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This Article is From Dec 01, 2019

साल 2014 से लेकर अब तक 114 इकाइयां हो चुकी हैं बंद, 16 हजार लोगों की रोजी-रोटी पर असर

देश की अर्थव्यवस्था को लेकर देश में छिड़ी बहस के बीच सरकार की ओर से संसद में दिया गया एक आंकड़ा खुद उसको सवालों के घेरे में खड़ा कर सकता है.

साल 2014 से लेकर अब तक 114 इकाइयां हो चुकी हैं बंद, 16 हजार लोगों की रोजी-रोटी पर असर
साल 2014 से अब तक 114 कंपनियां बंद हो चुकी हैं
नई दिल्ली:

देश की अर्थव्यवस्था को लेकर देश में छिड़ी बहस के बीच सरकार की ओर से संसद में दिया गया एक आंकड़ा खुद उसको सवालों के घेरे में खड़ा कर सकता है. सरकार की ओर से बताया गया है कि साल 2014 से  लेकर अब तक 114 कंपनियां या उनकी ईकाइयां बंद हो चुकी हैं और इनमें काम करने वाले 16 हजार लोग प्रभावित हुए हैं. ये इकाइयां क्यों बंद हुई हैं इसके अलग-अलग वजहों का की जवाब में उल्लेख किया गया  है. दरअसल लोकसभा में बीएसपी सांसद दानिश अली की ओर से चार सवाल पूछे गए थे कि क्या ये सच है कि बीते पांच साल में बड़ी संख्या में कंपनियां बंद हुई हैं? इसका कारण और ब्यौरा? कंपनियां बंद होने पर बेरोजगारों की संख्या कितनी है? और सरकार की ओर से उनकी अजीविका के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? इन सवालों पर श्रम और रोजगार राज्य मंत्री संतोष गंगवार की ओर से जवाब दिया गया है. अजीविका वाले सवाल पर उन्होंने संतोष गंगवार ने जवाब दिया गया है कि सरकार की ओर से ऐसे प्रभावित कामगारों की मदद के लिए कई योजनाएं चला रही है. गंगवार की ओर से कहा गया कि 'औद्योगिक विवाद अधिनियम-1947' के तहत उनको परामर्श दिया जाता है और साथ ही उनको कौशल विकास पर ध्यान दिया जा रहा है. 

लोकसभा में सरकार की ओर से दिया गया आंकड़ा

श्रम मंत्रालय की ओर से पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में 33,  2015 में 22,  2016 में 27, साल 2017 में 22, साल 2018 में 8 और साल 2019 में अब तक एक इकाई बंद हुई हैं. इस दौरान अलग कुल 16 हजार लोग बेरोजगार हुए हैं. गौरतलब है कि भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. शुक्रवार को सामने आए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था में जुलाई से सितंबर के बीच बीते 6 सालों में सबसे धीमे स्तर पर बढोतरी हुई. इस दौरान देश की जीडीपी केवल 4.5 फीसदी रही जोकि पिछली तिमाही के जीडीपी(5 फीसदी) से भी कम है. 2018 में जुलाई-सितंबर के बीच जीडीपी 7 फीसदी थी. इससे पहले सबसे कम जीडीपी 2013 में जनवरी-मार्च में दर्ज की गई थी. इस दौरान जीडीपी 4.3 फीसदी थी.  राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा शुक्रवार को जारी जीडीपी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 की जुलाई-सितंबर के दौरान स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 35.99 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल इसी अवधि में 34.43 लाख करोड़ रुपये था. इस प्रकार, दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही.

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