Barna Parv of Champaran: बरना पर्व में 48 घंटे की अवधि होती है बेहद खास, लोग करते हैं पेड़-पौधों की निगरानी, जानें महत्व

Barna Parv of Champaran: बरना पर्व अपने आप में अनोखा है. इस पर्व के दिन लोग हाथों में लाठी-डंडे थामकर पेड़-पौधों की निगरानी करते है.

Barna Parv of Champaran: बरना पर्व में 48 घंटे की अवधि होती है बेहद खास, लोग करते हैं पेड़-पौधों की निगरानी, जानें महत्व

Barna Parv of Champaran: पर्यावरण को खुशहाल रखने का संदेश देता है चंपारण का बरना पर्व.

Barna Parv of Champaran: भारत को पर्व-त्योहारों का देश कहा जाता है. यहां हर दिन कोई ना कोई व्रत या त्योहार पड़ते हैं. हर राज्य में अलग-अलग संस्कृति और परंपरा देखनो को मिलती है. इसके अलावा हर राज्य में त्योहारों को मनाने का भी अलग-अलग तरीका है. बिहार के पश्चिम चंपारण का पर्व अपने आप में अनूठा है. इस पर्व में लोग पेड़-पौधों की निगरानी के लिए हाथों में लाठी-डंडे रखते हैं. आइए जानते हैं बरना पर्व (Barna Parv) से जुड़ी खास बातें.

कब से कब तक मनाया जाएगा बरना पर्व | Barna Parv 2022 Date

पश्चिम चंरपारण का प्रसिद्ध बरना पर्व 30 अगस्त से शरू है जो कि आगामी 22 सितंबर तक मनाया जाएगा. इस बीच अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग अवधि के दौरान पेड़-पौधों को छूने की भी मनाही रहती है. मुख्य रूप से इस पर्व को मनाना के उद्देश्य आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण के प्रति जागरुक करना है. 

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थारू समाज के लोग लाठी-डंडे से करते हैं निगरानी | Importance of Barna Parv

इतिहारकारों के मुताबिक थारू समाज (Tharu Janjati) के लोग 16 वीं शताब्दी से ही जंगल में जीवनयापन कर रहे हैं. जंगल में रहते हुए वे एक देवी-देवता की पूजा की और प्रकृति को हरियाली को बचाने का संकल्प लिया. कहते हैं कि उसी समय से इस पर्व की शुरुआत हुई. इस पर्व के दौरान थारू समाज के लोग लाठी-डंडे से पेड़-पौधों की सुरक्षा करते हैं. साथ ही आने वाली पीढ़ी को भी इसके लिए जागरूक करते हैं. मान्यता है कि इस पर्व के दौरान पशुओं के लिए चारा भी एक दिन पहले की इकट्ठा कर लिया जाता है. इसके अलावा पर्व के दिन फल और सब्जियां भी नहीं तोड़ी जाती हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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