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This Article is From Jan 16, 2015

बनारस की समस्याओं पर पीएम मोदी को एक किलोमीटर लंबा शिकायती खत

वाराणसी:

कूड़े के ढेर से परेशान बनारस, सीवर के पानी से बेहाल बनारस, जाम से निजात पाने को बेताब बनारस। ये ऐसी समस्याएं हैं, जो बनारस दशकों से झेल रहा है। नरेंद्र मोदी के यहां से चुनाव लड़ने और प्रधानमंत्री बनने के बाद लोगों में उम्मीद जगी थी कि ये समस्याएं चंद दिनों में ठीक हो जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।  लिहाजा प्रधानमंत्री तक इन समस्याओं को पहुंचाने के लिए बनारस के एक एनजीओ जनसेवा समिति ने पहल कार्यक्रम के बैनर तले लोगों की शिकायत और सुझाव से भरा एक किलोमीटर लंबी चिट्ठी लिखवा रहे हैं। अब तक तक़रीबन 400 मीटर लंबा शिकायती खत तैयार हो चुका है।

इसकी शुरुआत लगभग दो महीने पहले बनारस के शहीद उद्यान से शुरू हुआ, उसके बाद यह बनारस के अलग-अलग इलाके जैसे दशाश्वमेघ घाट, सिगरा स्टेडियम, बीएचयू जैसी जगहों पर लोगों की समस्याओं को दर्ज़ कराया गया।  

बनारस के शहीद उद्यान पार्क में अपनी समस्या को पीएम मोदी तक पहुंचाने के लिए लोगों की होड़ लगी रही। इन्ही में एक  अनवर खान भी है। अनवर सीवर के पानी, कूड़े के ढेर और नगर निगम की बेपरवाही से बेहद परेशान है। कई दफे शिकायत की लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। आज जब उन्हें इस खत के बारे में पता चला तो रोज़ की मॉर्निंग वॉक से पहले अपनी समस्या लिखना ज़रूरी समझा। इसके पीछे इनका अपना दर्द भी है।

अनवर कहते हैं, 'यहां का नगर निगम बहुत जागरूक नहीं हैं> शिकायत करने पर थोड़ा सा क़दम उठाते हैं, फिर शांत हो जाते हैं। मोदी जी आए थे बनारस की सफाई के लिए उस वक़्त सफाईकर्मी लगे रहते थे, लेकिन उनके जाते ही फिर बनारस वैसे ही हो गया।

अपनी समस्या को पीएम तक पहुंचाने के लिए अनवर अकेले बेताब नहीं दिखे। और भी बहुत से लोग आगे आए और जैसे ही पार्क में लंबे काग़ज़ फैलाए गए वैसे ही लोगों का गुबार इस लेटर में उभरने लगा, जिसमे सड़क, नाली, गली, सीवर जैसी बुनियादी परेशानियों से खत की लंबाई बढ़ने लगी।

इस खत में जितने हांथ उतनी तरह की समस्याएं पढ़ने को मिलने लगीं। महिलाएं भी इसमे पीछे नहीं थी, क्योंकि घर में इन समस्याओं से सबसे ज्यादा वही दो-चार होती हैं। इनमें से एक  आराधना ने लिखा, 'हम लोगों की तरफ पानी बहुत गंदा आता है। बिना आरओ के पानी नहीं पी सकते हैं। मिडिल क्लास के लोग इसका खर्च अफोर्ड नहीं कर सकते, फिर भी करना पड़ता है, क्योंकि अगर आरओ नहीं लगाया, तो गंदा पानी ही पीना पड़ता है, जिससे बिमारियां होती हैं।

एक किलोमीटर लंबे इस खत में समस्याओं की बड़ी विविधता भी है, क्योंकि यह खत हर रोज़ बनारस के किसी नए इलाके में होता है और जहां यह पहुंचता है वहां की समस्याएं इसमे दर्ज़ होने लगती है।

मसलन अगर बीएचयू में पहुंचा तो शिक्षण व्यवस्था से लेकर हॉस्टल की समस्या। महिलाओं के सामने पहुंचा तो नारी सुरक्षा का मसला, गरीबों तक पहुंचा तो महंगाई की शिकायत। इस तरह की शिकायतें समेटे यह खत अब तक 450 मीटर की लंबाई पर पहुंच चुका है। जैसे ही यह एक किलोमीटर की लंबाई पूरी कर लेगा, यह पीएम तक पहुंचा दिया जाएगा।

जन सेवा समिति के सदस्य अभिषेक कुमार ने विस्तार से बताते हुए कहा कि इसमे हम बनारस में रह रहे लोगों से उनकी समस्याएं लिखवाते हैं और उनसे ये समाधान भी पूछते हैं कि इसे कैसे इसे दूर किया जा सकता है।

इस खत में भले ही अलग-अलग तरह की समस्याएं हो, लेकिन सबसे ज्यादा समस्या कूड़ा और सीवर के पानी की है। इसकी वजह भी साफ़ है, कूड़े के प्रबंधन में इस शहर को देश के सबसे गंदे शहरों की पहली लिस्ट की फेहरिस्त में शुमार करा दिया है।

गौरतलब है कि 19 लाख की आबादी वाले शहर में हर रोज़ कूड़े की निकासी 600 मीट्रिक टन होती है। 500 मीट्रिक टन के उठान का दावा है, लेकिन रमना डम्पिंग क्षेत्र का रास्ता खराब है और ग्रामीणों के विरोध की वजह से वहां कूड़ा नहीं जा रहा। करसड़ा डंपिंग क्षेत्र में प्लांट का संचालन ठप्प है। कूड़ा घरों में से 23 बंद हैं सिर्फ दो खुले हैं। यही हाल सीवर का है, जिसमें जगह-जगह लीकेज है, जिसका गंदा पानी टूटे सर्विस पाइप लाइन के जरिए लोगों के घरों तक पहुंच रहा है और लोग यही पानी पीने को मज़बूर हैं।

गौरतलब है कि यहां के सांसद जैसे ही देश के प्रधानमंत्री बने बनारस उम्मीदों के नाव पर सवार हो गया, क्योंकि उसे लगने लगा कि जो समस्याएं वह दशकों से झेल रहे हैं अब चंद दिनों में वह ठीक हो जाएंगी, लेकिन हालात अभी जस की तस है।

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