
Sawan 2025: सनातन परंपरा में रुद्राक्ष को भगवान रुद्र या फिर कहें शिव का प्रसाद माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार जो शिव भक्त इसे विधि-विधान से धारण करता है, उस पर हमेशा भगवान भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है. जिस रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से मानी जाती है, उसे धारण करने के लिए पवित्र श्रावण मास बहुत ज्यादा शुभ और पुण्यदायी माना गया है. मान्यता है कि यदि कोई भक्त सावन के महीने में भगवान शिव को रुद्राक्ष का बीज या फिर उससे बनी माला आदि को अर्पित करके उसकी पूजा करता है और उसे महादेव का प्रसाद मानकर श्रद्धा और विश्वास के साथ धारण करता है, उसे कभी स्वप्न में भी दु:ख और भय नहीं सताता है.
1. कितने प्रकार का हेाता है रुद्राक्ष
पवित्र रुद्राक्ष के बीज कई प्रकार के पाए जाते हैं, जिनकी अपनी अलग-अलग विशेषता होती है. कहने का तात्पय यह है कि यह अलग-अलग रंग और आकार लिए होता है. अमूमन रुद्राक्ष की पहचान उस पर बनी धारी और आकार से होती है. मसलन यदि किसी रुद्राक्ष में एक धारी है तो वह एक मुखी रुद्राक्ष होता है. इस प्रकार एक से 01 से 21 मुखी तक रुद्राक्ष पाये जाते हैं. इन सभी रुद्राक्ष को हमेशा मनोकामना, अनुकूलता और शुभता आदि का ख्याल रखते हुए धारण किया जाता है.

2. अपनी राशि के अनुसार पहने रुद्राक्ष
हिंदू मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष का न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय महत्व भी है. ज्योतिष के अनुसार रुद्र की कृपा बरसाने वाले रुद्राक्ष का संबंध नवग्रहों से भी जुड़ा है. ऐसे में प्रत्येक राशि के जातक को शुभता और सकारात्मक उर्जा को पाने के लिए उसे अपने अनुकूल ग्रह वाला रुद्राक्ष ही धारण करना चाहिए. आइए जानते हैं कि किस राशि के जातक को कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए.
- मेष और वृश्चिक जिनके स्वामी मंगल देवता हैं, उन्हें तीन मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए.
- वृष और तुला जिनके स्वामी शुक्र देव हैं, उन्हें हमेशा छहमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए.
- यदि आपकी राशि मिथुन या फिर कन्या है तो आपको अपने राशि स्वामी बुध की अनुकूलता देने वाला चार मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए.
- इसी प्रकार धनु और मीन राशि के जातक को गुरु ग्रह की शुभता बढ़ाने वाला पांचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए.
- कर्क राशि को दो मुखी और सिंह राशि के जातक को 12 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए.
3. कौन और कहां धारण कर सकता है रुद्राक्ष
रुद्राक्ष को बच्चे, बूढ़े, स्त्री-पुरुष सभी धारण कर सकते हैं. शिव के भक्त अक्सर भोलेनाथ की कृपा को बनाए रखने के लिए रुद्राक्ष को गले में माला के रूप में धारण करते हैं. इसके अलावा कई लोग इसे गले में लॉकेट के रूप में तो कुछ अपनी कलाई में ब्रेसलेट के रूप में पहनते हैं. महिलाएं अक्सर इसे कानों में इयररिंग्स के रूप में पहना करती हैं. कुछ संत और शिवभक्त इसे अपने सिर पर भी धारण करते हैं.
4. किस दिन धारण करें रुद्राक्ष
हिंदू मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष को धारण करने के लिए पूरा सावन का महीना शुभ माना गया है लेकिन यदि आप इसे सोमवार के दिन धारण करते हैं तो अति उत्तम है क्योंकि यह दिन शिव को समर्पित है. इसके अलावा आप प्रदोष व्रत और शिवरात्रि व्रत वाले दिन भी इसे विधि-विधान से पूजित करके धारण कर सकते हैं.

5. कब नहीं पहनना चाहिए रुद्राक्ष
धर्म शास्त्र में कुछेक परिस्थितियों में रुद्राक्ष को स्पर्श न करने के नियम बताए हुए हैं. जैसे टायलेट आदि जाते समय इसकी पवित्रता का विशेष ख्याल रखते हुए उतार दिया जाता है. इसी प्रकार महिलाओं को पीरियड्स के दौरान रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिए. इसी प्रकार तामसिक चीजों का सेवन करते समय, किसी शवयात्रा में शामिल होते समय एवं स्त्री संसर्ग के समय भी रुद्राक्ष पहनने की मनाही है.
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6. कैसे करें नकली रुद्राक्ष की पहचान
शिव कृपा दिलाने वाले रुद्राक्ष को हमेशा देख-परख कर ही खरीदें क्योंकि आजकल बाजार में कई प्रकार से बनाए जाने वाले नकली रुद्राक्ष की भरमार है. यदि आपको किसी रुद्राक्ष की सत्यता पर शक हो तो आप उसे पानी में डुबाकर पता लगा सकते हैं. यदि आपको लगता है कि उसे किसी तरह जोड़कर बनाया गया है तो उसे गर्म पानी में डालकर पता लगा सकते हैं. इसी पपंमार कुछेक संस्थान अपने यहां लैब बनाई हुई है जहां पर जाकर आप इसकी सत्यता का पता लगा सकते हैं.
7. रुद्राक्ष पहनने के लाभ
हिंदू मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति हर समय शिवमय रहता है. भगवान भोलनेनाथ की कृपा से उसके भीतर एक सकारात्मक उर्जा और शक्ति बनी रहती है. शिव की कृपा से उसके पास रोग, शोग और भय सपने में नहीं फटकते हैं. उसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों की प्राप्ति होती है. कुल मिलाकर शिव का यह प्रसाद सभी प्रकार से सुखदायक एवं सफलतादायक है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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