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भारत के रूस से S-400 सिस्टम की खरीद पर अमेरिका नाराज
अमेरिका से मिलने वाले मानवरहित ड्रोन पर संशय
भारत ने रूस से 40,000 करोड़ रुपये का रक्षा सौदा किया है
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विलियम थॉर्नबेरी सभी अमेरिकी सैन्य सेवाओं और अमेरिकी रक्षा विभाग के पेंटागन की देखरेख करते हैं. उन्होंने कहा कि रूसी प्रणाली के अधिग्रहण से भविष्य में अंतःक्रियात्मक रूप से काम करने की हमारी क्षमता को खतरा है.गौरतलब है कि भारत ने वायु सेना के लिए रूस से एस-400 ट्रिंफ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिए कीमत संबंधी बातचीत पूरी कर ली है. यह पूरा सौदा करीब 40,000 करोड़ रुपये का है. लेकिन लगता है कि यह सौदा यूएस-निर्मित मानव रहित ड्रोन प्राप्त करने के रास्ते में आ सकता है, जिसका उपयोग पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर आतंकवादी लॉन्च-पैड के खिलाफ संचालन में किया जा सकता है.
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पिछले महीने ट्रम्प प्रशासन ने भारत जैसे रणनीतिक साझेदारों के लिए सशस्त्र, मानव रहित ड्रोन के निर्यात को मंजूरी दे दी थी. थॉर्नबेरी के अनुसार, रूस से भारत के रक्षा सौदे के बाद अमेरिका से मिलने वाले मानव रहित ड्रोन पर संशय के बादल हैं. भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस दोनों के साथ घनिष्ठ सैन्य संबंध बनाए रखता है, लेकिन यह रूस है जिसने कई दशकों से भारत के सैन्य हथियार प्रणालियों का बड़ा हिस्सा प्रदान किया है.
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इस साल की शुरुआत में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया में शामिल होने के आरोप में रूस के खिलाफ प्रतिबंध अधिनियम Countering America's Adversaries Through Sanctions Act (CAATSA) को पारित किया था. इसका मतलब यह है कि अमेरिका रूसी हथियार हासिल करने के लिए भारत जैसे करीबी साथी देशों पर भी तकनीकि रूप से प्रतिबंध लगा सकता है. थॉर्नबेरी ने इशारा किया है कि अमेरिका भारत के रूस के साथ नए सैन्य अधिग्रहण से निराश है.
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