
मदर डेयरी ने उत्तर प्रदेश खाद्य और दवा प्रशासन (एफडीए) के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने मदर डेयरी दूध के नमूने में डिटर्जेंट मिलने की बात कही है। मदर डेयरी के प्रबंध निदेशक एस नागराजन ने कहा कि यह सैंपल दिसंबर में लिया गया था, जोकि चिलिंग सेंटर में टेस्ट नहीं हुआ है, बल्कि गांव से चिलिंग सेंटर के बीच में यह सैंपल लिया गया।
उनके अनुसार, यह कोई तैयार प्रोडक्ट नहीं था और अभी तक उनके पास इस बारे में कोई औपचारिक रिपोर्ट नहीं आई है। नागराजन ने दावा किया कि मदर डेयरी की टेस्टिंग विधि सबसे बेहतर है और कंपनी की ज़िम्मेदारी ग्राहकों के लिए सबसे ज़्यादा है।
उन्होंने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 80 हजार किसान हैं। लिहाजा, गांव के स्तर पर सभी तरह के टेस्ट करना मुमकिन नहीं है। मदर डेयरी 35 लाख लीटर दूध की सप्लाई केवल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हैदराबाद और मुम्बई में करती है।
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नागरान ने स्पष्ट किया कि दूध खरीदने की प्रकिया यह है कि दूध पहले गांव स्तर पर किसानों से लिया जाता है और टेस्ट होते हैं। इसके बाद वह चिलिंग सेंटर जाता है और फिर फैक्ट्री में जाता है। उन्होंने अंदेशा जताया कि हो सकता है कि गांव के स्तर पर मिलावट हुई हो, लेकिन प्रोडक्ट के बाजार में आने से पहले इसके दो और लेवल के टेस्ट होते होते हैं। यह तैयार प्रोडक्ट नहीं था। लिहाजा, भ्रम ये हो गया कि कच्चे माल को तैयार माल मान लिया गया।
इससे पूर्व एफडीए ने मंगलवार को कहा था कि उसे मदर डेयरी दूध के नमूने में डिटर्जेंट मिला है। हालांकि, दिल्ली स्थित कंपनी ने इस दावे का प्रतिवाद किया है। यूपी एफडीए, आगरा के अधिकारी रामनरेश यादव ने कहा, 'परिणाम से पता चलता है कि दूध के नमूनों की गुणवत्ता हल्की है और दो में से एक नमूने में डिटर्जेंट पाया गया है।'
यादव ने बताया कि ये नमूने मदर डेयरी दूध के बाह संग्रह केन्द्र से नवंबर 2014 में लिए गए थे। उन्होंने कहा, 'इन नमूनों को पहले लखनऊ भेजा गया और बाद में कंपनी की मांग पर इन्हें कोलकाता भेजा गया।'
मदर डेयरी ने हालांकि, उसके द्वारा पैकेटों में बेचे जाने वाले दूध में किसी भी तरह की मिलावट से साफ तौर पर इनकार किया है।
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दिल्ली में मदर डेयरी के दूध और फल एवं सब्जी विभाग के प्रमुख संदीप घोष ने कहा, 'मदर डेयरी दूध को विभिन्न स्तरों पर जांच के चार स्तरों से गुजरना होता है -- दूध प्राप्त होने, प्रसंस्करण, दूध जारी करने और यहां तक कि बाजार के स्तर पर उसकी जांच की जाती है।'
उन्होंने कहा, 'मदर डेयरी में प्लांट पर पहुंचने वाले दूध के हर टैंकर को 23 प्रकार की सख्त गुणवत्ता जांच से गुजरना होता है। इन परीक्षणों में दूध में पानी, यूरिया, डिटर्जेंट, तेल आदि सभी तरह की मिलावट की जांच की जाती है।'
घोष ने कहा, ‘इस तरह की किसी भी मिलावट के होने पर दूध को तुरंत खारिज कर दिया जाता है।' उन्होंने कहा कि मदर डेयरी आकस्मिक अथवा कभी-कभी परीक्षण के बजाय 100 प्रतिशत नियमित परीक्षण करती है।
मदर डेयरी राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली एक इकाई है। (इनपुट एजेंसी से भी)
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