बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कहा कि महिलाओं के साथ भेद-भाव की मूल जड़ यह है कि हमारे अपने परिवार में ही लड़के और लड़की के बीच भेद-भाव वाला व्यवहार किया जाता है। महिलाओं को अपने करियर, शिक्षा, विवाह और परिवार आदि के बारे में फैसला लेने की आजादी होनी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर यहां भाजपा मुख्यालय से इंटरनेट के जरिए देश भर में पार्टी द्वारा 1500 स्थानों से जुड़े 'नमो के साथ चाय पर चर्चा' कार्यक्रम के तहत लोगों से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं के उत्थान और उन्हें बराबरी देने के लिए हमें समाज के नजरिए को बदलना होगा।
लोकसभा चुनावों में प्रचार के लिए भाजपा 'नमो के साथ चाय चौपाल' कार्यक्रम चला रही है। आज इस कार्यक्रम का दूसरा दौर था। इस कार्यक्रम में पुरुषों की संख्या अधिक होने पर उन्होंने कहा, मैं अपने सामने बहुत सारे पुरुषों को देख रहा हूं। मुझे उम्मीद थी कि कम से कम आज तो महिलाएं अधिक होंगी।
उन्होंने कहा, 'हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि राष्ट्र-निर्माण में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। महिलाओं को अपने करियर, शिक्षा, विवाह और परिवार आदि के बारे में चुनने की आजादी होनी चाहिए। महिलाओं के साथ भेद-भाव सभी समस्याओं की जड़ है।'
महिलाओं की सुरक्षा के सुनिश्चित करने में खास कुछ नहीं करने के लिए संप्रग सरकार की आलोचना करते हुए मोदी ने कहा, केंद्र ने 1000 करोड़ रुपयों का निर्भया कोष गठित किया है, लेकिन मुझे मालूम हुआ है कि इसमें से एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया है। भाजपा नेता ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण में उनकी आर्थिक आजादी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में उन्होंने कहा कि हमारे यहां हर बात के लिए कानून हैं, लेकिन यह अपने आप में काफी नहीं है। महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों के मन में भय पैदा करने के लिए हमें न्याय दिलाने में तीव्रता लानी होगी।
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