
सांसद असदुद्दीन ओवैसी.
नई दिल्ली:
भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत इस समय उत्तर भारत के दौरे पर हैं. अपने इस दौरे में उन्होंने भारत के लिए चीन और पाकिस्तान के खतरनाक मंसूबों पर चिंता जाहिर की और कहा कि चीन और पाकिस्तान भारत की मजबूती को हिलाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं इसलिए उन्होंने परोक्ष युद्ध का रास्ता चुना है. उत्तर पूर्व के रास्ते भारत आने वाले शरणार्थियों को सेना प्रमुख ने चीन की चाल बताया.
इस मौके पर सेना प्रमुख के एक बयान पर विवाद हो गया है. जनरल रावत ने एक राजनीतिक संगठन का जिक्र कर दिया जिस पर विवाद हो गया है. पड़ोसी देशों की ओर इशारा करते हुए जनरल रावत ने कहा कि जिस तरह कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए आतंकवादी भेजे जाते हैं. उसी तरह उत्तर भारत में अशांति फैलाने के लिए अवैध आबादी को भारत में भेजा जाता है. इसके पीछे सेना प्रमुख ने वोट बैंक की राजनीति को दोषी बताया. उन्होंने कहा कि यहां में AIUDF नाम का राजनीतिक संगठन तेजी से बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस पार्टी का विकास बीजेपी के मुकाबले तेज हुआ है. उन्होंने कहा कि जनसंघ का आज तक का जो सफर रहा है उसके मुकाबले एआईयूडीएफ का विकास तेजी से हुआ है.
उल्लेखनीय है कि एआईयूडीएफ (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) नाम का संगठन मुस्लिमों की आवाज उठाता है.
सेना प्रमुख के इस बयान के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेदादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने जनरल बिपिन रावत के बयान पर आपत्ति दर्ज की है. उन्होंने कहा है कि सेना प्रमुख को राजनीतिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए. उनका काम किसी राजनीतिक पार्टी पर कमेंट करना नहीं है. लोकतंत्र और संविधान इसकी इजाजत देता है.
ओवैसी ने अपने ट्विटर पर लिखा कि सेना हमेशा जनता द्वारा चुनी गई सरकार के अंतर्गत काम करती है.
यहीं पर सेना रावत ने डोकलाम के मुद्दे पर कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है. सिलिगुड़ी कॉरिडोर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस पर खतरे का ख्याल रखा जा सकता है, लेकिन हमें उत्तर पूर्व की समस्याओं को समग्रता में देखना होगा. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि चीन की नजर सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर है, जिससे वह नॉर्थ ईस्ट के कई इलाकों को हासिल करने का सपना देख रहा है.
इस मौके पर सेना प्रमुख के एक बयान पर विवाद हो गया है. जनरल रावत ने एक राजनीतिक संगठन का जिक्र कर दिया जिस पर विवाद हो गया है. पड़ोसी देशों की ओर इशारा करते हुए जनरल रावत ने कहा कि जिस तरह कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए आतंकवादी भेजे जाते हैं. उसी तरह उत्तर भारत में अशांति फैलाने के लिए अवैध आबादी को भारत में भेजा जाता है. इसके पीछे सेना प्रमुख ने वोट बैंक की राजनीति को दोषी बताया. उन्होंने कहा कि यहां में AIUDF नाम का राजनीतिक संगठन तेजी से बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस पार्टी का विकास बीजेपी के मुकाबले तेज हुआ है. उन्होंने कहा कि जनसंघ का आज तक का जो सफर रहा है उसके मुकाबले एआईयूडीएफ का विकास तेजी से हुआ है.
उल्लेखनीय है कि एआईयूडीएफ (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) नाम का संगठन मुस्लिमों की आवाज उठाता है.
सेना प्रमुख के इस बयान के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेदादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने जनरल बिपिन रावत के बयान पर आपत्ति दर्ज की है. उन्होंने कहा है कि सेना प्रमुख को राजनीतिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए. उनका काम किसी राजनीतिक पार्टी पर कमेंट करना नहीं है. लोकतंत्र और संविधान इसकी इजाजत देता है.
What,the Army Chief should not interfere in political matters it is not his work to comment on the rise of a political party ,Democracy & Constitution allows it and Army will always work under an Elected Civilian leadership https://t.co/PacWqqYXz1
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) February 22, 2018
ओवैसी ने अपने ट्विटर पर लिखा कि सेना हमेशा जनता द्वारा चुनी गई सरकार के अंतर्गत काम करती है.
यहीं पर सेना रावत ने डोकलाम के मुद्दे पर कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है. सिलिगुड़ी कॉरिडोर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस पर खतरे का ख्याल रखा जा सकता है, लेकिन हमें उत्तर पूर्व की समस्याओं को समग्रता में देखना होगा. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि चीन की नजर सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर है, जिससे वह नॉर्थ ईस्ट के कई इलाकों को हासिल करने का सपना देख रहा है.
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