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This Article is From Feb 22, 2011

'7 खून माफ' में प्रियंका का बेहतरीन रोल

Mumbai: जिंदगी से लबालब, मगर प्यार में मायूस...ये है सात खून माफ की सुज़ाना उर्फ प्रियंका चोपड़ा। फैशनेबल, बोल्ड, अमीर और शातिर सुज़ाना…प्यार की तलाश में एक के बाद एक…छह मर्दों से रूबरू होती है और उनसे शादी करती है। मगर कोई पति हद दर्जे का ज़ालिम है….तो कोई नशेड़ी। कोई शायरी में नर्म और रोमांस में हिंसका है….तो कोई बेवफा। किसी की दिलचस्पी सुज़ाना के पैसे में है, तो कोई ब्लैकमेलर है। सुज़ाना भी अपनी मर्जी की मलिका है। किसी रिश्ते को वो हर कीमत पर निभाती है, तो किसी के लिए मज़हब तक बदल लेती है। किसी के लिए नई भाषा सीखती है। मगर जब हर पति से निराशा हाथ लगती है, तो सुज़ाना इन्हें ठिकाने लगाने का फैसला कर लेती है। लेखक रस्किन बांड की शॉर्ट स्टोरी पर बनी सात खून माफ की कहानी प्रिडिक्टेबल ज़रूर है, लेकिन कहानी कहने की विशाल भारद्वाज की स्टाइल लगातार दिलचस्पी बनाए रखती है। बिना शक प्रियंका चोपड़ा का ये लाइफटाइम रोल है। हर पति का बेहतरीन परफॉरमेंस...मगर अन्नू कपूर सबसे बेहतरीन। फिर इरफ़ान, नसीर यहां तक कि नील मुकेश…जॉन अब्राहम, नसीर के बेटे विवान और रूसी आर्टिस्ट एलेक्ज़ेंडर तक बेहतरीन काम कर गए साथ में अच्छा कैमरावर्क। 'डार्लिंग' गीत तो पहले ही मशहूर हो चुका है। कुछ कमियां भी हैं। जैसे सुज़ाना पतियों को मारने की बजाय तलाक क्यों नहीं देती। लेकिन यहां डायरेक्टर की भी अपनी मजबूरी है, क्योंकि रस्किन बांड की कहानी ही ऐसी है। दूसरी कमी…पतियों को मारने के बाद सुज़ाना के चेहरे पर दर्द नहीं दिखता। सुज़ाना बड़ी आसानी से पुलिस से बचती रहती है। कुछ सीन्स में प्रियंका का मेकअप बेहद खराब है। लेकिन जहां सात खून माफ हैं, वहां एक अच्छी फिल्म के लिए ये गलतियां भी माफ हैं। फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है- 4 स्टार।

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