दिल्ली में वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में 13 सीटें ऐसी थीं, जहां जीत और हार का फैसला 2,000 से भी कम वोटों से हुआ था। इनमें से पांच सीटों पर जीत का अंतर 1,000 वोट से भी कम रहा, और सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि इनमें से तीन सीटों पर तो अंतर 500 से भी कम का था। इस बार भी इन सभी सीटों पर मुकाबला कांटे का है।
पिछली बार जीत का सबसे कम अंतर आरके पुरम सीट पर रहा था, जहां महज 326 वोटों से आम आदमी पार्टी जीत दर्ज नहीं कर पाई थी और बाजी बीजेपी ने मार ली थी, और विजेता अनिल शर्मा इस बार भी मैदान में हैं। दिल्ली कैंट सीट पर भी आम आदमी पार्टी के सुरेंद्र सिंह ने बीजेपी के करण सिंह तंवर को सिर्फ 355 वोटों से शिकस्त दी थी, लेकिन बीजेपी ने उनका टिकट नहीं काटा है।
विकासपुरी में बीजेपी के कृष्ण गहलोत महज 405 वोटों से हारे थे और आम आदमी पार्टी के महेंद्र यादव ने सीट अपने नाम कर ली थी। इतने कम अंतर से हारने के बावजूद बीजेपी ने इस बार कृष्ण गहलोत पर दांव नहीं खेला है। पिछली बार संगम विहार सीट भी आम आदमी पार्टी के खाते में गई थी और यहां भी जीत का फासला महज 777 वोटों का था, लेकिन एससीएल गुप्ता का टिकट बीजेपी ने नहीं काटा है। इसके अलावा सदर बाजार सीट पर आम आदमी पार्टी के सोमदत्त ने बीजेपी के जयप्रकाश को 796 वोटों से हराया था, जिनका टिकट पार्टी ने काट दिया है।
मादीपुर से 'आप' के विधायक रहे गिरीश सोनी और बीजेपी के उम्मीदवार कैलाश सांकला के बीच वोटों का फासला 1,103 वोट का था, और सांकला पर पार्टी ने गाज गिरा दी। सुल्तानपुर माजरा सीट कांग्रेस के खाते में गई थी, और जयकिशन ने आम आदमी पार्टी के संदीप कुमार को 1,112 वोटों से शिकस्त दी थी, लेकिन संदीप इस बार भी रेस में हैं।
ऐसी दिलचस्प जीत और हार वाली सीटों में जंगपुरा, करोल बाग, राजेंद्र नगर, रोहिणी, मुस्तफाबाद और गोकुलपुर भी शामिल हैं, जहां अंतर क्रमश: 1,744, 1,750, 1,796, 1,872, 1,896 और 1,922 वोटों का रहा।
जंगपुरा में विजेता रहे 'आप' के एमएस धीर इस बार बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं। करोल बाग में बीजेपी ने हारे हुए सुरेंद्र पाल रातावाल का टिकट काट दिया है। राजेंद्र नगर सीट पर बीजेपी के आरपी सिंह जीते थे, और पार्टी ने इस बार भी उन्हीं को मैदान में उतारा है।
रोहिणी सीट पिछली बार 'आप' के खाते में गई थी, और हारे हुए बीजेपी के उम्मीदवार जयभगवान अग्रवाल का टिकट काट दिया गया है, लेकिन सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि पिछली बार नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के मुकाबले 28,000 से भी ज़्यादा वोटों से हारकर तीसरे नंबर पर रहे पूर्व प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता पर पार्टी ने रोहिणी में दांव खेला है।
मुस्तफाबाद सीट पिछले चुनाव में कांग्रेस के हसन अहमद ने बीजेपी के जगदीश प्रधान को हराया था, लेकिन इस बार भी यही दोनों मैदान में हैं। गोकुलपुर सीट पिछली बार बीजेपी के खाते में गई थी, सो, इस बार भी उम्मीदवार रंजीत सिंह बरकरार हैं।
एक और दिलचस्प जानकारी यह है कि पिछली बार इन 13 सीटों में से नौ पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर थी, जिनमें से सात पर 'आप' को कामयाबी मिली थी। दो सीटों पर 'आप' का मुकाबला कांग्रेस से था, और दोनों के खाते में एक-एक सीट आई थी। बाकी बची दो सीटों पर मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच था, और यहां भी एक-एक सीट दोनों पार्टियों ने अपने-अपने नाम की थीं।
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