New Delhi:
पांच राज्यों की 800 से अधिक सीटों के लिए हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को छह सीट ही मिलने से निराश भाजपा ने शुक्रवार को माना कि उसका प्रदर्शन कतई संतोषजनक नहीं है। असम में सरकार बनाने के पार्टी के दावे की हवा निकलने पर उसने कहा कि वहां असम गण परिषद् से समझौता नहीं होने का पार्टी को खामियाजा उठाना पड़ा है। चुनावी नतीजों की समीक्षा के लिए भाजपा संसदीय बोर्ड की शाम को बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा, भाजपा का विचार है कि हर राज्य के चुनाव परिणामों के अलग-अलग कारक हैं। पश्चिम बंगाल में 34 साल के वाम शासन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर हावी रही जबकि तमिलनाडु में भ्रष्टाचार तथा परिवारवाद ने परिणामों को प्रभावित किया। उन्होंने स्वीकार किया कि असम में अकेले चुनाव लड़ने का भाजपा का फैसला गलत साबित हुआ। जेटली ने कहा, भाजपा को इस बात का खेद है कि असम में विपक्ष की एकता की कमी का कांग्रेस को फायदा उठाने का मौका मिल गया। राज्य में 2006 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 10 सीट मिली थीं जो इस बार घट कर पांच रह गई। उन्होंने कहा कि इन पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन कतई संतोषजनक नहीं है। भाजपा के खराब प्रदर्शन के बावजूद जेटली ने पश्चिम बंगाल और केरल में वाम मोर्चे की हार के लिए उसका मज़ाक बनाते हुए कहा, देर से ही सही मगर मार्क्सवादी विचारधारा का विश्व पैमाने पर शुरू हुआ पतन भारत में भी पंहुच ही गया। उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी की उस चुटकी पर कड़ी आपत्ति जताई जिसमें वित्त मंत्री ने कहा है कि अपने को राष्ट्रीय पार्टी कहाने वाली भाजपा पांच राज्यों की 800 से अधिक सीटों के लिए हुए चुनाव में केवल छह सीट ही जीत पाई। जेटली ने कहा कि यही बात कुछ महीने पहले बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन के बारे में कही जा सकती है।