नई दिल्ली:
दिल्ली में पिछले माह हुए सनसनीखेज गैंगरेप और हत्या के मामले में पुलिस ने कुल छह में पांच आरोपियों के खिलाफ गुरुवार को चार्जशीट दायर कर दी, लेकिन छठे अभियुक्त पर फिलहाल कोई आरोप नहीं लगाया गया है, क्योंकि उसका दावा है कि वह नाबालिग है। उसके दावे की जांच के लिए उसकी हड्डियों का टेस्ट कराया गया है, और यदि इसमें वह नाबालिग ही साबित हुआ तो उस पर मुकदमा जुवेनाइल कोर्ट में चलेगा, और उसे अधिकतम तीन वर्ष की कैद की सज़ा सुनाई जा सकेगी, और वह भी उसे जेल में नहीं, सुधारगृह में रहकर काटनी होगी।
दरअसल, 16 दिसम्बर की रात को पीड़ित लड़की जब अपने एक पुरुष मित्र के साथ फिल्म देखकर घर लौट रही थी, वे एक बस में सवार हुए, जिसमें इन छह लोगों ने उन पर धावा बोल दिया, और बारी-बारी से लड़की के साथ बलात्कार करने के बाद लोहे के सरिये से उन्हें न सिर्फ पीटा, बल्कि लड़की के शरीर में सरिया घुसा भी दिया, जिससे घायल होने की वजह से ही 13 दिन बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में उसकी मौत भी हो गई।
इस मामले की विडम्बना यह है कि यही छठा अभियुक्त, जिसका नाम फिलहाल चार्जशीट में नहीं है, पीड़ित लड़की के प्रति सबसे ज़्यादा नृशंस रहा था। पुलिस सूत्रों ने एनडीटीवी को जानकारी दी है कि चार्जशीट में इस कथित नाबालिग अभियुक्त पर औपचारिक आरोप नहीं लगाए गए हैं, लेकिन उसकी हरकतों का ज़िक्र किया गया है। सूत्रों के अनुसार, इसी अभियुक्त ने लड़की के साथ दो बार बलात्कार किया, और उनमें से एक बार तो उस समय किया, जब लड़की बेहोश हो चुकी थी। इसके अलावा इसी लड़के ने अपने हाथों से लड़की की अंतड़ियों को बाहर खींच निकाला था, और इसी अभियुक्त ने पीड़ित लड़की और उसके मित्र को चलती बस से नीचे फेंक देने का सुझाव दिया था।
बताया जाता है कि पीड़ित लड़की का पुरुष मित्र अपनी चोटों से उबर चुका है, और उसके परिवार के करीबी एक वकील ने जानकारी दी है कि वह इस बात के लिए अपील करेगा, कि इस नाबालिग अभियुक्त पर भी वयस्क अभियुक्तों के साथ ही मुकदमा चलाया जाए। जबकि सूत्रों के अनुसार दिल्ली पुलिस इस नाबालिग अभियुक्त के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में रिपोर्ट दायर करने से पहले उसकी हड्डियों के टेस्ट के नतीजे आने का इंतज़ार करेगी।
यदि इस टेस्ट से सिद्ध होता है कि अभियुक्त नाबालिग नहीं है और उसकी उम्र 18 साल से अधिक है, तो पूरक आरोपपत्र (सप्लीमेंट्री चार्जशीट) दाखिल की जाएगी। परन्तु यदि वह नाबालिग ही साबित होता है तो पुलिस जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में रिपोर्ट दाखिल करेगी, औऱ उसके बाद इस अभियुक्त के विरुद्ध कार्रवाई शुरू होगी। लेकिन सबसे बड़ी विडम्बना यही है कि ऐसा होने पर इस सबसे ज़्यादा नृशंस रहे आरोपी को अधिकतम तीन साल की सज़ा दी जा सकेगी, वह भी सुधारगृह में, क्योंकि नाबालिगों पर हत्या का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
दरअसल, 16 दिसम्बर की रात को पीड़ित लड़की जब अपने एक पुरुष मित्र के साथ फिल्म देखकर घर लौट रही थी, वे एक बस में सवार हुए, जिसमें इन छह लोगों ने उन पर धावा बोल दिया, और बारी-बारी से लड़की के साथ बलात्कार करने के बाद लोहे के सरिये से उन्हें न सिर्फ पीटा, बल्कि लड़की के शरीर में सरिया घुसा भी दिया, जिससे घायल होने की वजह से ही 13 दिन बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में उसकी मौत भी हो गई।
इस मामले की विडम्बना यह है कि यही छठा अभियुक्त, जिसका नाम फिलहाल चार्जशीट में नहीं है, पीड़ित लड़की के प्रति सबसे ज़्यादा नृशंस रहा था। पुलिस सूत्रों ने एनडीटीवी को जानकारी दी है कि चार्जशीट में इस कथित नाबालिग अभियुक्त पर औपचारिक आरोप नहीं लगाए गए हैं, लेकिन उसकी हरकतों का ज़िक्र किया गया है। सूत्रों के अनुसार, इसी अभियुक्त ने लड़की के साथ दो बार बलात्कार किया, और उनमें से एक बार तो उस समय किया, जब लड़की बेहोश हो चुकी थी। इसके अलावा इसी लड़के ने अपने हाथों से लड़की की अंतड़ियों को बाहर खींच निकाला था, और इसी अभियुक्त ने पीड़ित लड़की और उसके मित्र को चलती बस से नीचे फेंक देने का सुझाव दिया था।
बताया जाता है कि पीड़ित लड़की का पुरुष मित्र अपनी चोटों से उबर चुका है, और उसके परिवार के करीबी एक वकील ने जानकारी दी है कि वह इस बात के लिए अपील करेगा, कि इस नाबालिग अभियुक्त पर भी वयस्क अभियुक्तों के साथ ही मुकदमा चलाया जाए। जबकि सूत्रों के अनुसार दिल्ली पुलिस इस नाबालिग अभियुक्त के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में रिपोर्ट दायर करने से पहले उसकी हड्डियों के टेस्ट के नतीजे आने का इंतज़ार करेगी।
यदि इस टेस्ट से सिद्ध होता है कि अभियुक्त नाबालिग नहीं है और उसकी उम्र 18 साल से अधिक है, तो पूरक आरोपपत्र (सप्लीमेंट्री चार्जशीट) दाखिल की जाएगी। परन्तु यदि वह नाबालिग ही साबित होता है तो पुलिस जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में रिपोर्ट दाखिल करेगी, औऱ उसके बाद इस अभियुक्त के विरुद्ध कार्रवाई शुरू होगी। लेकिन सबसे बड़ी विडम्बना यही है कि ऐसा होने पर इस सबसे ज़्यादा नृशंस रहे आरोपी को अधिकतम तीन साल की सज़ा दी जा सकेगी, वह भी सुधारगृह में, क्योंकि नाबालिगों पर हत्या का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
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