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This Article is From Feb 01, 2015

सिख विरोधी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए एसआईटी गठित करेगी केंद्र सरकार : सूत्र

सिख विरोधी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए एसआईटी गठित करेगी केंद्र सरकार : सूत्र
सिख विरोधी हिंसा के पीड़ित परिवारों का प्रदर्शन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के लिए उम्मीद की किरण एक बार फिर उभरी है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार जल्द फैसला लेने जा रही है कि जिन पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिल सका है, उनके मामलों की जांच फिर से कराई जाएगी।

गृह मंत्रालय के मुताबिक केंद्र सरकार जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम यानी एसआईटी बना सकती है। यह एसआईटी उन मामलों की जांच करेगी, जिन्हें पुलिस ने बंद कर दिए थे या फिर जो मामले अभी कोर्ट में आए ही नहीं। इस बारे में दिल्ली के चुनावों के बाद ऐलान किया जाएगा।

इसके सदस्यों में कौन लोग होंगे उसके बारे में गृह मंत्रालय का कहना है कि यह फैसला रिटायर्ड जस्टिस जीपी माथुर की रिपोर्ट को आधार बनाकर लिया जाएगा। जस्टिस माथुर ने अपनी 225 पन्नों की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कई ऐसे मामले हैं, जिन्हें फिर से जांच के दायरे में आना चाहिए, क्योंकि उनमें सबूतों को ठीक से परखा नहीं गया।

केंद्र सरकार ने जस्टिस माथुर समिति को जांच के लिए दिसंबर में नियुक्त किया था और तीन महीने का समय दिया था, लेकिन जस्टिस माथुर ने अपनी रिपोर्ट 45 दिनों में ही सौंप दी। सिख विरोधी हिंसा के कई पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस ने राजनैतिक दबाब में आकर कई मामले बंद कर दिए थे।

दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए काफी लंबे वक्त से लड़ रहे एचएस फुल्का कहते हैं कि करीब 237 मामले हैं, जिन्हें पुलिस ने बंद कर दिया था। फुल्का कहते हैं, "कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर के खिलाफ भी दो मामले हैं, जिनकी जांच दोबारा होनी चाहिए।"

उल्लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल भी अपनी रैलियों में ऐलान कर चुके हैं कि अगर उनकी सरकार आई, तो वह इस मामले में एसआईटी का गठन करेंगे। आम आदमी पार्टी ने कल अपना मेनिफेस्टो जारी करने के दौरान भी सिख विरोधी हिंसा की दोबारा एसआईटी जांच की बात कही थी। वैसे पिछले साल दिल्ली के चुनावों के ऐलान से पहले केंद्र सरकार ने कई पीड़ितों को पांच लाख मुआवजा देने का भी ऐलान किया था।

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