Eid Mubarak: बकरीद (Bakrid), बकरा ईद (Bakra Eid) या ईद-उल-अजहा (Eid al-Adha) 12 अगस्त को मनाई जा रही है. इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है. लोग एक-दूसरे के घर जाकर दावतें खाते हैं. मिलकर सभी को ईद की मुबारकबाद देते हैं. गरीबों को भी इस दिन गोश्त के साथ-साथ दान दिया जाता है. मिलने से पहले फोन के जरिए भी ईद मुबारक कहा जाता है. वहीं, कुछ लोग शायरी (Eid Shayari) भेजकर खास अंदाज़ में बकरीद की मुबारकबाद देते हैं. यहां आपके लिए भी ईद की शानदार शायरी दी जा रही हैं, जिन्हें भेज आप भी शाही अंजाद में ईद-उल-अजहा (Eid al-Adha) की मुबारक दे सकते हैं.
12 अगस्त को है बकरीद, जानिए इस दिन क्यों दी जाती है बकरे की कुर्बानी?
ईद का दिन है गले आज तो मिल ले ज़ालिम
रस्म-ए-दुनिया भी है मौक़ा भी है दस्तूर भी है
क़मर बदायुनी
देखा हिलाल-ए-ईद तो आया तेरा ख़याल
वो आसमां का चांद है तू मेरा चांद है
अज्ञात
ईद का चांद तुम ने देख लिया
चांद की ईद हो गई होगी
अज्ञात
फ़लक पे चांद सितारे निकलने हैं हर शब
सितम यही है निकलता नहीं हमारा चांद
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
ईद आई तुम न आए क्या मज़ा है ईद का
ईद ही तो नाम है इक दूसरे की दीद का
अज्ञात
कहते हैं ईद है आज अपनी भी ईद होती
हम को अगर मयस्सर जानां की दीद होती
ग़ुलाम भीक नैरंग
उस से मिलना तो उसे ईद-मुबारक कहना
ये भी कहना कि मिरी ईद मुबारक कर दे
दिलावर अली आज़र
ऐ हवा तू ही उसे ईद-मुबारक कहियो
और कहियो कि कोई याद किया करता है
त्रिपुरारि
हासिल उस मह-लक़ा की दीद नहीं
ईद है और हम को ईद नहीं
बेखुद बदायुनी
महक उठी है फ़ज़ा पैरहन की ख़ुशबू से
चमन दिलों का खिलाने को ईद आई है
मोहम्मद असदुल्लाह
तू आए तो मुझ को भी
ईद का चांद दिखाई दे
हरबंस तसव्वुर
ईद का दिन तो है मगर 'जाफ़र'
मैं अकेले तो हंस नहीं सकता
जाफ़र साहनी
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