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This Article is From Jul 17, 2016

क्या बड़े बल्ले पर लगेगा प्रतिबंध? जानिए दिग्गज क्रिकेटरों में छिड़ी है कैसी जंग...

क्या बड़े बल्ले पर लगेगा प्रतिबंध? जानिए दिग्गज क्रिकेटरों में छिड़ी है कैसी जंग...
डेविड वार्नर (फाइल फोटो)
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
बल्ले के आकार की तुलना में वजन को लेकर विवाद
रन पीट रहे बल्लेबाज, परेशान हो रहे गेंदबाज
क्रिकेट मैदान में गेंद पर भारी पड़ने लगे बैट
नई दिल्ली: टेस्ट मैच तो छोड़ दीजिए एक समय ऐसा था जब एक दिवसीय मैचों में भी बहुत कम रन बनते थे। उस वक्त एक दिवसीय मैच 60 ओवरों के हुआ करते थे। अगर 60 ओवर में चार के औसत से रन बन जाते थे तो बहुत बड़ी बात माना जाता था। शुरुआती दौर में एक दिवसीय मैचों में ज्यादा रन नहीं बनते थे। बल्ले और गेंद कि संघर्ष में गेंद ज्यादातर समय विजयी होती थी। पहले जो बल्ले होते थे वह इतने अच्छे नहीं होते थे। दुबले-पतले बल्ले के सामने गेंद अपना रुआब  जमाता था। बाउंड्री लाइन के बाहर गेंद को पहुंचाने के लिए बल्लेबाज को काफी मेहनत करनी पड़ती थी। इतिहास गवाह है कि पहले दस एक दिवसीय मैचों में कुल मिलाकर सिर्फ 14 छक्के लगे थे।  कई ऐसे मैच हैं जिनमें एक भी छक्के नहीं लगा। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि शुरुआती दौर में कैसे बल्ले पर गेंद भारी पड़ती थी।

बदले नियम, बदला क्रिकेट
यह तो एक दिवसीय मैच का हाल था। टेस्ट मैच में क्या हाल होता होगा यह अंदाजा लगाया जा सकता है। इसीलिए उस वक्त ज्यादा से ज्यादा गेंदबाज बल्लेबाज पर हावी होते थे। लेकिन समय के हिसाब से क्रिकेट बदल गया है, इसके नियम बदल गए हैं, गेंद  में बदलाव आया है। अब एक दिवसीय मैचों में लाल की जगह सफेद गेंदों का इस्तेमाल हो रहा है। पारी के दौरान गेंद बदली भी जाती हैं। सफेद गेंदों से आसानी से रन आने लगे हैं। बल्ले में भी बदलाव आया है। अब बल्ला क्रिकेट के भविष्य को तय कर रहा है। बल्ले इतने अच्छे हो गए हैं कि गेंद बल्ले में लगते ही बाउंड्री लाइन के बाहर चली जाती है। ज्यादा से ज्यादा रन छक्के और चौके से आ रहे हैं। एक-एक पारी में तो 20 से भी ज्यादा छक्के लग जाते हैं। साल 2014 में न्यूज़ीलैंड और वेस्टइंडीज के बीच हुए एक दिवसीय मैच में न्यूज़ीलैंड टीम ने अपनी पारी में 22 छक्के लगाए थे। साल 2013 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए  मैच में 38 छक्के और 59 चौके लगे थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे क्रिकेट बदल चुका है। गेंद पर बल्ला भारी पड़ने लगा है। अब ज्यादा से ज्यादा युवा गेंदबाज़ से ज्यादा बल्लेबाज बनना चाहते हैं।

बल्ले को लेकर पोंटिंग ने उठाया सवाल
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और महान बल्लेबाज रिकी पोंटिंग ने मौजूदा दौर में इस्तेमाल हो रहे बल्ले पर  सवाल उठाया है। पोंटिंग का कहना है कि  बल्ले के वजन और साइज को लेकर क्रिकेट में कोई नियम नहीं है।  पोंटिंग ने सलाह दी है कि गेंद और बल्ले के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए बल्ले के वजन और साइज के बीच नियंत्रण लाना पड़ेगा। आपको बता दें कि क्रिकेट के नियम के हिसाब से बल्लेबाज ज्यादा लम्बे और चौड़े बल्ले का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं लेकिन क्रिकेट के नियम में कहीं यह नहीं लिखा है कि बल्ले के मध्य भाग की गहराई के हिसाब से वजन कितना होना चाहिए। आजकल ज्यादा गहराई वाले बल्ले का इस्तेमाल होता है। बल्ले के मध्य भाग को काफी शानदार, हल्का बनाया जाता है जिसकी वजह से बल्लेबाज को फायदा मिलता है। पोंटिंग का कहना है कि वह चाहते हैं कि टेस्ट मैचों में ऐसे बल्ले का इस्तेमाल न हो। अगर ऐसे बल्ले बन रहे हैं तो उसका वजन भी गहराई के हिसाब से तय हो।

इयान चैपल और जोश हाजेलवुड ने किया पोंटिंग का समर्थन
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर इयान चैपल और जोश हाजेलवुड ने पोंटिंग का समर्थन किया है। लेकिन चैपल का कहना है कि सिर्फ टेस्ट मैच नहीं एक दिवसीय और टी 20 मैचों में भी यह नियम लागू होना चाहिए। ईएसपीएनक्रिकइंफो डॉट कॉम में चैपल ने एक लेख लिखा है जिसमें चैपल ने सलाह दी है कि टेस्ट के साथ-साथ एक दिवसीय और टी 20 मैचों में भी बल्ले की गहराई और वजन के बीच संतुलन लाना जरूरी है। चैपल का कहना है कि कुछ सालों से बल्ले ज्यादा बेहतर होते जा रहे हैं। बाउंड्री लाइन छोटी होती जा रही है और यह गेंदबाजों के लिए सिरदर्द का कारण बन गया है।  चैपल ने यह भी लिखा है कि आजकल गेंद, बल्ले से लगने के बाद इतनी तेज निकलती है कि अंपायर के लिए भी यह खतरे की घंटी है। अंपायर घायल भी हो सकता है और ऐसा हुआ भी है। ऑस्ट्रेलिया के  गेंदबाज जोस हाजेलवुड ने भी पोंटिंग का समर्थन किया है। हाजेलवुड का कहना है कि कुछ बल्ले बहुत बड़े हैं। बल्ले के हिसाब से उसका वजन तय होना चाहिए। बल्ले बड़े होने के बावजूद उनका हल्का होना हास्यास्पद है। हाजेलवुड ने यह भी बताया कि ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज डेविड वॉर्नर और उस्मान ख्वाजा इस तरह के बल्ले का इस्तेमाल करते हैं।

डेविड वॉर्नर ने किया पोंटिंग का विरोध, तेंदुलकर का मिला साथ
ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज डेविड वॉर्नर ने रिकी पोंटिंग का विरोध करते हुए कहा है कि ज्यादा रन बनने के पीछे बड़े बल्ले नहीं बल्कि सपाट पिच जिम्मेदार है। वॉर्नर का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से टेस्ट क्रिकेट में ज्यादा से ज्यादा रन बन रहे हैं लेकिन आप इसके लिए बड़े बल्ले को जिम्मेदार नहीं मान सकते हैं। वॉर्नर ने तर्क दिया है कि सिर्फ उन्होंने ही नहीं कई अन्य बल्लेबाजों ने भी अच्छे रन बनाए हैं जिनके पास ऐसे बल्ले नहीं हैं। वॉर्नर ने यह भी कहा है कि ऐसे बल्ले बनाने वालों की तारीफ होनी चाहिए जो हल्की लकड़ी का इस्तेमाल करते हुए शानदार बल्ले बनाते हैं। जब इस मामले में सचिन तेंदुलकर की राय ली गई तो उनका कहना था कि बल्ले में काफी बदलाव आया है लेकिन गेंद में ज्यादा बदलाव नहीं। सचिन का कहना था कि उन्हें यह लग रहा है कि पिच में बदलाव आना चाहिए। ऐसी पिच भी बननी चाहिए जो गेंदबाजों के लिए लाभदायक हो।

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