मनोहर पर्रिकर ने बदल डाली परंपरा : प्रमुख नियुक्तियों में सेना की नहीं, रक्षामंत्री की चलेगी

मनोहर पर्रिकर ने बदल डाली परंपरा : प्रमुख नियुक्तियों में सेना की नहीं, रक्षामंत्री की चलेगी

खास बातें

  • रक्षामंत्री सेनाप्रमुखों के पीएसओ की नियुक्ति में ज़्यादा रुचि ले रहे हैं
  • अब तक सेनाप्रमुखों व सर्विस मुख्यालय की सिफारिशों से फैसले होते थे
  • सूत्रों ने बताया, अब नियुक्तियों मे अंतिम निर्णय मंत्रालय का होगा
नई दिल्ली:

अब तक चली आ रही परंपराओं को बदलते हुए रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर अब थलसेना, नौसेना तथा वायुसेना के प्रमुखों, उपप्रमुखों तथा आर्मी कमांडरों के लिए नियुक्त किए जाने वाले प्रिंसिपल स्टाफ अफसरों (पीएसओ) की नियुक्ति में ज़्यादा रुचि ले रहे हैं. तीनों सेनाओं में इन वरिष्ठतम अधिकारियों की नियुक्ति पीएसओ के रूप में महत्वपूर्ण मसलों पर सेनाप्रमुखों को सुझाव देने के लिए की जाती है.

अब तक, रक्षा मंत्रालय इन नियुक्तियों के लिए सेनाप्रमुखों तथा सर्विस मुख्यालय से मिली सिफारिशों पर ही काम करता था, लेकिन सूत्रों ने NDTV को बताया है कि अब रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने सर्विस मुख्यालय को बता दिया है कि उनकी सिफारिशों पर गौर किया जाएगा, लेकिन अंतिम निर्णय मंत्रालय का होगा. इसके साथ ही पीएसओ की नियुक्ति के लिए की गई कुछ सिफारिशो को सवालों के साथ वापस भेज दिया गया है.

ऐसा समझा जा रहा है कि थलसेना प्रमुख द्वारा उपप्रमुख की नियुक्ति के लिए की गई सिफारिश को रक्षामंत्री ने स्वीकार कर लिया है, परन्तु उन्होंने कुछ मामलों में सेना मुख्यालय की सिफारिशों को नहीं माना है.

रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियो ने कहा कि रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने सेनाओं से कहा है कि वह उन सभी अधिकारियों की सूची मंत्रालय को भेजे, जो प्रमोशन के पात्र हो गए हैं, अब तक चली आ रही परंपरा के अनुरूप सिर्फ शीर्ष तीन-चार नामों को नहीं भेजा जाए. प्रक्रिया में यह बदलाव इसलिए किया गया है, क्योंकि बहुत-से सेवानिवृत्त सेनाधिकारियों ने रक्षामंत्री को सुझाव दिया था कि सेना मुख्यालय की सिफारिशों को अंतिम नहीं होना चाहिए.

इसके अलावा, ऐसे भी आरोप लगते रहे हैं कि कुछ नियुक्तियां रेजिमेंटल पसंद-नापसंद के आधार पर की जाती रही हैं. पूर्व रक्षामंत्रियों एके एंटनी और डॉ प्रणब मुखर्जी ने भी नियुक्तियों को लेकर सवाल किए थे, लेकिन वह नीति नहीं बनी थी, सिर्फ हस्तक्षेप बनकर रह गया था.

इसी मामले से जुड़ी एक जानकारी यह है कि रक्षा मंत्रालय ने वर्तमान में पुणे स्थित दक्षिण-पश्चिमी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को भारतीय थलसेना का उपप्रमुख नियुक्त कर दिया है. मौजूदा उपप्रमुख एमएमएस राय इसी माह सेवानिवृत्त हो रहे हैं. नए उपप्रमुख की नियुक्ति की घोषणा में हुई देरी के पीछे रक्षा मंत्रालय और सेना मुख्यालय के बीच हुए विचार-विमर्श को वजह बताया जा रहा है.

सूत्रों का कहना है कि रक्षा मंत्रालय ने लेफ्टिनेंट जनरल सुरिंदर सिंह की पश्चिमी सेना कमांडर के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दे दी है. वह मैकैनाइज़्ड इन्फैन्ट्री से हैं, और वर्तमान में सुखना-स्थित 33 कॉर्प्स के प्रमुख हैं. निवर्तमान पश्चिमी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह 31 जुलाई को ही सेवानिवृत्त हुए हैं. लेफ्टिनेंट जनरल एसके पाटयाल को मिलिटरी इंटेलिजेंस का महानिदेशक नियुक्त किया गया है. इनसे पहले मिलिटरी इंटेलिजेंस के महानिदेशक रहे लेफ्टिनेंट जनरल केजी कृष्णा भी 31 जुलाई को ही रिटायर हुए हैं, जबकि एसके पाटयाल इस वक्त लेह-स्थित 14 कॉर्प्स कमान के प्रमुख हैं.


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