धरती के तापमान को अधिक न बढ़ने देने के लिये माराकेश में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन
माराकेश:
मोरक्को के शहर माराकेश में चल रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में जहां एक ओर सैकड़ों कार्यकर्ता धरती के तापमान को 1.5 डिग्री से अधिक न बढ़ने देने के लिये प्रदर्शन करते रहे वहीं विश्व मौसम संगठन की रिपोर्ट ने चिंताएं और बढ़ा दी हैं. विश्व मौसम संगठन यानी WMO ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि इस बात की 90 प्रतिशत संभावना है कि ये साल पिछले साल का रिकॉर्ड भी तोड़ देगा और अब तक का सबसे गरम साल होगा.
WMO के वैज्ञानिकों ने मोरक्को में चल रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में ये रिपोर्ट जारी की जिसमें इस बात की आशंका जताई गई है. वैज्ञानिकों ने भारत और रूस में रिकॉर्ड गरमी (हीट वेव) का उदाहरण दिया. राजस्थान के फलोड़ी में इस साल 19 मई को 51 डिग्री तापमान दर्ज किया गया जिसका जिक्र WMO की रिपोर्ट में है.
पिछले 17 में 16 सालों ने तापमान को लेकर रिकॉर्ड तोड़े हैं और वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल जनवरी से सितंबर के बीच के तापमान से पता चल रहा है कि धरती का तापमान 1.2 डिग्री बढ़ चुका है. वैज्ञानिक कहते रहे हैं कि 2 डिग्री तापमान से अधिक बढ़ना विनाशकारी हो सकता है.
पिछले साल पेरिस में हुए समझौते में दुनिया का तापमान साल 1850 के मुकाबले 1.5 डिग्री से अधिक न बढ़ने देने की बात कही गई है. साल 1850 के तापमान को मूल पैमाना माना जाता है जब से औद्योगिक क्रांति शुरू हुई लेकिन धरती का तापमान 1.2 डिग्री बढ़ चुका है.
उद्योगों और शहरी जीवन शैली की वजह से होने वाला कार्बन उत्सर्जन ग्रीन हाउस प्रभाव पैदा कर रहा है जिससे धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है. अब इस बात के पुख्ता सुबूत हैं कि इसी गरमी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है और बाढ़, चक्रवाती तूफान और सूखे जैसी घटनायें लगातार हो रही है. भारत में भी पिछले दो दशकों में ऐसे घटनायें तेज़ी से बढ़ी हैं.
विश्व मौसम संगठन की रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई है जब जलवायु परिवर्तन पर चल रही वार्ता काफी नाज़ुक दौर में है. अमेरिका के नए राष्ट्रपति बनने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप के लिए भी ये रिपोर्ट आंखें खोलनी वाली होनी चाहिए क्योंकि ट्रंप जलवायु परिवर्तन और धरती के बढ़ते तापमान की चेतावनियों को हौव्वा बताते रहे हैं.
WMO के वैज्ञानिकों ने मोरक्को में चल रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में ये रिपोर्ट जारी की जिसमें इस बात की आशंका जताई गई है. वैज्ञानिकों ने भारत और रूस में रिकॉर्ड गरमी (हीट वेव) का उदाहरण दिया. राजस्थान के फलोड़ी में इस साल 19 मई को 51 डिग्री तापमान दर्ज किया गया जिसका जिक्र WMO की रिपोर्ट में है.
पिछले 17 में 16 सालों ने तापमान को लेकर रिकॉर्ड तोड़े हैं और वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल जनवरी से सितंबर के बीच के तापमान से पता चल रहा है कि धरती का तापमान 1.2 डिग्री बढ़ चुका है. वैज्ञानिक कहते रहे हैं कि 2 डिग्री तापमान से अधिक बढ़ना विनाशकारी हो सकता है.
पिछले साल पेरिस में हुए समझौते में दुनिया का तापमान साल 1850 के मुकाबले 1.5 डिग्री से अधिक न बढ़ने देने की बात कही गई है. साल 1850 के तापमान को मूल पैमाना माना जाता है जब से औद्योगिक क्रांति शुरू हुई लेकिन धरती का तापमान 1.2 डिग्री बढ़ चुका है.
उद्योगों और शहरी जीवन शैली की वजह से होने वाला कार्बन उत्सर्जन ग्रीन हाउस प्रभाव पैदा कर रहा है जिससे धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है. अब इस बात के पुख्ता सुबूत हैं कि इसी गरमी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है और बाढ़, चक्रवाती तूफान और सूखे जैसी घटनायें लगातार हो रही है. भारत में भी पिछले दो दशकों में ऐसे घटनायें तेज़ी से बढ़ी हैं.
विश्व मौसम संगठन की रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई है जब जलवायु परिवर्तन पर चल रही वार्ता काफी नाज़ुक दौर में है. अमेरिका के नए राष्ट्रपति बनने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप के लिए भी ये रिपोर्ट आंखें खोलनी वाली होनी चाहिए क्योंकि ट्रंप जलवायु परिवर्तन और धरती के बढ़ते तापमान की चेतावनियों को हौव्वा बताते रहे हैं.
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