झारखंड के चुनाव परिणामों पर निराशा के स्वर व्यक्त करते हुए कांग्रेस ने आज कहा कि वहां सभी गैर भाजपाई दलों को एक मंच पर लाया जाना चाहिए था, जबकि पार्टी ने जम्मू कश्मीर में सरकार के गठन में पीडीपी को समर्थन की पेशकश की और कहा कि वहां उसका खुद का प्रदर्शन 'उम्मीद' के अनुरूप ही रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता अजय कुमार ने कहा, 'जम्मू कश्मीर में हमने अपेक्षाकृत अच्छा किया है यद्यपि पिछले चुनाव में हमें जो सीटें मिली थीं उससे हमने दो तीन सीट कम पाई है। लेकिन लोकसभा चुनाव में भारी पराजय के बाद इसकी उम्मीद थी।
उन्होंने कहा कि चुनाव बाद के सभी सर्वेक्षणों ने हमें किनारे लगा दिया था, लेकिन उस आधार पर लोकसभा चुनावों के मुकाबले कांग्रेस ने अपनी स्थिति में सुधार किया है।
राज्य में सरकार के गठन के लिए पीडीपी को समर्थन देने के बारे में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद पहले ही इस संबंध में कह चुके हैं, अब गेंद पीडीपी के पाले में है।
उन्होंने साथ ही कहा कि समर्थन के मुद्दे को संवाददाता सम्मेलन में तय नहीं किया जा सकता और नेताओं के बीच बातचीत होनी होगी ताकि दोनों पक्ष मुद्दों पर एक राय बना सकें।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर वे सहमत होते हैं तो मैं नहीं समझता यह कोई मुद्दा है... हम सरकार के गठन पर पीडीपी के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का मुख्य उद्देश्य ऐसी सरकार प्रदान करना है, जो राज्य के विकास के लिए काम करे। उन्होंने साथ ही स्पष्ट किया कि पीडीपी के साथ औपचारिक संवाद अभी शुरू नहीं हुआ है।
झारखंड के मुद्दे पर अजय कुमार ने कहा कि वहां सभी गैर-भाजपाई दलों को एक मंच पर लाना बेहतर रहता। ऐसी परिस्थिति में झारखंड में परिणाम हमारे लिए ज्यादा बेहतर होते। भाजपा को वहां कुल मतों का 30 फीसदी मिला है जबकि गैर-भाजपाई दलों के खाते में कुल मिलाकर 70 फीसदी वोट गए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इस चुनाव में प्रचार करने के लिए प्रधानमंत्री संसद से दूर रहे। राजनीतिक उद्देश्य को लेकर वह संसद को छोड़ कर चुनाव प्रचार में व्यस्त रहे। यह अफसोसजनक है।’’ कुमार ने कहा कि चुनाव नतीजों ने जाहिर कर दिया है कि मोदी का असर कम होना शुरू हो गया है।
झारखंड में कांग्रेस, जेएमएम, राजद, जदयू और जेवीएम (पी) के महागठबंधन की पुरजोर हिमायत करने वाले कुमार ने कहा कि ऐसा गठजोड़ नहीं हो पाने की जिम्मेदारी हर किसी की है। यह आदिवासी राज्य में भाजपा को सत्ता में आने से रोक सकता था।
कांग्रेस ने शुरू में कहा था कि वह जेएमएम के साथ गठजोड़ कर चुनाव लड़ेगी। सूत्रों के अनुसार पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश नेतृत्व के आग्रह पर प्रदेश में अपने बूते चुनाव लड़ने का फैसला किया। प्रदेश नेतृत्व राज्य में अकेले चुनाव लड़ कर बहुत अच्छा प्रदर्शन करने को लेकर आश्वस्त था।
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