यह ख़बर 04 मई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

खांडू के हेलीकॉप्टर को खोजने के प्रयास नाकाम

खास बातें

  • अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू सहित चार अन्य लोगों को लेकर लापता हुए हेलीकॉप्टर का पता नहीं चल सका है।
ईटानगर:

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू सहित चार अन्य लोगों को लेकर लापता हुए हेलीकॉप्टर का पता नहीं चल सका है। अधिकारियों ने लोगों के बीच पनप रहे असंतोष और गुस्से के बीच इस बात की जानकारी दी। खांडू सहित पांच लोगों को लेकर शनिवार सुबह उड़ा पवन हंस एएस350 बी-3 हेलीकॉप्टर तवांग से लापता है। हेलीकॉप्टर के पायलट ने उड़ान भरने के 20 मिनट बाद अंतिम बार चीनी सीमा के करीब सेला दर्रे के करीब 13,700 फुट की ऊंचाई पर रहते हुए सम्पर्क साधा था। इस सम्बंध में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री वी. नारायणसामी ने पत्रकारों से कहा, "अब तक कोई समाचार नहीं मिल सका है। बचाव दल अपने काम में नाकाम रहा है। तलाशी अभियान में सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों के 3000 जवानों को लगाया गया है लेकिन इसके बावजूद अब तक कोई परिणाम नहीं निकल सका है। " बचाव दल में शामिल टीमें लापता हेलीकॉप्टर का मुख्य तौर पर सात जगहों पर तलाश कर रहे हैं। इनमें से एक स्थान भूटान में स्थित है। सात में से दो स्थानों पर तलाशी का काम पूरा हो चुका है लेकिन दल को हेलीकॉप्टर का मलबा नहीं मिला है। दो अन्य स्थानों पर मंगलवार देर रात तक पहुंचा जा सकता है। नारायणसामी ने कहा, "भारी बर्फबारी और बारिश के कारण दृश्यता कम हो गई है। इससे तलाशी अभियान बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। बारिश के कारण काम अपेक्षित तेजी से नहीं हो पा रहा है।" तलाशी अभियान में नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनजीआरएफ) के 38 कमांडो भी लगाए गए हैं। मंत्री ने बताया कि इसके अलावा 1000 स्थानीय लोग भी तलाशी अभियान में मदद कर रहे हैं। इससे पहले, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मुकुल वासनिक ने कहा था कि खांडू को लेकर लापता हुए हेलीकॉप्टर का पता लगाने में लगा बचाव दल शाम चार बजे तक कुछ ठोस जानकारियां उपलब्ध कराएगा। वासनिक ने संवाददाताओं से कहा, "हम शाम चार बजे तक कुछ ठोस जानकारी उपलब्ध कराने की स्थिति में होंगे। सेना और अर्धसैनिक बलों के प्रशिक्षित जवान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राडार द्वारा पहचान किए गए सम्भावित स्थान तक पहुंचे की कोशिश कर रहे हैं।" बचाव दल की टीमें सेला र्दे के पास पर्वतीय इलाके में उस जगह पहुंचने की कोशिश कर रही हैं, जहां पर इसरो के राडार ने धातु के टुकड़ों की पहचान की है। राज्य के गृहमंत्री ताको दबई ने बताया कि प्रतिकूल मौसम होने से तलाशी अभियान में देरी हो रही है। राहत टीमें लगातार काम कर रही हैं। बचाव दल को एक किलोमीटर दूरी तय करने में लगभग एक घंटे लग रहे हैं। लापता हेलीकॉप्टर का पहला सम्भावित सुराग सोमवार रात को उस समय मिला जब इसरो ने सेला दर्रे के निकट नागारजीजी में धातुओं के कुछ टुकड़ों की पहचान करने का दावा किया। इसरो के राडार ने इस इलाके में कुछ धातु के चमकीले टुकड़ों का पता लगाया है। ऐसा माना जा रहा है कि सम्भवत: यह टुकड़े लापता हेलीकॉप्टर के हो सकते हैं। आपदा प्रबंधन टीम के एक अधिकारी ने बताया, "सेला दर्रे के ऊपर मूसलाधार बारिश होने से तलाशी अभियान चलाने में बचाव दल के सामने परेशानियां खड़ी हो रही। बचाव दल ने मंगलवार को एक निश्चित स्थान पर तलाशी अभियान शुरू किया।" तलाशी अभियान के तहत दो एमआई-17 हेलीकॉप्टरों ने सेला दर्रा के ऊपर सर्वेक्षण अभियान शुरू किया है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री खांडू और चार अन्य लोगों के ले जा रहा पवन हंस का एएस350 बी-3 हेलीकॉप्टर शनिवार को लापता हो गया था। हेलीकॉप्टर ने शनिवार को तवांग से 9.50 बजे सुबह उड़ान भरी थी।


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