
गर्भावस्था के दौरान विटामिन डी का सेवन करने वाली माताओं के शिशुओं में अटेंशन-डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर (एडीएचडी) होने का जोखिम कम हो जाता है। एडीएचडी स्वभाव से संबंधित सबसे आम न्यूरोविहेवियरल बीमारी है। कुल 1,233 बच्चों पर किए गए अध्ययन के मुताबिक, जिन महिलाओं ने विटामिन डी की खुराक ली थी, तथा जिनके अंबिलिकल (अपरा) ब्लड में विटामिन डी का स्तर 25 नैनो मोल्स प्रति लीटर था, उनके बच्चों में एडीएचडी का जोखिम बेहद कम हो गया।
अंबिलिकल ब्लड में विटामिन डी का स्तर जितना ही ज्यादा होगा, ढाई साल के बच्चे में एडीएचडी के लक्षण उतने ही कम होंगे।
यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न डेनमार्क के नील्स बिलेनबर्ग ने कहा, "अंबिलिकल ब्लड में विटामिन डी के प्रति 10 नैनोमोल प्रति लीटर का स्तर बढ़ने से एडीएचडी के लक्षणों में 11 फीसदी तक की कमी आती है।"
अध्ययन में हालांकि इस बात का वर्णन नहीं किया गया है कि विटामिन डी किस प्रकार एडीएचडी के खिलाफ संरक्षण प्रदान करता है, लेकिन अन्य अध्ययनों में पाया गया है कि यह मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह निष्कर्ष पत्रिका 'द ऑस्ट्रेलिया एंड न्यूजीलैंड जर्नल ऑफ साइकेट्री' में प्रकाशित हुआ है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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