All about Blood Sugar Levels: डायबिटीज (Diabetes) आज एक आम बीमारी बन गई है. अगर आप डायबिटीक (diabetic) हैं, तो आपको अपनी सेहत का ध्यान रखना की जरूरत है. इस बात का पूरा ध्यान रखें कि आप डायबिटीज के लक्षण (Diabetes Symptom) नजरअंदाज न करें. डायबिटीज का इलाज कराने के लिए अक्सर लोग डायबिटीज की दवा का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन जाने अंजाने डायबिटीज की असरदार दवा सोचकर लिया जा रहा ड्रग कहीं न कहीं नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे में डायबिटीज के लिए आहार (Diabetes Diet) और एक्सरसाइज (Exersice) पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है. ऐसे में आपको बहुत सी सलाह भी मिलती होंगी जैसे शुगर से बचें (Avoid sugar), बहुत ज्यादा आलू (Diabetes and Potatoes) न खाएं, वजन कम करें (Lose weight), चीनी की जगह अन्य चीजों का इस्तेमाल करें या ऐसी ही और सलाहें हर डायबिटीक (diabetic) को सुनने को मिलती होंगी. तो अब सोचने वाली बता यह होती है कि कौन सी सलाह मानी जाए और कौन सी नहीं... यह समझना वाकई मुश्किल है कि डायबिटीज से जुड़ी सलाहों में कौन सी सच होती हैं और कौन सी महज मिथ (Diabetes myths).
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ऐसे ही मिथ और उनकी सच्चाईयों के बारे में
मिथक 1: मधुमेह वाले लोगों को चीनी नहीं खाना चाहिए
जो एक सलाह हर कोई देता है वह यह कि आपको चीनी नहीं खानी चाहिए. हालांकि, सच्चाई यह है कि मधुमेह या डायबिटीज (Diabetes) में ऐसा आहार खाना चाहिए जो संतुलित (balanced diet) हो. इसमें नियंत्रित रूप से चीनी भी शामिल हो सकती है. असल में, मधुमेह (Diabetes) में परिष्कृत चीनी (refined sugar), जैसे गुड़, पाल्म शुगर, नारियल चीनी, कच्चा शहद वगैरह हेल्दी ऑप्शन हैं. याद रखें, संयम कुंजी है.
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मिथक 2: केवल मोटापा मधुमेह से पीड़ित है
मोटापा मधुमेह के विकास के लिए एक जोखिम कारक है, लेकिन सिर्फ यही नहीं है. इसके पीछे दूसरे कारण भी हैं. मधुमेह (Diabetes) एक जीवनशैली या लाइफस्टाइल से होने वाली बीमारी है. हाल के दिनों में, तनाव, आसन्न जीवन शैली, खराब खाने की आदतों जैसे सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारक, और दूसरे मधुमेह विकसित करने का जोखिम (risk of developing diabetes) बढ़ाते हैं. असल में, सामान्य वजन वाले लोगों में भी मधुमेह हो सकता है.
मिथक 3: मधुमेह अनुवांशिक नहीं
मिथक 4: डायबिटीज में चाहे जितने फल खाएं
फलों में प्राकृतिक शर्करा (natural sugars) होती है, और साथ ही कार्बोहाइड्रेट (carbohydrates) भी होते हैं यह रक्त शर्करा (blood sugar levels) के स्तर को बढ़ाने का काम कर सकते हैं. भले ही फल कितने ही हेल्दी क्यों न हों. तो जब आप फल खा रहे हों तब भी शुगर लेवल की जांच करें. फल में विटामिन और खनिज के साथ फाइबर सामग्री होती है, जिनमें से सभी को मधुमेह का कंट्रोल करने के लिए कहा जाता है.
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मिथक 5: मधुमेह होने का मतलब है कि आपको एक विशिष्ट मधुमेह आहार पर रहना है
मधुमेह के लिए कुछ 'ऑफ-लिमिट्स' हैं: आप अपना खाना कैसे प्लान करते हैं और कैसे आप सही आहार को चुनते हैं. आप अपने आहार को कितना सही रखते हैं यह आपके ब्लड शुगर लेवल (blood sugar levels) को नियंत्रित करता है. ज्यादातर हेल्थ एक्सपर्ट दिन में तीन बड़े मील लेने के बजाए 5 छोटे-छोट मील लेने सलाह देते हैं. सभी आवश्यक पोषक तत्वों, वसा, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और प्रोटीन के साथ एक साधारण आहार आसानी से मधुमेह का प्रबंधन करने में मदद कर सकता है. सुनिश्चित करें कि आप एक विशेष आहार शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लें.
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मिथक 6: न खाएं कार्बोहाइड्रेट
कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) आपके दुश्मन नहीं हैं. जी हां, जिस बात का आपको ध्यान रखना है वह है कार्बोस की मात्रा. वे खाद्य पदार्थ जो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Glycaemic Index) में कम हैं, कार्बोहाइड्रेट के साथ कितनी जल्दी खाद्य पदार्थ रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं, उच्च जीआई वाले लोगों की तुलना में बेहतर विकल्प माना जाता है. तो, कार्बोहाइड्रेट को न छोड़ें, बल्कि स्वस्थ कार्बस को चुनें...
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मिथक 7: शुगर फ्री चीजें खाएं
ज्यादातर लोग डायबिटीज के बाद शुगर फ्री प्रोडक्टस को इस्तेमाल करते हैं. क्योंकि उन्हें सलाह दी जाती है. लेकिन क्या आप इन्हें खरीदते समय पोषण लेबल पढ़ना शायद आप भूल जाते हैं. याद रखें, ये खाद्य पदार्थ भले ही स्वस्थ रूप में लेबल हों, लेकिन वे कैलोरी, कार्बोस, चीनी और वसा से भरपूर होते हैं. जब स्वस्थ खाने की बात आती है तो घर का बना खाना सबसे अच्छा विकल्प होता है.
मिथक 8: कृत्रिम या आर्टिफिशल मिठास पर लें और चीनी से बचें
कृत्रिम या आर्टिफिशल मिठास ((artificial sweeteners) आपके शरीर के लिए अच्छा नहीं है. दोनों के बीच का अंतर यह है कि आर्टिफिशल स्वीटर्स आपके शरीर में कोई कार्बोस नहीं जोड़ते. हालांकि, इन स्वीटर्स का ज्यादा इस्तेमाल आपकी पूरी सेहत पर बुरा असर ड़ाल सकता है. इसलिए चीनी के स्वस्थ विकल्पों को ही चुनें.
तो कुल मिलाकर बात यह है कि आपको जो भी सलाह दी जाए उस पर आंखें मूंद कर भरोसा न करें. इसकी बजाए अपने डॉक्टर से सलाह लें.
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