अनुराग कश्यप का फाइल फोटो
नई दिल्ली:
'उड़ता पंजाब' के निर्माता अनुराग कश्यप और सेंसर बोर्ड के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अनुराग का कहना है कि क्यों केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और राज्यवर्धन राठौर इस मामले पर कोई कदम नहीं उठा रहे। वहीं सरकारी सूत्रों का कहना है कि सेंसर बोर्ड के कामों से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है।
अनुराग कश्यप ने एनडीटीवी से कहा कि अरुण जेटली ने पिछले 10 दिनों से उनका फोन नहीं अटैंड कर रहे। मैं उनका प्रशंसक रहा हूं, लेकिन अब मेरी आशा टूटने लगी है। पीएम मोदी को मैंने काफी हताश हो जाने के बाद ट्वीट किया। वहीं इस मामले पर राज्यवर्धन राठौर ने कहा कि अगर वे बोर्ड के निर्णय से खुश नहीं हैं तो वे इसके खिलाफ आगे ट्राईब्यूनल में अपील कर सकते हैं।
यह फिल्म ड्रग्स के खिलाफ है
अनुराग कश्यप ने इसके चेयरमैन पहलाज निहलानी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी फिल्म "उड़ता पंजाब" से पंजाब शब्द को नहीं हटाया जा सकता। पंजाब का संदर्भ हटाना किसी भी सूरत में संभव नहीं है...यह फिल्म न ही अकाली और न ही भाजपा के खिलाफ है। यह ड्रग्स के खिलाफ है। यह एक ऐसी फिल्म है जिसमें दिखाया गया है कि किस प्रकार युवा अपनी जिंदगी खो रहे हैं।
इसके पहले जब फिल्म में "अत्यधिक गाली-गलौच" का हवाला देते हुए सेंसर बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया तो फिल्म निर्माता बोर्ड की रिवाइजिंग कमेटी के पास इस मामले को लेकर गए। उसमें निर्माताओं से पंजाब, राजनीति और चुनावों के सभी संदर्भों को हटाने के लिए कहा गया। इसमें फिल्म के टाइटल से भी पंजाब शब्द को हटाना भी शामिल था।
हमारे लिए पांच दिनों से कोमा जैसी स्थिति
इसके साथ ही अनुराग कश्यप ने एनडीटीवी से कहा, हमको लिखित रूप से अभी तक ऐसा करने को नहीं कहा गया है, लिहाजा इससे हमारे लिए अनिश्चिय की स्थिति उत्पन्न हो गई है। उनके मुताबिक, "उन्होंने कट संबंधी पत्र हमें अभी नहीं दिया गया है, लिहाजा हम ट्रिब्यूनल में भी नहीं जा सकते...हम पिछले पांच दिनों से कोमा की स्थिति में हैं और उनके खत की प्रतीक्षा कर रहे हैं।"
सेंसर बोर्ड पर पूरी तरह निहलानी का कब्जा
अनुराग ने निहलानी पर बीते जमाने का फिल्म मेकर कहते हुए उनके काम को "पुरातन" और "गुजरा हुआ" कहा और आरोप लगाया कि वो "तानाशाह की तरह बर्ताव" कर रहे हैं। उन्होंन निहलानी पर आरोप लगाया, सेंसर बोर्ड उनका उत्तरी कोरिया है...सेंटर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) में पूरी तरह उनका कब्जा है। सीबीएफसी में बाकियों की इस वक्त कोई आवाज नहीं है।
उन्होंने एनडीटीवी से यह भी कहा कि यह पूरी तरह से निहलानी के ईगो की समस्या है, जिसकी वजह से समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। "निहलानी सभी फिल्म मेकरों से यह अपेक्षा करते हैं कि वह उनका यह लेक्चर सुनें कि उन्होंने किस प्रकार फिल्में बनाईं। यह पूरी तरह से बकवास है।"
उन्होंने निहलानी से बातचीत करने से इनकार करते हुए कहा, "मैं फिल्म पर उनका लेक्चर नहीं सुनना चाहता। " लेकिन साथ ही यह सवाल भी खड़ा किया कि सेंसर बोर्ड के चेयरमैन को "इस तरह काम कैसे करने दिया जा रहा है...क्यों अरुण जेटली और राज्यवर्द्धन राठौड़ इस आदमी को नहीं हटा रहे हैं। "
उल्लेखनीय है कि फिल्म उड़ता पंजाब को अगले 10 दिनों में रिलीज होना है और इसके प्रमुख निर्माता अनुराग कश्यप ने सवाल किया, "मैं महसूस कर रहा हूं कि हम काफ्का के उपन्यास के चरित्रों की तरह हैं। हम अनिश्चिय की स्थिति में हैं और इससे बाहर निकलने के बारे में हमें नहीं पता।"
केंद्र सरकार ने किया मामले से किनारा
इस मसले पर सरकारी सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार का सेंसर बोर्ड के निर्णय से कुछ लेना-देना नहीं है। इसके साथ ही यह सलाह भी दी कि इस फिल्म के निर्माण इस मसले को ट्रिब्यूनल में ले जा सकते हैं। हालांकि कश्यप का कहना है, "हम ट्रिब्यूनल में कैसे जा सकते...निहलानी ने कट के संबंध में हमें अभी तक खत ही नहीं दिया है।" उन्होंने जोर देकर कहा, "अपने फिल्म की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ेंगे।"
कश्यप के आरोपों का निहलानी ने जवाब नहीं दिया है। लेकिन सेंसर बोर्ड की सदस्य वाणी त्रिपाठी ने कहा कि हर फिल्म पर सदस्यों की अपनी राय होती है लेकिन मूल समस्या सरकार के कारण नहीं बल्कि पुरानी सर्टिफिकेशन प्रक्रिया के कारण है।
अनुराग कश्यप ने एनडीटीवी से कहा कि अरुण जेटली ने पिछले 10 दिनों से उनका फोन नहीं अटैंड कर रहे। मैं उनका प्रशंसक रहा हूं, लेकिन अब मेरी आशा टूटने लगी है। पीएम मोदी को मैंने काफी हताश हो जाने के बाद ट्वीट किया। वहीं इस मामले पर राज्यवर्धन राठौर ने कहा कि अगर वे बोर्ड के निर्णय से खुश नहीं हैं तो वे इसके खिलाफ आगे ट्राईब्यूनल में अपील कर सकते हैं।
यह फिल्म ड्रग्स के खिलाफ है
अनुराग कश्यप ने इसके चेयरमैन पहलाज निहलानी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी फिल्म "उड़ता पंजाब" से पंजाब शब्द को नहीं हटाया जा सकता। पंजाब का संदर्भ हटाना किसी भी सूरत में संभव नहीं है...यह फिल्म न ही अकाली और न ही भाजपा के खिलाफ है। यह ड्रग्स के खिलाफ है। यह एक ऐसी फिल्म है जिसमें दिखाया गया है कि किस प्रकार युवा अपनी जिंदगी खो रहे हैं।
इसके पहले जब फिल्म में "अत्यधिक गाली-गलौच" का हवाला देते हुए सेंसर बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया तो फिल्म निर्माता बोर्ड की रिवाइजिंग कमेटी के पास इस मामले को लेकर गए। उसमें निर्माताओं से पंजाब, राजनीति और चुनावों के सभी संदर्भों को हटाने के लिए कहा गया। इसमें फिल्म के टाइटल से भी पंजाब शब्द को हटाना भी शामिल था।
हमारे लिए पांच दिनों से कोमा जैसी स्थिति
इसके साथ ही अनुराग कश्यप ने एनडीटीवी से कहा, हमको लिखित रूप से अभी तक ऐसा करने को नहीं कहा गया है, लिहाजा इससे हमारे लिए अनिश्चिय की स्थिति उत्पन्न हो गई है। उनके मुताबिक, "उन्होंने कट संबंधी पत्र हमें अभी नहीं दिया गया है, लिहाजा हम ट्रिब्यूनल में भी नहीं जा सकते...हम पिछले पांच दिनों से कोमा की स्थिति में हैं और उनके खत की प्रतीक्षा कर रहे हैं।"
सेंसर बोर्ड पर पूरी तरह निहलानी का कब्जा
अनुराग ने निहलानी पर बीते जमाने का फिल्म मेकर कहते हुए उनके काम को "पुरातन" और "गुजरा हुआ" कहा और आरोप लगाया कि वो "तानाशाह की तरह बर्ताव" कर रहे हैं। उन्होंन निहलानी पर आरोप लगाया, सेंसर बोर्ड उनका उत्तरी कोरिया है...सेंटर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) में पूरी तरह उनका कब्जा है। सीबीएफसी में बाकियों की इस वक्त कोई आवाज नहीं है।
उन्होंने एनडीटीवी से यह भी कहा कि यह पूरी तरह से निहलानी के ईगो की समस्या है, जिसकी वजह से समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। "निहलानी सभी फिल्म मेकरों से यह अपेक्षा करते हैं कि वह उनका यह लेक्चर सुनें कि उन्होंने किस प्रकार फिल्में बनाईं। यह पूरी तरह से बकवास है।"
उन्होंने निहलानी से बातचीत करने से इनकार करते हुए कहा, "मैं फिल्म पर उनका लेक्चर नहीं सुनना चाहता। " लेकिन साथ ही यह सवाल भी खड़ा किया कि सेंसर बोर्ड के चेयरमैन को "इस तरह काम कैसे करने दिया जा रहा है...क्यों अरुण जेटली और राज्यवर्द्धन राठौड़ इस आदमी को नहीं हटा रहे हैं। "
उल्लेखनीय है कि फिल्म उड़ता पंजाब को अगले 10 दिनों में रिलीज होना है और इसके प्रमुख निर्माता अनुराग कश्यप ने सवाल किया, "मैं महसूस कर रहा हूं कि हम काफ्का के उपन्यास के चरित्रों की तरह हैं। हम अनिश्चिय की स्थिति में हैं और इससे बाहर निकलने के बारे में हमें नहीं पता।"
केंद्र सरकार ने किया मामले से किनारा
इस मसले पर सरकारी सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार का सेंसर बोर्ड के निर्णय से कुछ लेना-देना नहीं है। इसके साथ ही यह सलाह भी दी कि इस फिल्म के निर्माण इस मसले को ट्रिब्यूनल में ले जा सकते हैं। हालांकि कश्यप का कहना है, "हम ट्रिब्यूनल में कैसे जा सकते...निहलानी ने कट के संबंध में हमें अभी तक खत ही नहीं दिया है।" उन्होंने जोर देकर कहा, "अपने फिल्म की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ेंगे।"
कश्यप के आरोपों का निहलानी ने जवाब नहीं दिया है। लेकिन सेंसर बोर्ड की सदस्य वाणी त्रिपाठी ने कहा कि हर फिल्म पर सदस्यों की अपनी राय होती है लेकिन मूल समस्या सरकार के कारण नहीं बल्कि पुरानी सर्टिफिकेशन प्रक्रिया के कारण है।
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