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पनामा लीक से सवालों में घिरे भारतीयों की पीएम मोदी ने जांच के आदेश दिए - 10 खास बातें

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पीएम मोदी ने उन 500 भारतीयों की जांच के आदेश दिए हैं, जिनके नाम 'पनामा पेपर्स' में सामने आए हैं। दुनियाभर के रईसों के वित्तीय लेनदेन की पोल खोलने वाले एक करोड़ 15 लाख दस्तावेज़ लीक हो गए हैं, जिन्हें 'पनामा पेपर्स' कहा जा रहा है। इनमें फिल्मी सितारों और उद्योगपतियों सहित 500 भारतीयों के नाम भी शामिल हैं।

पनामा दस्तावेज़ों से जुड़ी 10 खास बातें

  1. केंद्र सरकार ने कहा कि खोजी पत्रकारों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह द्वारा उजागर सूचना का वह 'स्वागत' करती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर टैक्स और विदेशी मुद्रा लेनदेन मामले के विशेषज्ञों की एक टीम गठित की गई है, जो कि वित्तीय अपराध की जांच करने वाली एजेंसियों के साथ मिलकर 'इनमें से प्रत्येक मामले में प्राप्त सूचना' की जांच करेगी।

  2. अंग्रेज़ी दैनिक 'इंडियन एक्सप्रेस' सहित मीडिया कंपनियों के समूह ने उन दस्तावेज़ों की गहरी छानबीन की, जो किसी अज्ञात सूत्र ने उपलब्ध करवाए थे। जांच से ढेरों फिल्मी तथा खेल हस्तियों के अलावा लगभग 140 राजनेताओं की छिपी संपत्ति का भी खुलासा हुआ है।

  3. नियमों को ताक पर रखकर फर्जी कंपनियों की आड़ में संपत्ति को छिपाने के लगातार फैलते कारोबार में 35 से भी अधिक देशों में दफ्तर स्थापित कर चलाई जा रही एक महत्वपूर्ण कंपनी पनामा स्थित लॉ फर्म मोसैक फॉन्सेका (Mossack Fonseca) से लीक हुए इन लाखों दस्तावेज़ों की जांच-पड़ताल 300 से भी ज़्यादा पत्रकारों ने की।

  4. 'इंडियन एक्सप्रेस' का कहना है कि 36,000 से भी ज़्यादा फाइलों की आठ महीने तक चली उसकी जांच से विदेशों में स्थित कंपनियों, फाउंडेशनों और ट्रस्टों में लगभग 500 भारतीयों के नाम भी सामने आए हैं। समाचारपत्र के अनुसार, उन्होंने 300 से ज़्यादा पतों की पुष्टि भी की है।

  5. वर्ष 2003 से पहले भारतीयों को विदेशों में कंपनियां स्थापित करने की इजाज़त नहीं थी। वर्ष 2004 में पहली बार लोगों को व्यक्तिगत रूप से विदेशों में एक सीमा तक फंड भेजने की अनुमति दी गई। वर्ष 2013 में नियम बदला गया, और भारतीयों को विदेशों में सब्सिडियरी कंपनियां खोलने और संयुक्त उपक्रमों में निवेश की अनुमति दी गई, लेकिन अधिकतर मामलों में कंपनियां पहले ही खोली जा चुकी थीं।

  6. इस जांच में एक दर्जन ऐसे राजनेता शामिल हैं, जो मौजूदा समय में राष्ट्राध्यक्ष हैं या पहले रह चुके हैं। इनमें चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ तथा सऊदी अरब के राजा शामिल हैं।

  7. दस्तावेज़ के मुताबिक शी चिनफिंग तथा उनके परिवार के विदेशी कंपनियों से संबंध हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि शी चिनफिंग ने अपने देश चीन में कम्युनिस्ट पार्टी सदस्यों द्वारा गैरकानूनी ढंग से एकत्र की गई संपत्ति को निशाना बनाते हुए बहुत बड़े स्तर पर एक भ्रष्टाचार-रोधी अभियान चलाया था।

  8. जांच से यह भी सामने आया है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर का नाम दस्तावेज़ों में कहीं नहीं है, लेकिन पुतिन के करीबी लोगों ने 'बैंकों तथा फर्जी कंपनियों की मदद से लगभग दो अरब अमेरिकी डॉलर खुफिया तरीके से इधर-उधर किए...'

  9. फुटबॉल खिलाड़ी लायनल मेसी तथा उनके पिता कथित रूप से एक फर्जी कंपनी के मालिक हैं, जिसका पता स्पेन में मेसी के टैक्स मामलों को लेकर हुई जांच में नहीं चला था। रिपोर्टों के मुताबिक, भले ही अंतरराष्ट्रीय खोजी पत्रकार संघ या इंटरनेशनल कन्सॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (International Consortium of Investigative Journalists - ICIJ) द्वारा अधिकतर कथित सौदों को कानूनी बताया जा रहा है, लेकिन इनका उन लोगों पर गंभीर राजनैतिक प्रभाव पड़ सकता है, जिनके नाम इसमें सामने आए हैं।

  10. पनामा दस्तावेज़ उस वक्त सामने आए हैं, जब भारत सरकार द्वारा काले धन को लेकर बनाई गई स्पेशल इन्वेस्टिगेटिंग टीम (एसआईटी) अपनी नई एक्शन टेकन रिपोर्ट को अंतिम रूप देने जा रही है। वैसे, विदेशों में मौजूद संपत्तियों का खुलासा करने के लिए चलाई गई 90 दिन की योजना के जरिये सिर्फ 3,770 करोड़ रुपये ही सामने आ पाए हैं।


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