चुनाव आयोग ने अपने तीनों आयुक्तों के बीच मतभेद की बात को खारिज कर दिया और कहा कि वह आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों को निपटारा त्वरित गति से करता है।
वाराणसी में नरेंद्र मोदी के कार्यक्रमों की अनुमति नहीं देने को लेकर बीजेपी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा कि उसने 'पूरी तत्परता' से काम किया और जिला प्रशासन से जमीनी वास्तविकता की पुष्टि करने के बाद इसकी उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव तथा डीजीपी स्तर पर फिर से पुष्टि की गई तथा बीजेपी के नेताओं को उपयुक्त जवाब भेजा गया।
आयोग ने बयान में कहा, पूर्ण आयोग यह स्पष्ट करना चाहेगा कि तीनों आयुक्तों से जुड़ा शीर्ष नेतृत्व एक टीम के रूप में काम करता है तथा अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का दृढ़ता और जरूरी मुस्तैदी के साथ निर्वहन कर रहा है।
बयान में कहा गया है कि चुनाव निकाय पुष्टि करता है कि आयुक्तों के बीच पूर्ण समन्वय है तथा सभी फैसले पर्याप्त विचार-विमर्श के बाद और सर्वसम्मति से किए जाते हैं।
चुनाव आयोग के इस बयान के कुछ घंटे पहले ही चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा ने एक समाचार चैनल से कहा था कि अगर तीनों आयुक्तों के बीच कोई भी मतभेद हो, तो उसे सार्वजनिक नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को बीजेपी नेता अरुण जेटली के पत्रों का तुरंत जवाब देना चाहिए था।
ब्रह्मा ने कहा कि बेनियाबाग इलाके मे रैली आयोजित करने को लेकर वाराणसी के निर्वाचन अधिकारी और बीजेपी के बीच संवादहीनता रही। बयान में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत और चुनाव आयुक्तों - नसीम जैदी तथा एचएस ब्रह्मा ने इसे अनुमोदित किया है।
आयोग ने इस बात से इनकार किया कि चुनाव नियमों के उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई करने में उसने सामान्य से अधिक समय लिया है। बयान के अनुसार अधिकतर शिकायतों का मुस्तैदी से निपटारा किया जाता है। हालांकि ऐसे विषयों में, जिनमें क्षेत्र से सूचना की जरूरत होती है और आगे जांच की जरूरत होती है, कुछ ज्यादा समय लगता है और उसके अनुरूप उनका निपटारा किया जाता है।
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