हरियाणा में अगले महीने प्रस्तावित विधानसभा चुनावों में बड़े दावेदारों के अलावा नए दलों और नये गठबंधनों से राजनीतिक परिदृश्य में रोचकता आ गई है।
कांग्रेस से चार दशक पुराना रिश्ता तोड़ने वाले पूर्व केन्द्रीय मंत्री और पूर्व विधायक विनोद शर्मा द्वारा हाल ही में नई पार्टी जनचेतना पार्टी (जेसीपी) गठित की गई।
इससे कुछ दिन पहले, प्रमुख ब्राहमण नेता शर्मा ने कुलदीप बिश्नोई नीत हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के साथ गठबंधन किया था। हजकां ने भाजपा पर बार बार धोखा देने का आरोप लगाते हुए तीन साल पुराना गठबंधन तोड़ा था।
दोनों दलों ने आगामी चुनाव संयुक्त रूप से लड़ने का फैसला किया और शर्मा ने बिश्नोई को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया।
एक समय मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी विश्वसनीय रहे शर्मा ने राज्य सरकार पर विकास और नौकरियों के मामले में हरियाणा के पूरे उत्तरी क्षेत्र को 'नजरअंदाज' करने का आरोप लगाया।
उधर, हरियाणा के पूर्व मंत्री और सिरसा से निर्दलीय विधायक गोपाल कांडा ने हुड्डा सरकार से समर्थन वापस लेते हुए मई में हरियाणा लोकहित पार्टी बनाई और विधानसभा की सभी 90 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किये। कांडा को विमान परिचायिका गीतिका शर्मा खुदकुशी मामले में फिलहाल जमानत मिली हुई है।
आम आदमी पार्टी भी इस चुनाव में नई दावेदार होती लेकिन पार्टी ने राज्य में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया। जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, रोज नये नये समीकरण बन रहे हैं। हैट्रिक पर नजर गड़ाई सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए रास्ता आसान नहीं है क्योंकि उसे सत्ता विरोधी लहर और बीरेंद्र सिंह, राव इंद्रजीत सिंह, विनोद शर्मा, पूर्व सांसद अरविंद शर्मा तथा अवतार सिंह भड़ाना जैसे कई बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने का सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि मुख्यमंत्री हुड्डा को कांग्रेस के लगातार तीसरी बार जीतने की 'आशा' है और उनका कहना है कि लोग चहुंओर विकास कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं के लिए उन्हें वोट देंगे।
वहीं, दूसरी ओर, भाजपा को लोकसभा चुनावों का शानदार प्रदर्शन जारी रहने की उम्मीद है।
मुख्य विपक्षी दल इनेलो को चुनावों में अपने वरिष्ठ नेता अभय चौटाला और 26 वर्षीय पार्टी सांसद दुष्यंत से उम्मीदें हैं।
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