रूस पर प्रतिबंधों से बचने के लिए भुगतना होगा 'परिणाम', अमेरिका की भारत को चेतावनी

अमेरिका ने बृहस्पतिवार को आगाह किया कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे. साथ ही, ये भी कहा कि वे रूस से ऊर्जा एवं अन्य वस्तुओं का भारत के आयात में ‘तीव्र’ वृद्धि देखना नहीं चाहेगा.

रूस पर प्रतिबंधों से बचने के लिए भुगतना होगा 'परिणाम', अमेरिका की भारत को चेतावनी

रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे.

नई दिल्ली:

अमेरिका ने बृहस्पतिवार को आगाह किया कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे. साथ ही, ये भी कहा कि वे रूस से ऊर्जा एवं अन्य वस्तुओं का भारत के आयात में ‘तीव्र' वृद्धि देखना नहीं चाहेगा. अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (डिप्टी एनएसए) दलीप सिंह ने मास्को एवं बीजिंग के बीच ‘‘असीमित'' साझेदारी का भी जिक्र किया और कहा कि भारत को यह अपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि यदि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करता है तो रूस, भारत की रक्षा करने के लिए दौड़ा चला आएगा.

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विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला सहित भारतीय वार्ताकारों के साथ कई बैठकें करने के बाद सिंह ने यह भी कहा कि अमेरिका किसी भी देश को रूसी केंद्रीय बैंक के साथ वित्तीय लेनदेन में शामिल होते नहीं देखना चाहेगा. सिंह ने कहा कि भारत का रूसी ऊर्जा का मौजूदा आयात अमेरिका के किसी प्रतिबंध (रूस के खिलाफ) का उल्लंघन नहीं करता है क्योंकि अमेरिका ने रूस से ऊर्जा की आपूर्ति को छूट दे रखी है, लेकिन साथ ही वाशिंगटन अपने सहयोगियों को ‘‘गैर भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता'' पर अपनी निर्भरता घटाने के रास्ते तलाशते भी देखना चाहेगा.

रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों का मसौदा तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले अमेरिकी डिप्टी एनएसए दो दिनों की यात्रा पर बुधवार को नयी दिल्ली आए. यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर मास्को की आलोचना नहीं करने के भारत के रुख पर पश्चिमी देशों में बेचैनी बढ़ने की पृष्ठभूमि में उनकी यह यात्रा हुई है.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम डॉलर आधारित वित्तीय प्रणाली की अनदेखी करने वाले तंत्र या हमारे वित्तीय प्रतिबंधों में गतिरोध उत्पन्न करने वाले तंत्र को नहीं देखना चाहेंगे.''

अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की यह टिप्पणी ऐसे दिन आई है, जब रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत की अपनी दो दिवसीय यात्रा पर आए हैं, जिसमें नयी दिल्ली के रूसी तेल खरीदने सहित द्विपक्षीय व्यापार के लिए रूबल(रूसी मुद्रा)-रुपया भुगतान तंत्र पर चर्चा देखने को मिल सकती है.

सिंह ने कहा, ‘‘हम यह नहीं देखना चाहेंगे कि रूस से भारत के आयात में तीव्र वृद्धि हो क्योंकि यह ऊर्जा या किसी अन्य निर्यात से जुड़ी होगी जिस पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है या अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हैं.''

सिंह ने रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने के भारत के फैसले के बारे में पूछे जाने पर यह कहा. उन्होंने कहा कि अमेरिका, भारत की ऊर्जा और रक्षा उपकरणों की जरूरत को पूरा करने में मदद करने को तैयार है.

उन्होंने कहा, ‘‘रूस ने कहा है कि चीन उसका सर्वाधिक महत्वपूर्ण साझेदार है, जिसका भारत के लिए वास्तविक निहितार्थ है.'' उन्होंने कहा कि चीन के साथ इस संबंध में रूस जूनियर साझेदार होने जा रहा है. सिंह ने कहा, ‘‘चीन, रूस पर जितना प्रभाव बनायेगा, वह भारत के लिए उतना ही कम अनुकूल होगा. मुझे नहीं लगता कि कोई मानेगा कि यदि चीन ने एलएसी का उल्लंघन किया तो रूस ,भारत की रक्षा के लिए दौड़ा चला आएगा.''

उन्होंने यूक्रेन संकट पर कहा कि यदि रूसी आक्रमण को नहीं रोका गया तो इसके विनाशकारी परिणाम होंगे. ‘क्वाड' ढांचे के तहत सहयोग का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि गठबंधन में इस बात को मान्यता दी गई है कि चीन स्वतंत्र, खुले और सुरक्षित हिंद-प्रशांत के लिए एक रणनीतिक खतरा है.

श्रृंगला और सिंह के बीच बातचीत के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि दोनों पक्षों ने भारत-अमेरिका आर्थिक सहयोग और रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा की.

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