कृषि आंदोलन के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन शुक्रवार को अपने 44वें दिन में प्रवेश कर चुका है. शुक्रवार को फिर किसानों और सरकार के बीच इन कानूनों पर बातचीत होगी. इसके पहले किसान नेता सात बार सरकार से मिल चुके हैं. चूंकि किसानों की सीधी मांग इन कानूनों को वापस लेने की है, ऐसे में मामले पर अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है क्योंकि सरकार ये कानून वापस लेने को राजी नहीं है. उसने संशोधनों का प्रस्ताव रखा है लेकिन किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि वो इन कानूनों को पूरी तरह खत्म किए जाने की मांग पर अड़े हैं.
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किसान नेताओं और सरकार के बीच आज आठवें दौर की बातचीत होगी. यह बैठक दोपहर 2 बजे से दिल्ली के विज्ञान भवन में होगी. किसान फिर इन कानूनों को वापस लिए जाने की मांग के साथ सरकार से मिलेंगे.
इसके पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा कि उन्हें आज कोई समाधान निकलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, 'मुझे आशा है कि आज बातचीत सकारात्मक माहौल में होगी और कोई समाधान निकलेगा. बातचीत के दौरान, दोनों पक्षों को हल निकालने के लिए कदम उठाने होंगे.'
बता दें कि किसान संगठनों ने गुरुवार को दिल्ली के आसपास के इलाकों में ट्रैक्टर रैली निकाली थी. किसानों का दावा है कि कल हुए ट्रैक्टर मार्च में 10000 ट्रैक्टरों ने लिया भाग था. उनकी धमकी है कि अगर तीनों क़ानून रद्द नहीं हुए तो 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च करेंगे. प्रमुख किसान नेता राकेश टिकैत ने कल कहा था कि राजपथ पर 26 जनवरी को टैंक और ट्रैक्टर दोनों देखने को मिलेंगे.
पिछली बैठक 4 जनवरी को हुई थी, जिसमें कोई नतीजा नहीं निकला था. बैठक के बाद किसान नेताओं ने बताया था कि सरकार कानूनों को वापस लेने से इनकार कर रही है. वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा था कि 'किसान इन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं.'
कृषि मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया था कि 'हम इन कानूनों पर क्लॉज़ बाई क्लॉज़ बात करने को तैयार हैं और अगर किसी बिंदु पर आपको आपत्ति होगी तो हम उसपर विचार करने के बाद उसमें संशोधन करने को तैयार हैं.'
सातवें राउंड के बाद दोनों ही पक्ष अपने-अपने रुख पर और सख्त हो गए लगते हैं. इस बातचीत के बाद जहां किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली, वहीं नरेंद्र तोमर ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते संजय नाथ सिंह से मुलाकात की थी, जो इन कानूनों का समर्थन कर रहे हैं. संजय नाथ सिंह ने कहा कि शास्त्री जी किसानों के हित में MSP सिस्टम लेकर आए थे लेकिन कृषि अर्थव्यवस्था के बदलने के चलते आज किसानों को अपनी फसल को अपनी मर्जी से बेचने की आजादी मिलनी चाहिए.
बता दें कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दूसरे कई राज्यों के किसान दिल्ली की कई सीमाओं पर जमा हैं और 25 नवंबर से ही प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग तीन नए कृषि कानूनों को वापस करने की हैं. इन्हें सरकार ने सितंबर में संसद में पास किया था.
ये तीन नए कानून हैं- 'कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020', 'कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020' और 'आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक, 2020'. किसानों को डर है कि इससे उनकी जमीन और फसल पर से अधिकार कम हो जाएगा और वो कॉरपोरेट कंपनियों के मोहताज हो जाएंगे. उन्हें MSP सिस्टम खत्म होने का भी डर है, लेकिन सरकार का कहना है कि ये कानून उनके हित में लाए गए हैं.