लोकनायक जयप्रकाश नारायण की फाइल तस्वीर
बलिया:
'लोकनायक' जय प्रकाश नारायण का स्मारक बिहार के लाला का टोला गांव में बनवाने के केंद्रीय मंत्रिपरिषद के फैसले को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
लोकनायक के परिजन तथा समर्थकों ने बलिया के जेपी नगर को उनका असली जन्मस्थान बताते हुए केंद्र सरकार के निर्णय को बिहार विधानसभा चुनाव में लाभ लेने के लिए उठाया गया कदम करार दिया है।
सम्पूर्ण क्रांति के प्रणेता रहे जयप्रकाश नारायण की भतीजी अंजू सिन्हा ने कहा कि बिहार के लाला का टोला गांव को लोकनायक का जन्मस्थान घोषित करके वहां एक राष्ट्रीय स्मारक बनवाने का केंद्र सरकार का फैसला बिल्कुल गलत है।
उन्होंने कहा कि बलिया के जेपी नगर, जो पूर्व सिताबदियारा गांव का हिस्सा था, ही नारायण का जन्मस्थान है और इसे दुनिया ने माना है। वर्ष 2001 में लोकनायक के जन्मशती समारोह का आयोजन जेपी नगर में ही हुआ था, जिसमें तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत अनेक बड़ी राजनीतिक हस्तियों ने शिरकत की थी।
अंजू ने कहा कि नारायण को 'भारत रत्न' देने से पहले केंद्र सरकार ने उनके जन्मस्थान को लेकर छानबीन कराई थी, जिसमें जेपी नगर को ही उनकी जन्मस्थली माना गया था। केंद्र सरकार के अभिलेखों में भी यही दर्ज है। ऐसे में बिहार के छपरा जिले में स्थित लाला का टोला गांव को नारायण का जन्मस्थान बताया जाना बिल्कुल अनुचित है।
अंजू सिन्हा ने कहा कि ऐसा लगता है कि बिहार विधानसभा चुनाव में फायदा लेने के लिए केंद्र की बीजेपी नीत
एनडीए सरकार ने यह कदम उठाया है।
उल्लेखनीय है कि गत 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक में जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थली बिहार के छपरा स्थित लाला का टोला गांव में राष्ट्रीय स्मारक बनाए जाने के संस्कृति मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।
जयप्रकाश नारायण की भतीजी अंजू के मुताबिक, लाला का टोला उनका पुश्तैनी गांव है, लेकिन जेपी के जन्म के समय गांव में प्लेग फैलने की वजह से उनकी मां सिताबदियारा गांव के उस हिस्से जिसे अब जेपी नगर कहा जाता है, में आ गई थीं। जिस स्थान पर इस वक्त लोकनायक जयप्रकाश नारायण गांव स्थापित है, उसी के एक कमरे में उनका जन्म हुआ था।
लोकनायक के परिजन तथा समर्थकों ने बलिया के जेपी नगर को उनका असली जन्मस्थान बताते हुए केंद्र सरकार के निर्णय को बिहार विधानसभा चुनाव में लाभ लेने के लिए उठाया गया कदम करार दिया है।
सम्पूर्ण क्रांति के प्रणेता रहे जयप्रकाश नारायण की भतीजी अंजू सिन्हा ने कहा कि बिहार के लाला का टोला गांव को लोकनायक का जन्मस्थान घोषित करके वहां एक राष्ट्रीय स्मारक बनवाने का केंद्र सरकार का फैसला बिल्कुल गलत है।
उन्होंने कहा कि बलिया के जेपी नगर, जो पूर्व सिताबदियारा गांव का हिस्सा था, ही नारायण का जन्मस्थान है और इसे दुनिया ने माना है। वर्ष 2001 में लोकनायक के जन्मशती समारोह का आयोजन जेपी नगर में ही हुआ था, जिसमें तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत अनेक बड़ी राजनीतिक हस्तियों ने शिरकत की थी।
अंजू ने कहा कि नारायण को 'भारत रत्न' देने से पहले केंद्र सरकार ने उनके जन्मस्थान को लेकर छानबीन कराई थी, जिसमें जेपी नगर को ही उनकी जन्मस्थली माना गया था। केंद्र सरकार के अभिलेखों में भी यही दर्ज है। ऐसे में बिहार के छपरा जिले में स्थित लाला का टोला गांव को नारायण का जन्मस्थान बताया जाना बिल्कुल अनुचित है।
अंजू सिन्हा ने कहा कि ऐसा लगता है कि बिहार विधानसभा चुनाव में फायदा लेने के लिए केंद्र की बीजेपी नीत
एनडीए सरकार ने यह कदम उठाया है।
उल्लेखनीय है कि गत 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक में जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थली बिहार के छपरा स्थित लाला का टोला गांव में राष्ट्रीय स्मारक बनाए जाने के संस्कृति मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।
जयप्रकाश नारायण की भतीजी अंजू के मुताबिक, लाला का टोला उनका पुश्तैनी गांव है, लेकिन जेपी के जन्म के समय गांव में प्लेग फैलने की वजह से उनकी मां सिताबदियारा गांव के उस हिस्से जिसे अब जेपी नगर कहा जाता है, में आ गई थीं। जिस स्थान पर इस वक्त लोकनायक जयप्रकाश नारायण गांव स्थापित है, उसी के एक कमरे में उनका जन्म हुआ था।
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