लोकसभा चुनाव से पहले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कर्मचारी प्रॉविडेंट फंड पर साल 2018-19 के लिए ब्याज की दर 8.55% से बढ़ाकर 8.65% की. सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने इसे मंजूरी दे दी है. श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने इसकी जानकारी दी. इससे पिछले वित्त वर्ष में यह ब्याज दर 8.55 प्रतिशत वार्षिक थी. श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि ईपीएफओ के न्यासियों के केंद्रीय बोर्ड (सीबीटी) के सभी सदस्यों ने एक बैठक में यह निर्णय लिया. ईपीएफओ के अंशधारकों की संख्या करीब 6 करोड़ है.
सीबीटी की बैठक के बाद गंगवार ने कहा कि अब इस प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाएगा. सीबीटी के निर्णय लेने के बाद प्रस्ताव को मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय भेजा जाता है. वित्त मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद ब्याज को उपयोक्ताओं के खाते में डाल दिया जाता है.
वित्त वर्ष 2017-18 में ईपीएफओ ने पांच साल का सबसे कम ब्याज दिया जो 8.55 प्रतिशत था. इससे पहले 2016-17 में यह दर 8.65 प्रतिशत, 2015-16 में 8.8 प्रतिशत, 2014-15 और 2013-14 में 8.75 प्रतिशत थी.
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हालांकि सूत्र ने इस अटकल को भी पूरी तरह खारिज नहीं किया कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष के लिये ईपीएफ जमा पर ब्याज दर 8.55 प्रतिशत से अधिक हो सकती श्रम मंत्री की अध्यक्षता वाला न्यासी बोर्ड ईपीएफओ का निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय है जो वित्त वर्ष के लिये भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर को अंतिम रूप देता है. वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद ब्याज दर को अंशधारक के खाते में डाला जाएगा.
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