Amritsar Golden Temple: पंजाब के अमृतसर में बने स्वर्ण मंदिर को आपने कई बार देखा होगा, कई लोग यहां दर्शन के लिए भी गए होंगे. ये सिख समुदाय का एक पवित्र धर्म स्थल है, इसे श्री हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है. इस पवित्र गुरुद्वारे में रोजाना हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. सोने की परत चढ़े होने के चलते इसे स्वर्ण मंदिर कहा जाता है. शाम के वक्त इस पर लगे सोने की चमक दोगुनी हो जाती है और ये देखने में काफी ज्यादा खूबसूरत लगता है. मंदिर के आधे से ज्यादा हिस्से पर सोने की ये परत चढ़ी हुई है. इसे देखकर कई लोगों के मन में सवाल आता है कि क्या ये पूरा सोना असली है, या फिर पूरे मंदिर पर कितने किलो सोना लगा हुआ है. आइए इन तमाम सवालों के जवाब जानते हैं.
स्वर्ण मंदिर पर लगा सोना असली है?
अमृतसर के गोल्डन टेंपल पर लगा सोना बिल्कुल असली है, यही वजह है कि इसकी चमक कभी भी कम नहीं होती है. हालांकि पूरी दीवारें सोने की नहीं हैं, सिर्फ बाहरी परत सोने की चढ़ाई गई है. इसी गोल्ड प्लेटिंग के चलते ये गुरुद्वारा दुनियाभर में प्रसिद्ध है. इतनी बड़ी मात्रा में सोना लगे होने के बावजूद आज तक यहां कोई चोरी या फिर इस तरह की घटना नहीं हुई. सिख समुदाय के सेवादार मंदिर की सुरक्षा में लगे होते हैं, साथ ही परिसर में पुलिस भी तैनात रहती है.
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किसने लगवाया सोना?
श्री हरमंदिर साहिब पर सोना लगाने की पहल सिख साम्राज्य के संस्थापक के रूप में मशहूर महाराजा रणजीत सिंह ने 1830 में की थी. तब मंदिर के गर्भगृह को सोने ढका गया था. उस वक्त करीब 162 किलो सोना लगाया गया था, जो 24 कैरेट का यानी शुद्ध सोना था. इस सोने की कीमत उस वक्त करीब 65 लाख रुपये थी.
500 किलो सोने की प्लेटिंग
Goldentempleamritsar.org के मुताबिक स्वर्ण मंदिर में साल 1995 और 1999 के बीच रेनोवेशन का काम कराया गया, जिसमें 500 किलो सोने का इस्तेमाल हुआ. ये सोना भी 24 कैरेट का था. इसकी कीमत आज कई करोड़ में है. इस तरह से पहले और बाद के सोने को मिला दिया जाए तो स्वर्ण मंदिर में कुल 660 से 700 किलो सोना लगा हुआ है. यानी गोल्डन टेंपल में करीब 8 हजार करोड़ से ज्यादा का सोना लगा हुआ है.
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