इन 4 खिलाड़ियों के रिटायरमेंट से क्रिकेट में अर्श से फर्श पर पहुंचा श्रीलंका

भारत के खिलाफ जारी टेस्ट सीरीज में श्रीलंका के अब तक के प्रदर्शन को देखकर क्रिकेट जगत चिंतित है.

इन 4 खिलाड़ियों के रिटायरमेंट से क्रिकेट में अर्श से फर्श पर पहुंचा श्रीलंका

श्रीलंका के दिग्गज ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन.

खास बातें

  • 1996 का विश्व कप जीतकर श्रीलंका ने दुनिया का चौंकाया
  • मुरलीधरन, संगकारा, जयवर्धने जैसों के रिटायरमेंट से श्रीलंका को नुकसान
  • हाल के दिनों में श्रीलंका टीम का प्रदर्शन बेहद कमजोर
नई दिल्ली:

एक समय ऐसा था जब श्रीलंका क्रिकेट टीम सबसे बेहतरीन टेस्ट टीम मानी जाती रही. शुरुआत के दौरे में श्रीलंका का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, लेकिन 1992 के बाद श्रीलंका टीम धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी और बड़ी टीमों को हराने लगी. 1996 में वर्ल्ड कप जीतकर श्रीलंका से सबको हैरान कर दिया था, लेकिन पिछले कुछ सालों से श्रीलंका टीम का प्रदर्शन खराब रहा है. 1975 के वर्ल्ड कप के जरिए श्रीलंका अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच 7 जून को खेला था, जिसमें सिर्फ 86 रन पर ऑल आउट हो गया था. इस वर्ल्ड कप में खेले अपने तीनों मैच को श्रीलंका हार गया था. फिर 1975 से लेकर 1979 के बीच श्रीलंका कोई भी अंतराष्ट्रीय मैच नहीं खेला.

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शुरुआत के दौर में काफी खराब प्रदर्शन : 1979 के वर्ल्ड कप में श्रीलंका को दोबारा मौका मिला. इस वर्ल्ड कप में श्रीलंका अपना दूसरा लीग मैच में भारत को 47 रन से हराने में कामयाब हुआ था. यह श्रीलंका का पहला अंतराष्ट्रीय जीत था. शुरुआत के दौर में श्रीलंका काफी कमज़ोर टीम मानी जाती थी.1975 से लेकर 1991 के बीच श्रीलंका ने वर्ल्ड कप, एशिया कप और कई दूसरे सीरीज में हिस्सा लिया, लेकिन इन 16 सालों में यह एशियाई टीम केवल एक बाईलैटरल सीरीज जीत सकी. 1986 में श्रीलंका ने एशिया कप जीता था. अगर टेस्ट मैचों की बात की जाए 17 फरवरी 1982 को श्रीलंका ने इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला और इस मैच में इंग्लैंड ने श्रीलंका को सात विकेट से हरा दिया था. 1982 से लेकर 1997 के बीच श्रीलंका 39 टेस्ट सीरीज खेला था और सिर्फ सात सीरीज जीतने में कामयाब हुआ था, 22 सीरीज हार गई और 10 सीरीज ड्रा रही.

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सनत जयसूर्या

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वनडे में श्रीलंका का शानदार प्रदर्शन: 1992 में श्रीलंकाई टीम दो एकदिवसीय सीरीज खेली और यह दोनों में जीत मिली. एक सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को हराया था तो दूसरे में न्यूज़ीलैंड को पटखनी दे पाया. 1995/96 में श्रीलंका टीम दुनिया के बड़े-बड़े टीमों को आसानी से हराना शुरू कर दिया. 1996 श्रीलंका पहली बार वर्ल्ड कप जीतने में कामयाब हुआ. इस वर्ल्ड कप में श्रीलंका अपना सभी लीग मैच जीता था, सेमीफाइनल में भारत को हराया था तो फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया जैसी शक्तिशाली टीम को हराकर चैंपियन बना था. इस वर्ल्ड कप में सनथ जयसूर्या ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी के रूप में नाम कमाया. मीडिया में अगर किसी एक खिलाड़ी सबसे ज्यादा चर्चा हुई थी तो वो जयसूर्या थे.

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वर्ल्ड कप में जयसूर्या का विस्फोटक अवतार: धमाकेदार बैटिंग करने वाले जयसूर्या को एक मैगजीन ने अपने कवर पेज में जगह देते हुए लिखा था,  'द राइजिंग सन.' इस वर्ल्ड कप में जयसूर्या सबसे ज्यादा 132 के करीब स्ट्राइक रेट से रन बनाए थे. शानदार प्रदर्शन के लिए जयसूर्या ‘मैन ऑफ़ द सीरीज’ भी बने थे. वर्ल्ड कप जीतने के बाद श्रीलंका अगस्त 1996 में श्रीलंका में खेले गए वर्ल्ड कप भी जीता. इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया, भारत, श्रीलंका और ज़िम्बाब्वे की टीम भी खेली थी. 1997 में श्रीलंका ने सिंगर अकाई कप, पेप्सी इंडिपेंडेंस कप और एशिया कप भी जीता. 1996 से लेकर 2001 के बीच श्रीलंका कई ट्राई सीरीज में जीत हासिल की. अगर बाईलैटरल सीरीज की बात की जाए तो 1996 से लेकर 2001 के बीच श्रीलंका ने 11 सीरीज खेली, सात सीरीज जीतने में कामयाब रहा, सिर्फ दो सीरीज हारा था और  दो सीरीज ड्रा रहा था. अगर टेस्ट मैच की बाद की जाए 1996 से लेकर 2001 बीच श्रीलंका 24 टेस्ट सीरीज खेला जिस में 12 सीरीज में जीत हासिल की, आठ सीरीज हारा और चार सीरीज ड्रा रहा था.
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श्रीलंका के महान क्रिकेटर कुमार संगकारा.

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ये हैं श्रीलंका की टेस्ट टीम के 'फैब फोर' :  2004 से लेकर 2009 के बीच श्रीलंका टीम ने टेस्ट मैचों में शानदार प्रदर्शन किया था. इस छह सालों में श्रीलंका ने 24 टेस्ट सीरीज खेला, 12 सीरीज में जीत हासिल की, सात हारी और पांच बेनतीजा रहे. श्रीलंका ने एकदिवसीय मैचों में भी अच्छा प्रदर्शन किया था. इस दौरान श्रीलंका टीम में कई बेहतरीन खिलाड़ी थे जो शानदार प्रदर्शन कर रहे थे. कुमार संगकारा, महेला जयवर्धने, तिलकरत्ने दिलशान जैसे बल्लेबाज बैटिंग लाइन को संभाला था तो मुरलीधरन जैसे गेंदबाज़ ने शानदार प्रदर्शन किया था. इन छह सालों में जयवर्धने ने 12 शतक, चार दोहरा शतक और एक ट्रिपल सेंचुरी लगाया था. अगर संगकारा की बात की जाए तो उन्होंने इन छह सालों में 13 शतक, पांच दोहरा शतक लगाए थे. दिलशान अपने 14 साल के टेस्ट क्रिकेट करियर में 16 शतक ठोके थे जबकि  2004 से लेकर 2009 के बीच दिलशान ने 9 शतक जड़े. इस छह सालों में मुरलीधरन शानदार गेंदबाज़ी करते हुए 27 बार एक पारी में पांच या पांच से ज्यादा विकेट लेने में कामयाब रहे.

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इस खिलाड़ी के जाने के बाद श्रीलंका टीम हुई कमजोर : 2010 में मुरलीधरन टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद श्रीलंका टीम कमज़ोर हो गई है और प्रदर्शन में भी काफी गिरावट आया है. 2010 से लेकर 2015 के बीच श्रीलंका ने 21 टेस्ट सीरीज खेले जिस में सिर्फ छह सीरीज में जीत हासिल की है,10 सीरीज हारा है जब की पांच सीरीज ड्रा रहा है. अगर एकदिवसीय मैचों की बात की जाए तो 2011 से लेकर 2014 के बीच श्रीलंका के 20 बाईलैटरल सीरीज खेला जिस में से आठ सीरीज जीता, आठ सीरीज हारा और चार सीरीज ड्रा रहा है.जयवर्धने  ने 2014 में टेस्ट क्रिकेट से सन्यास ले लिए थे जब की 2015 में एकदिवसीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था उसी तरह संगकारा ने 2015 में टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. दिलशान ने 2013 में टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया था और 2016 में एकदिवसीय क्रिकेट से संन्यास लिया था.

वीडियो: श्रीलंका के खिलाफ टीम इंडिया ने जीती टेस्‍ट सीरीज


पिछले 20 महीनों से काफी खराब प्रदर्शन : इन तीनों खिलाड़ी चले जाने के बाद  पिछले दो सालों से श्रीलंका क्रिकेट टीम की प्रदर्शन काफी ख़राब रहा है. 2014-15 से लेकर जुलाई 2017 के बीच श्रीलंका 11 टेस्ट सीरीज खेल चुका है जिस में से सिर्फ चार टेस्ट सीरीज श्रीलंका जीतने में कामयाब रहा है, छह टेस्ट सीरीज श्रीलंका हारा है जब की सिर्फ एक सीरीज ड्रा रहा है. श्रीलंका जो चार टेस्ट सीरीज जीता है उन में से दो सीरीज ज़िम्बाब्वे और एक सीरीज वेस्टइंडीज जैसी कमज़ोर टीम के खिलाफ है. मौजूदा समय में टीम इंडिया भी श्रीलंका के दौरे पर है और अभी तक खेले गए दोनों टेस्ट मैच को श्रीलंका हार चुकी है. पिछले दो सालों में एकदिवसीय मैचों में भी श्रीलंका का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है. पिछले दो सालों में श्रीलंका 10 बाईलैटरल सीरीज खेल चुका है जिस में सिर्फ दो सीरीज श्रीलंका जीतने कामयाब हुआ है,सात सीरीज श्रीलंका हारा है और एक सीरीज ड्रा रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि हाल ही में ज़िम्बाब्वे ने श्रीलंका का दौरा किया था. पांच मैचों की एकदिवसीय सीरीज को ज़िम्बाब्वे ने 3-2 से जीत लिया था.

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