घर लौट रहे मजदूरों के हैं बुरे हाल, महिला की सड़क पर हुई डिलीवरी, डेढ़ घंटे बाद फिर चलना शुरू किया, कुछ लोगों की रास्‍ते में ही मौत..

जिस महिला की रास्‍ते में ही डिलीवरी हुई, उनके पति राकेश ने बताया पिपरंगाव में पेट दुखने लगा और डिलीवरी हो गई. महिलाओं ने पर्दा बनाकर डिलीवरी के काम को अंजाम दिया और डेढ़ घंटे बाद हमने फिर चलता शुरू कर दिया. घर लौट रहे इन लोगों में फूलचंद की पत्नी भी हैं जिनको 8 महीने का गर्भ है ये भी नासिक से पैदल आ रहे हैं. वहां राशन पानी कुछ नहीं मिली इसलिये पैदल आना पड़ा.

घर लौट रहे मजदूरों के हैं बुरे हाल, महिला की सड़क पर हुई डिलीवरी, डेढ़ घंटे बाद फिर चलना शुरू किया, कुछ लोगों की रास्‍ते में ही मौत..

महाराष्‍ट्र से पैदल घर लौटते हुए महिला की रास्‍ते में ही डिलीवरी हो गई

भोपाल:

Coronavirus Lockdown: कोरोना वायरस की महामारी के कारण जारी लॉकडाउन के मद्देनजर सरकारें भले ही सक्रियता और तमाम इंतजामात का दावा कर रही हैं, लेकिन हकीकत में तस्वीरें बहुत दर्दनाक हैं, चलते-चलते कई मजदूर दम तोड़ रहे हैं तो कई महिलाएं प्रसव पीड़ा के बावजूद में पैदल चलने को मजबूर हैं. ऐसी ही एक तस्वीर आई है महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश की सीमा से. महाराष्‍ट्र के नासिक से मध्‍प्रदेश के सतना तक की 1100 किलोमीटर की पैदल यात्रा के दौरान पिपरगांव में मां को प्रसव-पीड़ा हुई और रास्ते में ही बच्चे को जन्म दिया. यही नहीं, डेढ़ घंटे बाद फिर पैदल चलना शुरू कर दिया.सेंधवा बॉर्डर से पुलिस अब इन्हें क्वारेंटीन सेंटर में लेकर आई है.

जिस महिला की रास्‍ते में ही डिलीवरी हुई, उनके पति राकेश ने बताया पिपरंगाव में पेट दुखने लगा और डिलीवरी हो गई. महिलाओं ने पर्दा बनाकर डिलीवरी के काम को अंजाम दिया और डेढ़ घंटे बाद हमने फिर चलता शुरू कर दिया. घर लौट रहे इन लोगों में फूलचंद की पत्नी भी हैं जिनको 8 महीने का गर्भ है ये भी नासिक से पैदल आ रहे हैं. वहां राशन पानी कुछ नहीं मिली इसलिये पैदल आना पड़ा.

सेंधवा ग्रामीण के थाना प्रभारी वीडीएस परिहार ने कहा, 'ये 15-16 मजदूर हैं, साथ में 8-10 बच्चे भी हैं.ये महाराष्‍ट्र से आ रहे थे. नासिक-धुलिया के बीच रोड पर ही डिलीवरी हो गई. महिलाओं ने परदा बनाकर डिलीवरी कराई. करीब डेढ़ घंटे रुके और फिर ये लोग चल दिए. यहां आने पर पुलिस को देखकर भागने लगे. हमने अपने अधिकारियों से बात की है और इनके लिये बस की व्यवस्था करवाई जा रही है. इन्‍हें सतना पहुंचाया जाएगा.

   
हालांकि हर श्रमिक इतना खुशकिस्मत नहीं कि घर पहुंच जाए. मुंबई से जौनपुर के लिये निकले अतुल की सेंधवा में तबीयत खराब हुई और बाद मेंमौत हो गई. काका पीछे से आ रहे थे, मोबाइल पर बात हुई, मिले मी, लेकिन जामली टोल प्लाजा के पास अचानक तबीयत बिगड़ी, एंबुलेंस से अस्पताल लाया गया लेकिन अतुल को बचा नहीं पाए.सागर में भी यूपी के सिद्धार्थ नगर जा रहे 36 साल के रामबली की मौत हो गई. बरा चौराहे पर चक्कर खाकर गिरे, बंडा अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टर बचा नहीं पाए.

थानेदार मकसूद अली ने बताया कि ये सागर तरफ से आ रहा था और अचानक गिर गये लोगों ने देखा 108 को फोन लगाया, जेब में आधार कार्ड मिला है परिवार को सूचना देने का काम जारी है. पीथमपुर के पास खंडवा गांव में मुम्बई से पैदल यूपी जा रहे एक मजदूर के भी मौत की खबर आई, परिजनों का कहना है कि मुंबई से पैदल निकले थे. रास्ते में उनके काका को तेज बुखार आया. छांव में थोड़े आराम के लिये रुके, जब उठे तो काका के शरीर में कोई हलचल नहीं थी. छिन्दवाड़ा बायपास रोड में बड़ी तादाद में मज़दूर महाराष्ट्र, गुजरात से अपने गांव की ओर लौटते दिख रहे हैं. इसमें से कुछ मजदूर बिहार, कुछ छतीसगढ़ और कुछ मध्यप्रदेश के हैं.कोई साइकिल से आ रहा है, कोई पैदल. रास्ते में ट्रक मिला तो थोड़ी देर का सफर आसान हो गया. कुछ लोगों ने खाना खिलाया, तो किसी ने पानी दिया.

कटनी के पीरबाबा बाईपास से यूं तो सैकड़ों वाहन गुजरते दिखाई देंगे लेकिन ट्रकों के अंदर का नजारा ही दिल झझकोर देने वाला है. मुम्बई से ये लोग यूपी जा रहे हैं. भीषण गर्मी है, ट्रक में ठूंसकर बिठाया गया है. कहते हैं, पैसे बचे नहीं. हेल्पलाइन नंबर काम नहीं करता. बनारस जा रहे कृष्णकुमार ने कहा सरकार ने भले ही लोगों को मदद के लिए हेल्पलाइन नम्बर जारी किया है लेकिन उन्हें परेशानी के सिवाय कुछ नहीं मिला. वहीं गिरिजाशंकर यादव ने कहा मुम्बई में भूखे रह रहे थे, पैसे भी नहीं बचे हैं ऐसे में अपने गांव वापस जाना ही पड़ रहा है, गांव पहुंचकर गेहूं किराया के रूप में देंगे. 

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ब्यावरा से गुना रोड पर मुंबई से आ रहा ऑटो हादसे का शिकार हुआ, 5 लोग घायल हुए. ये सारे लोग मुंबई से एक ही ऑटो में सवाल थे.अपने घर यूपी के लिए निकले थे. दूसरा हादसा भी गुना रोड से तोड़ी दूर खानपुरा में हुआ जहां पिकअप में ट्रक ने टक्कर मार दी, हादसे में 15 लोग घायल हो गए. मध्यप्रदेश के 16 मजदूरों की ट्रेन से कटकर मौत हुई, 6 श्रमिक नरसिंहपुर में मारे गए. कुछ का तो दावा है कि लॉकडाउन के बाद अलग-अलग वजहों से 378 लोगों की मौत हुई है, जिसमें 74 लोगों की विस्थापन के दौरान सड़क हादसों में मौत हुई है. पैसों की दिक्कत से 47 लोगों की मौत हुई. सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश के 23 श्रमिक मारे गये हैं. इन हादसों के बीच मध्यप्रदेश सरकार ने 1 लाख 90000 श्रमिकों को वापस लाने का दावा किया है, 30 ट्रेनें चल चुकी हैं. मध्यप्रदेश से दूसरे राज्यों में जाने के लिये 1,20,000 श्रमिकों ने अपना पंजीयन करवाया है.