
नई दिल्ली:
भारतीय टीम में जगह बनाना इन दिनों इतना कठिन है कि खिलाडि़यों के लिए यह बेहद जरूरी है कि वह शुरुआती मैचों में ही बेहतरीन प्रदर्शन करें. पिछले 12 महीने में कई युवा खिलाडि़यों को टीम इंडिया में आजमाया गया, लेकिन इनमें से कुछ ही खिलाड़ी ऐसे हैं, जो टीम में जगह पक्की कर सके हैं. महाराष्ट्र रणजी ट्रॉफी टीम के कप्तान केदार जाधव ऐसे ही खिलाडि़यों में से एक हैं.
छोटे कद के केदार जाधव को पुणे में उनके तूफानी शतक से भले ही 'पॉकेट डायनामाइट' कहा जाने लगा हो, लेकिन पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता सुरेंद्र भावे ने खुलासा किया कि कभी शुद्ध शाकाहारी रहे इस बल्लेबाज ने जब चिकन खाना शुरू किया तो इससे उनको अतिरिक्त शक्ति मिली.
महाराष्ट्र राज्य विद्युत बोर्ड के पूर्व कर्मचारी महादेव जाधव के बेटे केदार का ताल्लुक ऐसे परिवार से है जो शुद्ध शाकाहारी है. भावे ने जाधव के बारे में बात करते हुए पीटीआई से कहा, 'आप इसका श्रेय मुझे दे सकते हैं. वह मैं था, जिसने उसे चिकन खाना सिखाया'. महाराष्ट्र के पूर्व खिलाड़ी भावे ने कहा, 'मैं उसके स्टार बनने का श्रेय नहीं लेना चाहता हूं. मैं उसका कोच, बड़े भाई, मेंटर और गाइड की तरह हूं जो कभी-कभी मुझसे टिप्स लेता है. आखिरी बार साल 2010-11 में मैंने उससे कहा कि उसकी बैकलिफ्ट सही नहीं लग रही है और उसने तुरंत उसमें सुधार किया और इससे काफी फायदा मिला'.
उन्हें याद है जब उन्होंने पहली बार केदार को कूच बिहार ट्रॉफी में केरल के खिलाफ 262 गेंदों पर 195 रन की पारी खेलते हुए देखा. भावे ने कहा, 'मुझे तुरंत ही लगा कि वह खास है. जिस आसानी से वह केरल के गेंदबाजों पर शॉट लगा रहा था वह वास्तव में भिन्न था. वह हर प्रारूप में खेल सकता है. वह गेंदबाजी कर सकता है, विकेट ले सकता है और उसकी विकेटकीपिंग किसी भी विशेषज्ञ से बेहतर है. हमने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु और दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए उसकी विकेटकीपिंग देखी थी. वह बहुमुखी प्रतिभा का धनी है'. हम उम्मीद कर सकते हैं कि इंग्लैंड के खिलाफ गुरुवार को दूसरे मुकाबले में भी जाधव उस प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे, जिसकी भरपूर झलक वह पुणे में पहले मैच में दिखा चुके हैं.
छोटे कद के केदार जाधव को पुणे में उनके तूफानी शतक से भले ही 'पॉकेट डायनामाइट' कहा जाने लगा हो, लेकिन पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता सुरेंद्र भावे ने खुलासा किया कि कभी शुद्ध शाकाहारी रहे इस बल्लेबाज ने जब चिकन खाना शुरू किया तो इससे उनको अतिरिक्त शक्ति मिली.
महाराष्ट्र राज्य विद्युत बोर्ड के पूर्व कर्मचारी महादेव जाधव के बेटे केदार का ताल्लुक ऐसे परिवार से है जो शुद्ध शाकाहारी है. भावे ने जाधव के बारे में बात करते हुए पीटीआई से कहा, 'आप इसका श्रेय मुझे दे सकते हैं. वह मैं था, जिसने उसे चिकन खाना सिखाया'. महाराष्ट्र के पूर्व खिलाड़ी भावे ने कहा, 'मैं उसके स्टार बनने का श्रेय नहीं लेना चाहता हूं. मैं उसका कोच, बड़े भाई, मेंटर और गाइड की तरह हूं जो कभी-कभी मुझसे टिप्स लेता है. आखिरी बार साल 2010-11 में मैंने उससे कहा कि उसकी बैकलिफ्ट सही नहीं लग रही है और उसने तुरंत उसमें सुधार किया और इससे काफी फायदा मिला'.
उन्हें याद है जब उन्होंने पहली बार केदार को कूच बिहार ट्रॉफी में केरल के खिलाफ 262 गेंदों पर 195 रन की पारी खेलते हुए देखा. भावे ने कहा, 'मुझे तुरंत ही लगा कि वह खास है. जिस आसानी से वह केरल के गेंदबाजों पर शॉट लगा रहा था वह वास्तव में भिन्न था. वह हर प्रारूप में खेल सकता है. वह गेंदबाजी कर सकता है, विकेट ले सकता है और उसकी विकेटकीपिंग किसी भी विशेषज्ञ से बेहतर है. हमने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु और दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए उसकी विकेटकीपिंग देखी थी. वह बहुमुखी प्रतिभा का धनी है'. हम उम्मीद कर सकते हैं कि इंग्लैंड के खिलाफ गुरुवार को दूसरे मुकाबले में भी जाधव उस प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे, जिसकी भरपूर झलक वह पुणे में पहले मैच में दिखा चुके हैं.
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