कोरोना वायरस का संकट गहराता जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का साया लंबा होता जा रहा है और अब भारत भी उसकी चपेट में आ चुका है. सोमवार को स्टॉक मार्केट 1941 प्वाइंट तक लुढ़का. सबसे ज़्यादा तनाव इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में है. दुनिया भर में 100 से ज़्यादा देशों में कोरोना वायरस का संकट फैल चुका है और इसका साया अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी गहराता जा रहा है. सोमवार को ट्रेडिंग के दौरान एक समय सेंसेक्स 2400 प्वाइंट्स तक लुढ़क गया था. पिछले दस साल में किसी एक दिन में ये सबसे बड़ी गिरावट है. अगस्त, 2015 के बाद प्रतिशत के लिहाज़ से ये सबसे बड़ी गिरावट थी. कोरोना वयरस और कच्चे तेल की कीमतों में 30% गिरावट को इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बताया जा रहा है.
अर्थशास्त्री वेद जैन ने एनडीटीवी से कहा, 'स्टॉक मार्केट में भारी गिरावट की दो मुख्य वजहें हैं. पहला कोरोना वायरस का फैलता संकट और दूसरा कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट. सऊदी अरेबिया और रशिया के बीच में जो टकराव हुआ है उसकी वजह से कच्चे तेल की कीमतें 30 फ़ीसदी तक घट गई हैं. इसका अर्थव्यवस्था पर काफी ज्यादा असर पड़ रहा है. रुपया डालर के मुकाबला कमज़ोर हो गया है.'
कोरोना के खौफ की वजह से लोग ट्रैवल कम कर रहे हैं, एयरलाइन्स कंपनियां इसकी मार झेल रही हैं. इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के मुताबिक ग्लोबल एयरलाइन्स को 113 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. होटल उद्योग संकट में फंसा है क्योंकि पर्यटन उद्योग गिरता जा रहा है. मुर्गीपालन उद्योग ने 17000 करोड़ के मुकसान की बात सरकार को बतायी है. कुछ दवाईयों का एक्सपोर्ट रोका गया है जिससे आगे चलकर कोई कमी ना हो.
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दरअसल भारतीय उद्योग जगत तनाव में है क्योंकि मैन्यूफैकचरिंग सेक्टर में विशेषकर इलेक्ट्रानिक्स सेक्टर में विदेशों से आने वाला कच्चा माल का बड़ा हिस्सा चीन से आता है.सीआईआई समिति के चेयरमैन विनोद शर्मा ने एनडीटीवी से कहा, 'इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग सबसे ज्यादा प्रभावित है. इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में 40 से 50 फीसदी हमारा बिजनेस चीनी कंपनियों पर निर्भर है. मोबाइल फोन 80 से 85 फीसदी तक निर्भर हैं चीन पर. कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर का 20 से 30 फीसदी तक का बिजनेस चीन पर निर्भर है.'
साफ है, सरकार को दो मोर्चों पर कोरोनावायरस से जंग लड़नी पड़ रही है - एक तरफ पीड़ितों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है, वहां दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था पर भी इसका साया बढ़ता जा रहा है. साफ है, चुनौती बड़ी होती जा रही है.
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