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कुंबकोणम:
तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत के लोकप्रिय पर्व ‘महामहम’ के पावन मौके पर कुंबकोणम मंदिर के पवित्र सरोवर में 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पुण्य की डुबकी लगाने का अनुमान है। इस पर्व को ‘दक्षिण भारत के कुंभ’ के रुप में जाना जाता है।
दक्षिण भारत का यह लोकप्रिय पर्व तब मनाया जाता है, जब खगोलीय रूप से जब सूर्य और चंद्रमा वृहस्पति की राशि में आते हैं। यही खगोलीय संयोग उत्तर भारत में कुंभ पर्व के लिए बनता है।
अगला महामहम पर्व सन 2028 में
पुण्य-डुबकी लगाने की इस विशेष परंपरा और अवधि को श्रद्धालु ‘तीर्थावरी’ कहते हैं। लोगों की मान्यता है कि यह पुण्य-डुबकी लगाने से मनुष्यमात्र के पाप नष्ट हो जाते हैं।
जरूर देखें: महामहम पर्व की विडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें
इतनी तादाद में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने का कारण यह है कि यह पर्व बारह वर्षों के बाद मनाया जाता है। अंतिम ‘महामहम’ का आयोजन मार्च 2004 में हुआ था, जबकि अगला महामहम 2028 में होगा।
प्रबंधन और सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
कहते हैं कुंबकोणम मंदिर के सरोवर में जल के बीस स्रोत हैं, जिनका संबंध पवित्र नदियों से माना जाता है। मान्यता है कि इस सरोवर में स्नान करने उन्हीं पवित्र नदियों में स्नान का फल प्राप्त होता है।
इस स्नान-पर्व अनुष्ठान को सुचारू रूप से संपन्न कराने और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए। इसके लिए पच्चीस हजार पुलिसकर्मियों को नियुक्त किया गया। चार हजार सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। एम्बुलेंस की एक फ्लीट के साथ लोगों को तीव्र चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए मोटरसाइकिल सवारों को तैनात किया गया।
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दक्षिण भारत का यह लोकप्रिय पर्व तब मनाया जाता है, जब खगोलीय रूप से जब सूर्य और चंद्रमा वृहस्पति की राशि में आते हैं। यही खगोलीय संयोग उत्तर भारत में कुंभ पर्व के लिए बनता है।
अगला महामहम पर्व सन 2028 में
पुण्य-डुबकी लगाने की इस विशेष परंपरा और अवधि को श्रद्धालु ‘तीर्थावरी’ कहते हैं। लोगों की मान्यता है कि यह पुण्य-डुबकी लगाने से मनुष्यमात्र के पाप नष्ट हो जाते हैं।
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इतनी तादाद में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने का कारण यह है कि यह पर्व बारह वर्षों के बाद मनाया जाता है। अंतिम ‘महामहम’ का आयोजन मार्च 2004 में हुआ था, जबकि अगला महामहम 2028 में होगा।
प्रबंधन और सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
कहते हैं कुंबकोणम मंदिर के सरोवर में जल के बीस स्रोत हैं, जिनका संबंध पवित्र नदियों से माना जाता है। मान्यता है कि इस सरोवर में स्नान करने उन्हीं पवित्र नदियों में स्नान का फल प्राप्त होता है।
इस स्नान-पर्व अनुष्ठान को सुचारू रूप से संपन्न कराने और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए। इसके लिए पच्चीस हजार पुलिसकर्मियों को नियुक्त किया गया। चार हजार सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। एम्बुलेंस की एक फ्लीट के साथ लोगों को तीव्र चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए मोटरसाइकिल सवारों को तैनात किया गया।
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