
भारत त्योहारों का देश है, और साल के हर दिन कोई न कोई त्योहार यहां मनाया जाता है. बहुत-से त्योहार खुशियां बांटने और पूरे समाज को जोड़ने का काम करते हैं, लेकिन कुछ त्योहार सिर्फ महिलाओं से जुड़े हैं, जो अपने परिवार, बच्चों और पति की दीर्घायु और खुशियों की कामना के साथ उपवास रखकर मनाए जाते हैं. ऐसा ही एक त्योहार है हरतालिका तीज, जिसे आमतौर पर हिन्दी पट्टी के राज्यों राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है.
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साल में तीज का त्योहार तीन बार मनाया जाता है, जिनमें हरतालिका तीज के अलावा हरियाली तीज और कजरी तीज भी शामिल हैं, लेकिन हरतालिका तीज को तीनों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण तीज माना जाता है. हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की तृतीया (तीसरा दिन) को मनाया जाता है, और इस साल यह 24 अगस्त को मनाया जा रहा है. देवी पार्वती के ही एक रूप मां हरतालिका को समर्पित हरतालिका तीज उस दिन की याद में मनाई जाती है, जब भगवान शिव ने देवी पार्वती के प्रेम को स्वीकार कर लिया था. देशभर में महिलाएं तथा अविवाहित कन्याएं अपने पति-प्रेमी से प्रेम पाने तथा प्रेम करने वाला जीवनसाथी पाने की आशा में यह उपवास या व्रत रखती हैं.
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कैसे मनाया जाता है यह त्योहार
1- हरतालिका तीज के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद श्रंगार करती हैं. कुछ जगहों पर 19 श्रंगार किए जाते हैं. इसके बाद वह मंदिर जाती हैं,जहां वह एक दीपक जलाती हैं जिसे रात भर जलाए रखा जाता है. कुछ महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत भी रखती हैं. रात में महिलाएं शिव-पार्वती का श्रंगार करती हैं और तीज के दिन गाए जाने वाले गाने गाती हैं. वहीं कुछ जगहों पर महिलाओं के उनके सास-ससुर, माता-पिता की ओर से परंपरिक उपहार भी दिए जाते हैं. इन उपहारों को सिंधारा या श्रिजनहारा भी कहते हैं.
2-महिलाएं 24 घंटे तक कुछ भी खाती-पीती नही हैं. लेकिन फल-मिठाइयां, घेवर-पेड़े आदि शादी-शुदा महिलाओं को खिलाती हैं जो देवी पार्वती के रूप में देखी जाती हैं.
3- इस साल हरतालिका तीज का मुहूर्त सुबह में 6.22 बजे से 8.54 तक है. जबकि शाम की पूजा का समय 7 बजे से 8.27 बजे तक है.
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