हिमाचल प्रदेश चुनाव : ऊना है बीजेपी का गढ़ यहां सत्ती का तिलिस्म तोड़ना है कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती

'धर्मनगरी' नाम से मशहूर ऊना भी इस सियासी हलचल से अछूता रहने वाला नहीं है. हिमाचल प्रदेश की विधानसभा सीट संख्या-44 ऊना का महत्व यहां के लोगों की भावनाओं से खासा रिश्ता बनाए हुए है.

हिमाचल प्रदेश चुनाव : ऊना है बीजेपी का गढ़ यहां सत्ती का तिलिस्म तोड़ना है कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती

ऊना में तीन विधानसभाओं चुनावों से बीजेपी का कब्जा है

शिमला:

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव  के आगाज के बाद सियासत में बढ़ी हलचल का रुख धीमे-धीमे आस्था की तरफ झुकता दिखाई देने वाला है. जैसे-जैसे मतदान का दिन नजदीक आता जाएगा, मंदिरों और दूसरे धार्मिक स्थलों में नेताओं का प्यार उमड़ना शुरू हो जाएगा. 'धर्मनगरी' नाम से मशहूर ऊना भी इस सियासी हलचल से अछूता रहने वाला नहीं है. हिमाचल प्रदेश की विधानसभा सीट संख्या-44 ऊना का महत्व यहां के लोगों की भावनाओं से खासा रिश्ता बनाए हुए है. इस क्षेत्र का नाम ऊना सिखों के पांचवें गुरु श्री अर्जन देव ने रखा था. यहीं पर सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक का पैतृक घर भी मौजूद है. ऊना विशेषत: अपने मंदिरों और धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है. यहां की स्थानीय भाषा हिंदी और पंजाबी है.  ऊना में 2012 में हुए विधानसभा चुनाव के वक्त यहां की जनसंख्या 118,179 थी, जिसमें कुल मतदाता की संख्या 76, 907 थी. पंजाब के साथ सीमा जुड़ी होने के कारण यहां के लोग पंजाब जाकर विभिन्न व्यवसायों में काम करते हैं.
 
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बात करें ऊना की, राजनीति की तो यहां 2003 के बाद से तीन विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी धाक और पकड़ दोनों को स्थापित कर लिया है. पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने लगातार तीन विधानसभा में जीत हासिल कर राज्य में पार्टी के अंदर अपने कद को धूमल के बाद शीर्ष पर पहुंचा दिया है. सत्ती ने 2003, 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों को धूल चटाने के साथ साथ जनता के दिल पर भी कब्जा जमा रखा है. सतपाल सिंह सत्ती ने 2017 विधानसभा चुनाव में भी यहीं से नामांकन दाखिल किया है जिसके मद्देनजर ऊना को भाजपा की नजर से सबसे सुरक्षित सीट माना जा रहा है. सतपाल सिंह सत्ती 1988 से लेकर 1991 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश सचिव रहे, 1991-1993 में वे राष्ट्रीय सचिव रहे. उसके बाद सत्ती प्रदेश राजनीति में सक्रिय हुए और भाजपा में महासचिव बने. साथ ही वह भाजपा की राज्य इकाई के सदस्य के रूप में भूमिका निभा चुके हैं. सतपाल सिंह सत्ती पहली बार फरवरी 2012 में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चुने गए थे. 

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वहीं बात की जाए कांग्रेस की तो पार्टी ने 1998 में आखिरी बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने ऊना सीट से सतपाल सिंह रायजादा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. रायजादा ने 2012 में भी सत्ती के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत हासिल करने में नाकाम रहे थे. रायजादा को क्षेत्र में बतौर युवा चेहरे के रूप में जाना जाता है. सत्ती ने पिछले चुनाव में रायजादा को 4,746 मतों से शिकस्त दी थी. कांग्रेस ने रायजादा पर दोबारा यकीन जताकर उन्हें एक और मौका दिया है. इसके अलावा ऊना से बहुजन समाज पार्टी के रवि कुमार और दो निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. भाजपा की सबसे सुरक्षित सीट मानी जा रही ऊना में हवा का रुख भाजपा की पताखा को चौथी बार फहराएगा या फिर यहां की जनता अपना हाथ कांग्रेस के हाथ में थमाएगी यह तो नतीजों के सामने आने के बाद ही पता चलेगा. हिमाचल प्रदेश में 9 नवंबर को मतदान होना है और वोटों की गिनती 18 दिसंबर को होगी.

इनपुट : आईएनएस


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