चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है
उज्जैन:
Lunar Eclipse 2018: अगर बारिश के देवता इंद्र प्रसन्न रहे तो 27 और 28 जुलाई की दरम्यानी रात पूर्ण चंद्र गहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की लुकाछिपी का अद्भुत नजारा भारत के ज्यादातर हिस्सों में दिखाई देगा. सदी के सबसे लम्बे पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा करीब 1 घंटे 43 मिनट तक पृथ्वी की ओट में पूरी तरह छिपा दिखाई देगा.
100 साल बाद लगने जा रहा है ऐसा दुर्लभ चंद्र ग्रहण
उज्जैन ऑब्जर्वेटरी के अधीक्षक डॉक्टर राजेंद्रप्रकाश गुप्त के मुताबिक, 'इस बार पूर्ण चंद्र गहण देश के ज्यादातर हिस्सों में देखा जा सकेगा, जहां मॉनसून के चलते आकाश साफ रहेगा.'
उन्होंने बताया कि पूर्ण चंद्र ग्रहण की शुरुआत भारतीय समय के मुताबिक 27 जुलाई को रात 11 बजकर 54 मिनट 02 दो सेकेंड होगी, जब पृथ्वी की काली छाया चंद्रमा को आहिस्ता-आहिस्ता ढकना शुरू करेगी. कोई दो सदी पुरानी ऑब्जर्वेटरी के निदेशक ने अपनी गणना के हवाले से बताया कि पूर्ण चंद्रग्रहण रात 01 बजकर 51 मिनट 08 सेकेंड पर अपने चरम स्तर पर पहुंचेगा, जब पृथ्वी की छाया से चंद्रमा 161.4 प्रतिशत ढका नजर आएगा. पूर्ण चंद्र ग्रहण की यह स्थिति अगले एक घंटे 42 मिनट 57 सेकेंड तक रहेगी.
Chandra Grahan: जानिए चंद्र ग्रहण के बारे में क्या कहता है विज्ञान
इसके बाद पृथ्वी की छाया चंद्रमा से धीरे-धीरे हटने लगेगी और 28 जुलाई को तड़के 03 बजकर49 मिनट 03 सेकेंड पर ग्रहण खत्म हो जाएगा. गुप्ता ने बताया कि पूर्ण चंद्र ग्रहण का यह नजारा एशिया के कुछ अन्य देशों के साथ अंटाकर्टिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, रूस, अफ्रीका और अमेरिका के कुछ इलाकों में भी दिखेगा.
गौरतलब है कि पूर्ण चंद्र ग्रहण तब लगता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है और अपने उपग्रह चंद्रमा को अपनी छाया से ढक लेती है. चंद्रमा इस स्थिति में पृथ्वी की ओट में पूरी तरह छिप जाता है और उस पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ पाती है. इस खगोलीय घटना के वक्त पृथ्वीवासियों को चंद्रमा रक्तिम आभा लिए दिखायी देता है. लिहाजा इसे 'ब्लड मून' भी कहा जाता है.
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इसके बाद पृथ्वी की छाया चंद्रमा से धीरे-धीरे हटने लगेगी और 28 जुलाई को तड़के 03 बजकर49 मिनट 03 सेकेंड पर ग्रहण खत्म हो जाएगा. गुप्ता ने बताया कि पूर्ण चंद्र ग्रहण का यह नजारा एशिया के कुछ अन्य देशों के साथ अंटाकर्टिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, रूस, अफ्रीका और अमेरिका के कुछ इलाकों में भी दिखेगा.
गौरतलब है कि पूर्ण चंद्र ग्रहण तब लगता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है और अपने उपग्रह चंद्रमा को अपनी छाया से ढक लेती है. चंद्रमा इस स्थिति में पृथ्वी की ओट में पूरी तरह छिप जाता है और उस पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ पाती है. इस खगोलीय घटना के वक्त पृथ्वीवासियों को चंद्रमा रक्तिम आभा लिए दिखायी देता है. लिहाजा इसे 'ब्लड मून' भी कहा जाता है.
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