अपने मूल स्थानों के लिए परिवहन की तलाश में रविवार को सैकड़ों प्रवासी श्रमिक 21 दिवसीय बंद का उल्लंघन करते हुए चंगनास्सेरी के पास की सड़कों पर उतर आये. पयिप्पड़ गांव से घटना की सूचना मिलने के तुरंत बाद केरल सरकार ने प्रवासी कामगारों को शांत करने के लिए पुलिस बल तैनात किया और कोट्टायम जिला अधिकारियों को भेजा. कोट्टायम के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने पयिप्पड़ गांव की सड़कों पर आंदोलनरत प्रवासी श्रमिकों के साथ बातचीत की और उन्हें वापस उनके शिविरों में भेजने में कामयाब रहे.
उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि लॉकडाउन अवधि के दौरान राज्य में उनके सुविधाजनक प्रवास के लिए सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, लेकिन लोगों के निवास स्थान से बाहर निकलने पर केंद्र सरकार द्वारा लगायी गई रोक के निर्देश का उल्लेख करते हुए उनकी यात्रा सुविधाओं की मांग खारिज कर दी.
जिला कलेक्टर पी के सुधीर बाबू ने श्रमिकों से बात करने के बाद कहा, ‘‘वे कह रहे हैं कि वे अपने मूल स्थानों को जाना चाहते हैं. यह व्यावहारिक रूप से असंभव है.''अधिकारियों ने कहा कि श्रमिकों ने दिल्ली सहित अन्य राज्यों में लोगों की यात्रा के लिए किये गए इंतजाम की तरह की सुविधा की मांग की.
एक अधिकारी ने कहा, "उन्होंने भोजन या आश्रयों के बारे में कोई मुद्दा नहीं उठाया. उनकी एकमात्र मांग अपने मूल स्थानों की यात्रा के लिए सुविधा की है." केरल के पर्यटन मंत्री के. सुरेंद्रन ने समस्या को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की. सुरेंद्रन ने कहा, "अगर उनकी यात्रा के लिए एक विशेष ट्रेन की व्यवस्था की जाती है, तो हम उनकी यात्रा को सुगम बनाएंगे."
केरल के मंत्री पी. तिलोतमन ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के लिए भोजन, पानी और आश्रय उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने पयिप्पड़ में प्रवासी श्रमिकों द्वारा बंद के उल्लंघन के पीछे "जानबूझकर प्रयास" किए जाने का आरोप लगाया.
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