकता था. ना सिर्फ हमारा अस्पताल बल्कि दूसरे भी...लेकिन ऐसा टल गया. उन्होंने बताया कि कैसे रात में आखिरी वक्त पर ऑक्सीजन का इंतज़ाम किया गया. दिल्ली सरकार, स्थानीय अफसर, नोडल अफसर वगैरह अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहे थे. लेकिन हर जगह संकट था इसलिए टैंकर कम ऑक्सीजन के साथ ही पहुंच पा रहे थे.

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ऑक्सीजन की कमी पर चर्चा करते हुए डॉक्टर ने बताया कि जब हमारे पास ऑक्सीजन की कमी थी, तब हम सब सिलिंडरों और एंबु बैग्स के साथ तैयार थे. ताकि अगर ऑक्सीजन खत्म हो जाए तो हम कुछ मिनट तक काम चला सकें. उन्होंने बताया कि हमारा ध्यान जिंदगी के लिये लड़ रहे उन लोगों पर गया जो नौजवान थे. एक मरीज के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि 29 साल की महिला हैं, जब वह ICU में थीं तब उन्होने एक बच्चे को जन्म दिया. मां अभी भी वेंटिलेटर पर है लेकिन राहत की बात ये है कि अब वो ठीक हो रही है और जब वो वेंटिलेटर से हटेंगी तो तुरंत बच्चे से नहीं मिल सकेंगी. 

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ICU के भीतर हर तरफ लगभग हर बेड पर नौजवान हैं. डॉक्टर सुमित बताते हैं कि कोविड के मरीजों के अंदर संक्रमण के कारण दूसरे बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है. कई मरीजों को वेंटिलेटर पर ले जाना पड़ता है. हर मरीज डॉक्टर को देखते ही एक सवाल पूछता है कि मैं वार्ड में कब शिफ्ट होउंगा.