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यरुशलम मामले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अलग-थलग पड़ा अमेरिका - जानें 10 अहम बातें

ट्रंप के फैसले का मजबूती से बचाव करते हुए निक्की हैली ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सूचित किया कि अमेरिका ने यह फैसला अच्छी तरह जानते समझते लिया है कि इससे सवाल और चिंताएं उठेंगी.

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने यरुशलम पर अमेरिका के फैसले की आलोचना की
वाशिंगटन:

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका अलग-थलग पड़ गया है. सदस्य देशों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यरुशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के फैसले पर अमेरिका से किनारा कर लिया. यहां तक कि ब्रिटेन और फ्रांस जैसे अमेरिका के करीबी सहयोगियों ने भी इस फैसले के लिए अमेरिका को खुलेआम फटकार लगाई. संरा की 15 सदस्यीय प्रभावशाली संस्था की आपात बैठक में केवल अमेरिकी राजदूत निक्की हैली ने ही येरुशलम पर ट्रंप के फैसले का समर्थन किया.

संयुक्त राष्ट्र ने यरुशलम पर अमेरिका के फैसले को लेकर चेताया
  1. ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी और स्वीडन ने संयुक्त वक्तव्य में कहा, यरुशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने और अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम ले जाने की तैयारियों के अमेरिका के फैसले से हम असहमत हैं.
  2. इस बयान में कहा गया कि अमेरिका का यह फैसला सुरक्षा परिषद के संकल्पों के अनुरूप नहीं है और क्षेत्र में शांति की संभावनाओं के मद्देनजर भी मददगार नहीं है.'
  3. उन्होंने कहा कि यरुशलम का दर्जा इस्राइल और फिलस्तीन के बीच बातचीत के जरिये तय किया जाना चाहिए, ताकि उसके दर्जे पर अंतिम समझौता हो सके.
  4. फ्रांस के स्थायी प्रतिनिधि फ्रांस्वा डेलाट्रे ने आपात बैठक में कहा कि जेरूसलम पर राजनीतिक टकराव धार्मिक टकराव में तब्दील हो सकता है.
  5. ट्रंप के फैसले का मजबूती से बचाव करते हुए निक्की हैली ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सूचित किया कि अमेरिका ने यह फैसला अच्छी तरह जानते समझते लिया है कि इससे सवाल और चिंताएं उठेंगी.
  6. अमेरिका के इस फैसले के विरोध में शुक्रवार शाम को न्यूयॉर्क टाइम्स स्क्वायर पर लगभग 1,000 फिलीस्तीन समर्थकों ने प्रदर्शन भी किया.
  7. उधर, यरुशलम पर अमेरिका की घोषणा के संबंध में तुर्की के नेता रजब तैयप एर्दोआन मुस्लिम देशों को एक स्वर में अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए एकजुट करने की कोशिश में हैं.
  8. ट्रंप के यरुशलम को इस्राइल की राजधानी की मान्यता देने से तुर्की के राष्ट्रपति का गुस्सा फूट पड़ा था. खुद को फिलस्तीनी मामलों के समाधान की धुरी मानने वाले एर्दोआन ने तभी से इस धारणा का विरोध करना शुरू कर दिया था जब इस बारे में घोषणा भी नहीं की गई थी.
  9. उन्होंने ट्रंप की इस घोषणा को 'मुस्लिमों के लिए खतरे की घंटी' बताया है, क्योंकि पूर्वी फिलस्तीनी क्षेत्र के नागरिक इसे अपने देश की भविष्य की राजधानी के तौर पर देखते हैं.
  10. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1980 के एक प्रस्ताव में सदस्य देशों से अपने राजनयिक मिशन यरुशेलम में नहीं खोलने को कहा गया था.

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