नई दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए हैं कि वह राजधानी नगर निगम के 13 वार्डों में तीन महीने के अंदर उपचुनाव करवाएं। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश जयंत नाथ की पीठ ने दिल्ली सरकार को भी निर्देश दिया कि वह चुनाव करवाने के लिए चार हफ्ते के अंदर राज्य निर्वाचन आयोग को जरूरी श्रमबल और धन उपलब्ध करवाए।
दिल्ली सरकार ने इससे पहले उच्च न्यायालय में साल 2017 के एमसीडी चुनावों को सितंबर-अक्तूबर 2016 में करवा लेने का सुझाव दिया था। सरकार ने कहा था कि सितंबर-अक्तूबर 2016 में सभी वार्ड के लिए चुनाव करवाए जा सकते हैं। हालांकि अदालत का कहना था कि इतने लंबे समय तक 13 वार्ड को खाली रखना उचित नहीं होगा। इसके बाद अदालत ने 22 दिसंबर 2015 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
उपचुनाव के लिए प्रतिबद्ध
इससे पहले अदालत ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा था कि वह राष्ट्रीय राजधानी के 13 वार्ड की खाली सीटों पर 30 अप्रैल तक उपचुनाव करवाए। अदालत की ओर से यह निर्देश एक ऐसे समय पर आया है जब राज्य निर्वाचन आयोग ने उसके समक्ष यह कह दिया कि अगर राज्य सरकार पर्याप्त श्रमबल, पुलिसकर्मी और कोष उपलब्ध करवाती है तो वह इन खाली सीटों पर चार महीने के भीतर उपचुनाव करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस मामले पर सरकार ने अदालत से जवाब देने के लिए समय मांग लिया।
अदालत का यह आदेश कानून की पढ़ाई कर रही 20 साल की छात्रा संजना गहलोत की जनहित याचिका पर आया है। छात्रा ने अपने गांव में नालों का पानी सड़कों पर बहने और पूरे गांव में हर जगह कचरा बिखरे होने के कारण आ रही बदबू और बेहद खराब स्थिति का हवाला देते हुए यह याचिका दायर की थी। गौरतलब है कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम के सात वार्ड, उत्तर के चार वार्ड और पूर्व के दो वार्ड में इस समय पाषर्द नहीं हैं।
दिल्ली सरकार ने इससे पहले उच्च न्यायालय में साल 2017 के एमसीडी चुनावों को सितंबर-अक्तूबर 2016 में करवा लेने का सुझाव दिया था। सरकार ने कहा था कि सितंबर-अक्तूबर 2016 में सभी वार्ड के लिए चुनाव करवाए जा सकते हैं। हालांकि अदालत का कहना था कि इतने लंबे समय तक 13 वार्ड को खाली रखना उचित नहीं होगा। इसके बाद अदालत ने 22 दिसंबर 2015 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
उपचुनाव के लिए प्रतिबद्ध
इससे पहले अदालत ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा था कि वह राष्ट्रीय राजधानी के 13 वार्ड की खाली सीटों पर 30 अप्रैल तक उपचुनाव करवाए। अदालत की ओर से यह निर्देश एक ऐसे समय पर आया है जब राज्य निर्वाचन आयोग ने उसके समक्ष यह कह दिया कि अगर राज्य सरकार पर्याप्त श्रमबल, पुलिसकर्मी और कोष उपलब्ध करवाती है तो वह इन खाली सीटों पर चार महीने के भीतर उपचुनाव करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस मामले पर सरकार ने अदालत से जवाब देने के लिए समय मांग लिया।
अदालत का यह आदेश कानून की पढ़ाई कर रही 20 साल की छात्रा संजना गहलोत की जनहित याचिका पर आया है। छात्रा ने अपने गांव में नालों का पानी सड़कों पर बहने और पूरे गांव में हर जगह कचरा बिखरे होने के कारण आ रही बदबू और बेहद खराब स्थिति का हवाला देते हुए यह याचिका दायर की थी। गौरतलब है कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम के सात वार्ड, उत्तर के चार वार्ड और पूर्व के दो वार्ड में इस समय पाषर्द नहीं हैं।
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