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This Article is From Jul 14, 2021

चीनी विदेश मंत्री से मिले एस जयशंकर, LAC पर जारी तनाव को लेकर हुई चर्चा

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से इतर चीन के अपने समकक्ष वांग यी से मुलाकात की. एक घंटे चली इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच LAC पर जारी तनाव को लेकर चर्चा हुई.

चीनी विदेश मंत्री से मिले एस जयशंकर, LAC पर जारी तनाव को लेकर हुई चर्चा
नई दिल्ली:

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से इतर चीन के अपने समकक्ष वांग यी से मुलाकात की. एक घंटे चली इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच LAC पर जारी तनाव को लेकर चर्चा हुई. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. इस बैठक में दोनों ही पक्ष जल्द ही वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की बैठक आयोजित करने पर सहमत हुए. एस जयशंकर ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का जिक्र करते हुए ट्वीट किया, "दुशांबे एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर स्टेट काउंसलर और चीन के एफएम वांग यी के साथ एक घंटे की द्विपक्षीय बैठक समाप्त हुई. चर्चा पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ लगे मुद्दों पर केंद्रित थी."

विदेश मंत्री ने अपने चीनी समकक्ष के साथ हाथ मिलाते हुए उनकी एक तस्वीर के साथ ट्वीट किया, "इस बात पर प्रकाश डाला गया कि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव स्वीकार्य नहीं है. हमारे संबंधों के विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और शांति की पूर्ण बहाली और रखरखाव आवश्यक है. वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की जल्द बैठक बुलाने पर सहमति बनी."

विदेश मंत्रालय के अनुसार दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन के इतर एक घंटे तक चली बैठक के दौरान, दोनों मंत्रियों ने जल्द ही अगले दौर की सैन्य वार्ता आयोजित करने पर सहमति जतायी, जिसका केन्द्र पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए लंबित मुद्दों पर चर्चा करने पर होना चाहिये. मंत्रालय ने कहा कि इस बात पर भी सहमति बनी है कि दोनों पक्ष जमीनी स्तर पर स्थिरता सुनिश्चित करना जारी रखेंगे और कोई भी पक्ष एकतरफा कार्रवाई नहीं करेगा, जिससे तनाव में वृद्धि हो.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि वार्ता के दौरान जयशंकर ने याद दिलाया कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि मौजूदा स्थिति को लम्बा खींचना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है और यह ''संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है.''

जयशंकर ने संबंधों का समग्र आकलन करते हुए जोर देकर कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना 1988 से संबंधों के विकास की नींव रहा है. (इनपुट भाषा से...)

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